अंता उपचुनाव वसुंधरा राजे v/s प्रमोद जैन भाया में बदला, सीट जीतने के लिए दोनों नेता जी-जान से जुटे

राजस्थान के अंता उपचुनाव में भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस के पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया हैं दिग्गज नेता। दोनों संसदीय चुनाव में हो चुके आमने-सामने। मोरपाल सुमन को वसुंधरा ने दिलाया टिकट तो भाया खुद प्रत्याशी।

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Rakesh Kumar Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Baran. राजस्थान की अंता सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। दोनों ही दलों ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है। इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस-भाजपा के दिग्गजों ने चुनावी मोर्चा संभाल रखा है। वे रोड शो, नुक्कड़ सभा और जनसंपर्क कर रहे हैं।

रविवार को चुनाव के अंतिम दिन भी भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तो कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रोड शो करके कार्यकर्ताओं में जोश फूंका। 

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दांव पर लगी प्रतिष्ठा

यह चुनाव दोनों ही दलों के साथ इस क्षेत्र के दिग्गज नेता वसुंधरा राजे और प्रमोद जैन भाया की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है। अंता उपचुनाव की हार-जीत इन दोनों नेताओं की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। बारां-झालावाड़ संसदीय क्षेत्र में भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री राजे और कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री भाया दिग्गज नेता के तौर पर जाने जाते हैं। इस संसदीय चुनाव में भाया पूर्व मुख्यमंत्री राजे के सांसद बेटे दुष्यंत सिंह के सामने चुनाव लड़कर कड़ी टक्कर दे चुके हैं। एक बार भाया की पत्नी भी चुनाव लड़ चुकी हैं।

मोरपाल को राजे ने दिलाया टिकट

भाजपा उम्मीदवार मोरपाल सुमन को वसुंधरा राजे ने टिकट दिलाया है। भाया उनके सामने चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में तीसरी बार भाया और राजे आमने-सामने हैं। अब देखना यह है कि जनता किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधती है। 11 नवंबर को मतदान होगा और 14 नवंबर को नतीजे सामने आएंगे। नतीजे से पता चलेगा कि बारां की राजनीति का असली दिग्गज कौन है। 

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राजे और भाया के बीच महासंग्राम

अंता विधानसभा सीट पर भले ही भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार आमने-सामने हों और निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया हो, लेकिन अंता के वोटर इस चुनाव को राजे एवं भाया के बीच बता रहे हैं। अंदरखाने दोनों नेता और समर्थक भी इस बात को जानते हैं।

यही कारण है कि दोनों दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में जी-जान से जुटे हुए हैं। जीतने के लिए दिग्गज नेताओं से प्रचार करवाया, वहीं दूसरे नेताओं की हर वार्ड-गांव में जिम्मेदारी तय की है, ताकि किसी तरह की कमी ना रह जाए।

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वसुंधरा के आने से बदले समीकरण

पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने मोरपाल सुमन को टिकट दिलाया है। ऐसे में चुनाव जिताने की जिम्मेदारी भी राजे के जिम्मे है। टिकट मिलने के बाद सुमन ने प्रचार-प्रसार किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ समेत दूसरे नेता भी जुट गए, लेकिन प्रचार में उत्साह नहीं दिखा।

यह उत्साह तब नजर आया, जब राजे अंता पहुंचीं। तब नेताओं में भी जोश आया तो कार्यकर्ता भी जुटने लगे। एक सप्ताह से राजे अंता में हैं। तब से मोरपाल के प्रचार में तेजी आई है। हर गांव-ढाणी और कॉलोनी तक पार्टी एक्टिव हो गई। समीकरण अब बदल गए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा दो बार रोड शो कर चुके हैं। 

जाति का आधार नहीं, फिर भी जीते भाया 

अंता सीट पर माली, मीणा, एससी, धाकड़, राजपूत समाज की बहुलता है। जातिगत समीकरण नहीं होने के बाद भी भाया यहां मजबूत उम्मीदवार हैं और तीन बार विधायक बन चुके हैं। सामाजिक और धार्मिक सक्रियता के चलते सभी वर्ग, समाज और धर्म में उनकी पैठ है। यही कारण है कि उन्होंने पहला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीता। तब भाजपा के दिग्गज रघुवीर कौशल और कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था।

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भाया की ताकत का पता

भाया कांग्रेस के टिकट पर दो बार जीत चुके हैं। हालांकि प्रभुलाल सैनी और पिछला चुनाव कंवरलाल मीणा से हारे भी हैं। एक बार प्रभुलाल सैनी को हरा भी चुके हैं। अंता सहित पूरे बारां जिले में भाया की मजबूत पकड़ कार्यकर्ताओं के साथ हर तबके में है। भाजपा और वसुंधरा भी भाया की इस पकड़ के बारे में जानते हैं। यही कारण है कि वह भी पूरी ताकत से चुनाव मैदान में डटे हुए है। 

राजस्थान की नजर अंता पर

अंता सीट भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बनी हुई है। दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं से लेकर विधायक और सांसद तक यहां डेरा डाले हुए हैं। पूरे प्रदेश की नजर अंता के चुनाव पर टिकी है। इस सीट पर लड़ रहे कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवार के लिए दोनों दलों से मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, पूर्व उपमुख्यमंत्री, दोनों पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष, सांसद और विधायक तक चुनाव प्रचार कर चुके हैं। पंचायत, वार्ड तक के लिए विधायक, पूर्व विधायक को प्रभारी बनाया गया है। अंता में दिग्गजों के प्रचार में उतरने से यह हॉट सीट हो गई है। 

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नरेश के लिए जुटे तीसरे दल

इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने जातिगत समीकरण के चलते मुकाबला त्रिकोणीय बना रखा है। नरेश के समर्थन में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल, पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने मोर्चा संभाला हुआ है। रविवार को प्रचार का अंतिम दिन है। भाजपा, कांग्रेस के साथ निर्दलीय प्रत्याशी और समर्थकों ने आज पूरी ताकत लगा दी। अब नजर परिणाम पर रहेगी।

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