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Photograph: (the sootr)
सुनील जैन @ अलवर
राजस्थान में शुक्रवार को घोषित आरजेएस रिजल्ट में अलवर की अंबिका राठौड़ ने शानदार सफलता हासिल कर राज्य में तीसरी रैंक प्राप्त की है। अंबिका का यह दूसरा प्रयास था और इस सफलता के बाद उनके परिवार और रिश्तेदारों में खुशी का माहौल है। सभी ने उन्हें जज बनने पर बधाई दी। अंबिका ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और कड़ी मेहनत को दिया।
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कड़ी मेहनत से मिली सफलता
अंबिका ने बताया कि यह उनका दूसरा प्रयास था और इस बार उन्हें अपने परिवार का पूरा समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि यदि कोई कठिन मेहनत करता है, तो वह अपनी मंजिल जरूर पा सकता है। उनका हमेशा से सपना था कि वह ज्यूडि​शियरी सर्विस में जाएं और इसी दिशा में उन्होंने अपनी पढ़ाई की।
सेल्फ स्टडी और रिवीजन की अहमियत
अंबिका ने अपनी सफलता के बारे में बताते हुए कहा कि मैंने अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान दिया और अभ्यास पर ज्यादा फोकस नहीं किया। इसके साथ ही मैंने अपने भाइयों और अन्य सहयोगियों से मदद ली। अंबिका ने अपनी तैयारी के दौरान मुख्य रूप से सेल्फ स्टडी पर ध्यान केंद्रित किया।
तैयारी और आत्म अध्ययन का महत्व
वह बार-बार विषयों का रिवीजन करती थीं और इसे उनकी सफलता की कुंजी मानती हैं। उन्होंने अन्य प्रतियोगी परीक्षार्थियों को सलाह दी कि किसी भी बिंदु को तब तक दोहराएं जब तक वह पूरी तरह से स्पष्ट न हो जाए। उन्होंने यह भी कहा कि गाइडेंस की जरूरत हमेशा रहती है, खासकर जब परीक्षा कानून से जुड़ी हो।
पिता की प्रेरणा और परिवार का समर्थन
अंबिका ने बताया कि उनके पिता का हमेशा से सपना था कि वह ज्यूडिशरी में जाएं। उनके पिता जयसिंह राठौड़ ने कहा कि इस सफलता के बाद पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। उनका मानना है कि ज्यूडिशियरी सर्विस ऐसी सेवा है, जिससे आम जन और गरीबों को न्याय दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि घर में पढ़ाई का वातावरण हमेशा रहा और उन्होंने अपनी बेटी को पूरी तरह से समर्थन दिया।
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सकारात्मक सोच और दृढ़ संकल्प
अंबिका के चाचा दिनेश सिंह ने बताया कि अंबिका की सोच हमेशा सकारात्मक रही। वह पढ़ाई पर पूरा ध्यान देती थीं और मोबाइल का उपयोग भी सिर्फ आवश्यकतानुसार करती थीं। अंबिका हमेशा मेधावी रही हैं और उन्होंने अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए। यह सफलता उनकी मेहनत का ही परिणाम है।
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आरजेएस की तैयारी और सपोर्ट
अंबिका राठौड़ के पिता जय सिंह राठौड़ एक बिजनेसमैन और अलवर राजपरिवार के निजी सचिव हैं, जबकि उनकी मां मंजू राठौड़ गृहिणी हैं। अंबिका ने 2023 से आरजेएस की तैयारी शुरू की थी और यह उनका दूसरा प्रयास था। उनके भाई गरिमान सिंह भी एडवोकेट हैं। उन्होंने हमेशा अपनी बहन को पढ़ाई में प्रेरित किया।
अलवर की अंबिका राठौड़ को मिली तीसरी रैंक
दूसरा प्रयास : अंबिका का यह दूसरा प्रयास था।
परिवार का समर्थन : परिवार ने हमेशा उनकी पढ़ाई का समर्थन किया।
सेल्फ स्टडी और रिवीजन : कड़ी मेहनत और रिवीजन को सफलता की कुंजी माना।
ज्यूडि​शियरी के लिए प्रेरणा : ज्यूडि​शियरी में जाने का सपना और परिवार का मार्गदर्शन।
सकारात्मक सोच : हर मुश्किल से लड़ने और सकारात्मक दृष्टिकोण का पालन किया।
मुख्य बिंदु
- अंबिका ने अपनी तैयारी में कड़ी मेहनत की, सेल्फ स्टडी और रिवीजन पर फोकस किया। परिवार का समर्थन और सकारात्मक सोच ने उन्हें सफलता दिलाई।
- अंबिका के परिवार ने हमेशा उनकी पढ़ाई का समर्थन किया, विशेष रूप से उनके पिता का मार्गदर्शन और प्रेरणा उन्हें ज्यूडि​शियरी की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मिली।
- अंबिका ने मुख्य रूप से सेल्फ स्टडी की, रिवीजन पर ध्यान केंद्रित किया और जब भी जरूरत पड़ी, अपने भाइयों और अन्य सहयोगियों से मदद ली।
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