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Photograph: (the sootr)
Baran. राजस्थान के बारां की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव का रंग धीरे-धीरे जमने लगा है। उम्मीदवारों को लेकर मतदाताओं ने अपना मन बनाना शुरू कर दिया है। 11 नवंबर को होने वाले मतदान तक अधिकांश मतदाता तय कर चुके होंगे कि उन्हें किसे वोट देना है।
कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया, भाजपा उम्मीदवार मोरपाल सुमन और निर्दलीय नरेश मीणा के बीच ही प्रमुख मुकाबला है। नरेश मीणा ने कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ना तय किया है।
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जीत की कुंजी
गहलोत सरकार में सर्वाधिक विवादास्पद, लेकिन प्रभावशाली मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया 2023 का विधानसभा चुनाव करीब पांच हजार के अंतर से भाजपा के कंवरपाल मीणा से हार गए थे। मीणा को एक पुराने मामले में तीन साल की सजा होने के कारण उनकी सदस्यता चली गई। इसके बाद अंता उपचुनाव हो रहा है।
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मीणा करेंगे प्रभावित
बारां और अंता की स्थिति के जानकारों के अनुसार, फिलहाल प्रमुख मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच में ही दिख रहा है। निर्दलीय नरेश मीणा तीसरे नंबर पर जाते दिख रहे हैं, लेकिन वह दोनों उम्मीदवारों की हार-जीत पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालेंगे, यह तय है।
भाजपा के प्रमुख नेताओं की दूरी पर सवाल
दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों के प्रचार में प्रमुख नेताओं की दूरी से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा के पूर्व विधायक व पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन प्रमुख दावेदार थे। कई दिनों तक चली खींचतान के बाद अंतत: मोरपाल सुमन की किस्मत खुली और उन्हें टिकट मिला है, लेकिन अब प्रचार में भाजपा के बड़े नेताओं की दूरी बनी हुई है।
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भाजपा को मिल सकता है फायदा
स्टार प्रचारकों में छबड़ा से सात बार के विधायक प्रताप सिंह सिंघवी शामिल नहीं होने पर विवाद हो चुका है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी अभी तक प्रचार में हिस्सा नहीं लिया है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का एक दौरा ही भाजपा के पक्ष में हवा बदलने को पर्याप्त साबित हो सकता है।
प्रचार समाप्त होने में अभी कई दिन बचे हैं, लेकिन अभी तक उनकी कोई बड़ी सभा या दौरा नहीं हुआ है। हालांकि प्रदेश में भाजपा सरकार होने और बागी उम्मीवार के नाम वापस लेने का भी उन्हें फायदा मिलना तय है।
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और अपने दम पर भाया
कांग्रेस में तो वैसे भी संगठन भाया जैसे इलाकाई नेताओं की जेब में रहता है। ब्लॉक से लेकर जिला अध्यक्ष तक विधायक व सांसदों या पूर्व विधायक व पूर्व सांसदों सहित अशोक गहलोत व सचिन पायलट जैसे बड़े नेताओं की मर्जी से ही बनते हैं। इसलिए उनकी निष्ठा पार्टी के प्रति नहीं, बल्कि व्यक्ति के प्रति होती है। कांग्रेस उम्मीदवार भाया के पास अपने समर्थकों की एक मजबूत टीम है और वह अपनी टीम के भरोसे ही चुनाव लड़ रहे हैं।
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धारीवाल ने भी नहीं दिखाई रुचि
पूर्व मंत्री शांति धारीवाल हाड़ौती में कांग्रेस के प्रमुख व बड़े नेता हैं और भाया को उनका नजदीकी माना जाता है। इसके बावजूद धारीवाल ने अभी तक अंता विधानसभा सीट पर प्रचार के लिए विशेष रुचि नहीं दिखाई है। हालांकि भाया की नामांकन रैली में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तथा पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित सभी प्रमुख नेता शामिल हुए थे।
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