/sootr/media/media_files/2025/12/07/arab-sagar-2025-12-07-18-01-06.jpeg)
Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में समुद्र का आगमन अब एक कदम और करीब है। कच्छ के रण से लेकर लूणी और जवाई नदियों तक प्रस्तावित 615.445 किमी लंबे नेशनल वाटरवे-48 और इसके तहत बनने वाले इनलैंड पोर्ट प्रोजेक्ट से जुड़ा पर्यावरणीय संकट बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
हाइड्रोग्राफिक सर्वे रिपोर्ट की चेतावनी
इस परियोजना का उद्देश्य राजस्थान को अरब सागर से जोड़ना है, लेकिन इस योजना के तहत होने वाले परिवर्तनों और संभावित खतरों ने पर्यावरण विशेषज्ञों को चिंतित किया है। तोजो विकास इंटरनेशनल प्रा. लि. ने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण को एक हाइड्रोग्राफिक सर्वे रिपोर्ट सौंपी, जिसमें इस परियोजना के पर्यावरण पर गहरे प्रभाव की चेतावनी दी गई है।
राजस्थान में मतदाता डिजिटाइजेशन का काम 97 प्रतिशत पूरा, देश में SIR में पहले पायदान पर प्रदेश
योजना में ये जगह शामिल
इस जलमार्ग का विस्तार गुजरात के कोटेश्वर से शुरू होकर कच्छ के रण, लूणी और जवाई नदियों के रास्ते होते हुए जालोर के संकरना पुल तक जाएगा। इस परियोजना का प्रभाव कई शहरों और क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिनमें बालोतरा, सिणधरी, समदड़ी, सिवाना, जसवंतपुरा, सांचौर, बागोड़ा, भीनमाल और जालोर शामिल हैं।
राजस्थान में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट, क्या 2028 को लेकर बड़ी तैयारी कर रहे हनुमान बेनीवाल
औद्योगिक अपशिष्ट से बढ़ेगा संकट
लूणी नदी पहले ही टेक्सटाइल और रासायनिक प्रदूषण से अत्यधिक प्रभावित है। बालोतरा के बाद इस नदी का पानी खारे पानी में बदल जाता है। अब यदि इनलैंड पोर्ट प्रोजेक्ट से औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि होती है, तो इसका प्रभाव और बढ़ेगा। इससे अपशिष्ट की मात्रा में वृद्धि होगी, जो भूजल में खारेपन का रिसाव बढ़ा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप बालोतरा और जालोर इलाके में पेयजल संकट गंभीर हो सकता है।
भूमि बंजर होने का खतरा
इस जलमार्ग परियोजना से राजस्थान में भूमि की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अगर समुद्र का खारा पानी नहरों के माध्यम से रेगिस्तानी इलाकों में पहुंचता है, तो इससे भूजल स्तर बढ़ने के बावजूद यह पानी पीने योग्य या कृषि के लिए उपयोगी नहीं रहेगा। इससे भूमि बंजर होने का खतरा पैदा हो सकता है और रेगिस्तानी वनस्पतियां खारे वातावरण में जीवित नहीं रह पाएंगी।
राजस्थान प्रशासनिक सेवा में बड़ा बदलाव, 18 RAS अफसरों को पदोन्नति के बाद मिली नई पोस्टिंग
संवेदनशील पर्यावरणीय जोन में हस्तक्षेप
कच्छ का रण, नीर-काला डूंगर, गंधव, गोलिया, सिवाना, समदड़ी, भीनमाल और जालोर क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय महत्व के इको-हैबिटेट हैं। इन क्षेत्रों में ग्रेटर फ्लेमिंगो का विश्व प्रसिद्ध घोंसला क्षेत्र स्थित है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारी मशीनरी, भूमि अधिग्रहण, और औद्योगिक गतिविधियों से इन प्राकृतिक आवासों को गहरी क्षति पहुंच सकती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करेगा।
मालदीव्स जैसा लगता है राजस्थान का चाचाकोटा, शानदार नजारे देख हो जाएंगे हैरान
पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव
अगर समुद्र का खारा पानी रेगिस्तान में पहुंचता है, तो यह मीठे जल स्रोतों को दूषित कर सकता है। इससे मिट्टी की लवणता बढ़ेगी, भूमि बंजर होगी और प्राकृतिक वनस्पतियां नष्ट हो जाएंगी। इसके अलावा, खाद्य श्रृंखला पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे स्थानीय प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस परियोजना के चलते राजस्थान की पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है।
प्रमुख बिंदु
प्रत्याशित जलमार्ग : कच्छ के रण से लूणी और जवाई नदी तक
पर्यावरणीय प्रभाव : औद्योगिक प्रदूषण, भूमि बंजर होने का खतरा
संवेदनशील क्षेत्र : कच्छ का रण, सिवाना, समदड़ी, भीनमाल और जालोर
संभावित समस्या : खारे पानी का रिसाव और प्राकृतिक आवासों पर असर
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us