आसाराम को जमानत पर सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, जानिए पीड़िता की याचिका क्यों हुई खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को राजस्थान की जोधपुर जेल से जमानत पर बाहर रहने के फैसले को मंजूरी दी है। पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट जाकर इसका विरोध किया था। उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है।

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Kamlesh Keshote
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले आसाराम को राहत दी है। हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी। पीड़िता ने इस जमानत को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इससे आसाराम की जमानत और रिहाई जारी रहने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को बरकरार रखा है।

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पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में किया था विरोध 

पीड़िता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने दलील दी कि आसाराम के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और इस मामले में जमानत की शर्तों का उल्लंघन होने के बावजूद हाईकोर्ट ने उसे राहत दी। उन्होंने यह भी कहा कि आसाराम ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक कार्यक्रम किए। जिसे हाईकोर्ट ने नजरअंदाज किया। उनका कहना था कि आसाराम की मेडिकल स्थिति इतनी गंभीर नहीं है कि उसे जमानत दी जाए और इलाज के नाम पर उसकी जमानत को रद्द किया जाना चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद अदालत ने पीड़िता की याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं करें। राजस्थान सरकार की ओर से एएजी शिवमंगल शर्मा और अधिवक्ता सोनाली गौर ने भी पीड़िता की आपत्तियों का समर्थन किया। उन्होंने जमानत की शर्तों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया। जबकि आसाराम की ओर से अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अपनी दलीलें दीं।

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हाईकोर्ट को जल्दी सुनवाई के निर्देश 

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह आसाराम की अपील पर जल्द से जल्द सुनवाई करें और तीन महीने के भीतर इस पर निर्णय ले। यह आदेश राजस्थान हाईकोर्ट को प्रोत्साहित करने के लिए दिया गया। ताकि मामले की शीघ्र सुनवाई हो सके।

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ट्रायल कोर्ट ने दी आजीवन कारावास की सजा 

आसाराम को 15 अप्रैल, 2018 को एक ट्रायल कोर्ट द्वारा नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद आसाराम ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपनी सजा के खिलाफ अपील की। जो पिछले सात सालों से विचाराधीन है। हालांकि हाईकोर्ट ने आसाराम की उम्र और सेहत को देखते हुए उसे जमानत दी और शर्तें भी लगाई कि आसाराम भारत नहीं छोड़ेंगे। हर छह महीने में मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे और छह महीने बाद आत्मसमर्पण करेंगे।

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मुख्य बिंदु 

पीड़िता की याचिका खारिज: सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की याचिका खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दी गई मेडिकल जमानत को बरकरार रखा। इससे आसाराम की जमानत जारी रहेगी।

शर्तों के साथ जमानत: हाईकोर्ट ने आसाराम को जमानत देते हुए यह शर्तें लगाई थीं कि वह भारत नहीं छोड़ेंगे, हर छह महीने में मेडिकल रिपोर्ट देंगे और छह महीने के भीतर आत्मसमर्पण करेंगे।

शर्तों का उल्लंघन: आसाराम ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया। जो पीड़िता और उसके अधिवक्ताओं के अनुसार शर्तों का उल्लंघन था।

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