अरावली को बचाने के लिए प्ले कार्ड्स के साथ मौन विरोध, कोर्ट-सरकार के खिलाफ एकजुट हो रही गुलाबीनगरी

राजस्थान की राजधानी जयपुर में अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए बड़ी संख्या में नागरिकों ने प्ले कार्ड्स के साथ मौन विरोध किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कानून में सुधार की मांग की। सबकी एक ही आवाज, अरावली राजस्थान की आत्मा।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान के जयपुर में अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए गुरुवार को बड़ी संख्या में नागरिकों ने सेंट्रल पार्क में प्ले कार्ड्स के साथ मौन विरोध किया। इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई भारत सेवा संस्थान के सचिव और राज्य के पूर्व महाधिवक्ता जीएस बापना ने की। इस दौरान पार्क में घूमने आए नागरिकों ने भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेकर अपना समर्थन दिया। 

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संकट में पड़ जाएगी अरावली

प्रदर्शन के दौरान कई लोग स्वयं प्ले कार्ड्स लेकर आए और कुछ ने मौखिक रूप से इस विरोध को अपना समर्थन दिया। इस दौरान अधिकतर लोगों का कहना था कि अरावली को बचाने के लिए कदम उठाना जरूरी है, क्योंकि यदि यह नहीं हुआ तो राजस्थान सहित चार राज्यों की जीवन रेखा अरावली संकट में पड़ जाएगी।

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सुप्रीम आदेश और सरकार का रवैया

विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों ने केंद्र सरकार के नए खनन पट्टों पर रोक के आदेश का स्वागत किया, लेकिन बापना और अन्य नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट अपने 20 नवंबर के आदेश में सुधार नहीं करता और अरावली की 100 मीटर तक की श्रृंखला को अरावली घोषित नहीं कर देता, तब तक यह आदेश कोई अर्थ नहीं रखता। 

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अरावली के महत्व को समझाया

बापना ने कहा कि अगर खनन गतिविधियां और तेज हो गईं तो अरावली पर्वत पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अरावली क्षेत्र न केवल जल, जंगल, जीवन, पेड़-पौधे, जीव-जंतुओं और वन्यजीवों का घर है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी है, जहां मंदिर, किले और महल जैसे ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं। 

एकजुट होकर काम करेंगे

उन्होंने यह भी कहा कि पहले ही अरावली के 20 प्रतिशत हिस्से को खनन के कारण नुकसान हो चुका है। यदि इसे और बढ़ावा मिला, तो आने वाली पीढ़ियां कभी हमें माफ नहीं करेंगी। इस दौरान मौजूद सभी लोगों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया और अरावली की सुरक्षा के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता की बात की।

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खनन गतिविधियों का खतरनाक प्रभाव

अगर अरावली को बचाने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह पर्वत श्रृंखला केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि चार राज्यों के लिए एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या बन जाएगी। अरावली क्षेत्र न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कृषि, जल आपूर्ति, वन्य जीवन और पर्यटन के लिए भी अनमोल है।

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संरक्षण में सभी का योगदान जरूरी

इस अवसर पर धर्मवीर कटेवा, हनुमान नायला, पूनमचंद भंडारी, विजय सिंह पूनिया, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉ. गणेश परिहार, आरके यादव, कुसुम जैन, ललिता मेहरवाल, बीना कुमारी, संत कुमार जैन, विनय बापना, महेंद्र गहलोत और शेर सिंह महला भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

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खास बातें

  • अरावली को बचाने के लिए प्ले कार्ड्स के साथ मौन विरोध। सरकार के कदमों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश में सुधार की आवश्यकता जताई।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को एक आदेश जारी किया था, लेकिन अरावली के 100 मीटर तक के क्षेत्र को अरावली घोषित करने का आदेश नहीं दिया, जिसे सुधारने की जरूरत है।
  • अरावली जल, जंगल, जीवन, वन्यजीवों और पर्यावरणीय संतुलन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह कई प्रकार की जैव विविधता को बनाए रखती है।
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