राजस्धान में विशेषज्ञों की कमी, फिर कैसे हो आयुर्वेद सर्जरी : जानिए पूरी कहानी

राजस्थान के आयुर्वेदिक अस्पतालों में सर्जरी की सेवाएं अधिकांश जिलों में ठप हैं, विशेषज्ञों की नियुक्ति में देरी और संसाधनों की कमी के कारण आयुर्वेद को मुख्यधारा चिकित्सा का विकल्प बनने में कठिनाई हो रही है।

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Gyan Chand Patni
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राजस्थान में आयुर्वेद सर्जरी की सेवाएं ठीक से नहीं चल रही हैं। राज्य सरकार ने आयुष विभाग के तहत विभिन्न जिलों में सर्जरी विशेषज्ञों के पद तो निर्धारित कर दिए, लेकिन नियुक्तियों में देरी और संसाधनों की कमी के कारण जिला स्तर पर आयुर्वेद सर्जरी की सेवाएं ठप हो गई हैं। जयपुर जैसे कुछ बड़े शहरों को छोड़कर, प्रदेश के अन्य जिलों में आयुर्वेदिक सर्जरी की पद्धतियां न के बराबर हैं।

प्रभावी, लेकिन सेवाओं का विस्तार नहीं

आयुर्वेद सर्जरी कई गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, पाइल्स, फिस्टूला, हर्निया, स्त्री रोग आदि के इलाज में प्रभावी मानी जा रही हैं, लेकिन इन सेवाओं का विस्तार राज्य के अधिकांश जिलों में नहीं हो सका है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जिला अस्पतालों में आयुर्वेद सर्जरी सेवाएं दी जाएं, तो यह एक प्रभावी और सस्ता विकल्प बन सकती है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जहां मरीजों को लंबी प्रतीक्षा सूची और इलाज के लिए उच्च लागत का सामना करना पड़ता है।

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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में सर्जरी की संख्या बढ़ी

राजधानी जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान और अन्य आयुर्वेदिक अस्पतालों में आयुर्वेद सर्जरी की संख्या बढ़ी है। यहां कैंसर, स्त्री रोग, पाइल्स, फिस्टूला, फिशर और हर्निया जैसी बीमारियों के इलाज के लिए नियमित रूप से सर्जरी की जा रही हैं। 

संस्थान के शल्य विभाग में प्रतिमाह औसतन 60 से 80 सर्जरी की जा रही हैं। जयपुर के जोरावर सिंह गेट स्थित आयुर्वेद अस्पताल में कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां मरीज केवल आयुर्वेदिक दवाओं का ही सहारा नहीं ले रहे हैं, बल्कि ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी भी करवा रहे हैं।

58 प्रकार की सर्जरी करने का अधिकार

भारत सरकार और भारतीय चिकित्सा आयोग के द्वारा आयुर्वेद सर्जरी विशेषज्ञों को 58 प्रकार की सर्जरी करने का अधिकार दिया गया है। 2016 में केंद्रीय आयुर्वेदिक चिकित्सा परिषद (CCIM) ने आयुर्वेद में एमएस (सर्जरी) विशेषज्ञता की शुरुआत की थी। 

बीएएमएस (BAMS) पाठ्यक्रम में भी औषधि-सर्जरी पढ़ाई जाती है और स्नातकोत्तर डिग्री (एमएस) भी दी जाती है।

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कागजों पर योजनाएं

आयुष विभाग ने प्रदेश के 33 जिलों में आयुर्वेद सर्जरी यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन यह योजना कागजों तक ही सीमित रह गई है। अधिकांश जिलों में सर्जरी यूनिट तो बन गए हैं, लेकिन इनमें डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो पाई है।

 कई जगह भवन तो बनाए गए हैं, लेकिन कर्मचारियों की कमी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि आयुर्वेद सर्जरी को जिला अस्पतालों में बढ़ावा दिया जाए तो यह एक सशक्त और किफायती चिकित्सा पद्धति के रूप में सामने आ सकती है।

राजस्थान में आयुर्वेद सर्जरी प्रमुख बिंदु:

  • भारत सरकार और CCIM ने आयुर्वेद के सर्जरी विशेषज्ञों को 58 प्रकार की सर्जरी करने का अधिकार दिया है।
  • 33 जिलों में आयुर्वेद सर्जरी यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव है, लेकिन अधिकांश यूनिट्स में नियुक्तियों की कमी है।
  • जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में प्रतिमाह 60-80 सर्जरी की जाती हैं, जिनमें कैंसर और स्त्री रोग जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज शामिल है।

FAQ

1. राजस्थान में जिला स्तर पर क्या स्थिति है ?
आयुर्वेद सर्जरी के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति में देरी हो रही है क्योंकि अधिकांश जिलों में पद तो निर्धारित किए गए हैं, लेकिन नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। इसके कारण आयुर्वेद सर्जरी सेवाएं अधिकांश जिलों में उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
2. आयुर्वेद सर्जरी कितनी प्रभावी है?
आयुर्वेद सर्जरी पद्धतियां कैंसर, स्त्री रोग, पाइल्स, फिस्टूला, हर्निया जैसी बीमारियों के इलाज में प्रभावी मानी जाती हैं। खासकर, यह पद्धतियां ग्रामीण क्षेत्रों में एक किफायती और सुरक्षित विकल्प प्रदान कर सकती हैं।
3. जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में क्या स्थिति है?
जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में आयुर्वेद सर्जरी की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां हर माह औसतन 60 से 80 सर्जरी की जाती हैं, जिनमें ब्रेस्ट कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का इलाज शामिल है।

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