अंता उपचुनाव : भाजपा के बागी रामपाल मेघवाल ने लिया नामांकन वापस, पार्टी को मिली बड़ी राहत

राजस्थान के अंता उपचुनाव में भाजपा के लिए बड़ी राहत। बागी पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल ने नामांकन वापस लिया। पार्टी नेतृत्व से बैठक के बाद फिर से भाजपा में वापसी। भाजपा की राह आसान।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Baran. अंता उपचुनाव में भाजपा को सबसे बड़ा राजनीतिक संकट उस समय खड़ा हो गया था, जब पूर्व विधायक और पार्टी के प्रभावशाली नेता रामपाल मेघवाल ने बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। इससे अंता जैसे सीमित और जातीय समीकरणों वाले विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का वोट बैंक प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई थी।

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बन सकता था हार की वजह

कई बैठकों, समझाइश और पार्टी हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद मेघवाल ने अंततः चुनाव मैदान से हटने का फैसला लिया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ से मुलाकात के बाद उन्होंने नामांकन वापस लेने और पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में काम करने की घोषणा की। इस कदम को भाजपा के लिए संगठनात्मक राहत माना जा रहा है, क्योंकि बागी उम्मीदवारों के कारण वोटों का विभाजन अक्सर उपचुनावों में पार्टी की हार की वजह बनता है।

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सियासी संकट टल गया

अंता उपचुनाव में सियासी समीकरणों को पलट देने वाली एक महत्वपूर्ण हलचल शनिवार शाम को सामने आई, जब भाजपा के बागी और पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल ने अपना नामांकन वापस लेने का निर्णय लिया। 

लग सकती थी वोट बैंक में सेंध

इस कदम के साथ ही भाजपा को सबसे बड़ा संगठनात्मक संकट टल गया है। माना जा रहा है कि उनका मैदान में रहना भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकता था, जिससे चुनावी समीकरण बदलना तय था। हालांकि लगातार समझाइश और वरिष्ठ नेतृत्व की पहल के बाद मेघवाल ने फिर से भाजपा के साथ मजबूती से आने का फैसला लिया।

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नाराजगी खत्म, भाजपा में वापसी

मेघवाल ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ से मुलाकात की, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें सम्मानजनक आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि आपसी मनमुटाव के चलते निर्दलीय पर्चा भरा था, लेकिन अब पार्टी बड़ा परिवार है। मैं भाजपा प्रत्याशी मोरपाल सुमन की जीत सुनिश्चित करूंगा। राठौड़ ने स्वयं मेघवाल को मिठाई खिलाकर पार्टी में पुनः स्वागत किया। यह दृश्य भाजपा खेमे के लिए प्रतीकात्मक डैमेज कंट्रोल माना जा रहा है।

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कहां थीं बगावत की जड़ें 

अंता सीट पर भाजपा ने मोरपाल सुमन को उम्मीदवार घोषित किया था। इस फैसले के बाद रामपाल मेघवाल नाराज होकर निर्दलीय के रूप में मैदान में उतर गए थे। चूंकि वे पहले भी अंता से विधायक रह चुके हैं और उनका स्थानीय स्तर पर असर काफी मजबूत है, इससे भाजपा को सीधी चिंता पैदा हो गई थी।

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मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं

मेघवाल के वापस आने से अब पार्टी की अंदरूनी टूट का खतरा खत्म हो गया है। यह सीधा संदेश भी गया है कि उपचुनाव को लेकर भाजपा अब और ज्यादा एकजुटता के साथ आगे बढ़ेगी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने कहा कि अंता उपचुनाव में भाजपा परिवार पहले से ज्यादा मजबूती से मैदान में उतरेगा। मतभेद हो सकते हैं, पर मनभेद नहीं।

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