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Photograph: (the sootr)
Jaipur. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 40 साल से ज्यादा समय से राजस्थान की राजनीति में सिरमौर बने हुए हैं। इस दौरान अनेक उतार-चढ़ाव, समर्थन तथा विरोध के बावजूद वह राजस्थान के तीन बार सीएम रह चुके हैं। कांग्रेस पार्टी में उनके विरोधियों की कमी भी नहीं रही। इनमें से ही एक पूर्व मंत्री दिवंगत भरत सिंह कुंदनपुर भी माने जाते थे।
पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ईमानदारी और स्पष्टवादिता के लिए तो मशहूर थे, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार उनकी पहचान गहलोत के विरोधी के रूप में रही। कोटा के वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र राहुल ने भरत सिंह के निधन के बाद सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा है कि गहलोत के प्रति नाराजगी जताने के लिए भरत सिंह हर महीने अपना सिर मुंडवा कर बाल एक लिफाफे में रखकर गहलोत को भेजते थे।
भरत सिंह ने विरोध में की थी कोटा में रैली
धीरेंद्र राहुल ने सोशल मीडिया पर यह रहस्य पूर्व मंत्री भरत सिंह के बाल काटने वाले ​बल्लू बार्बर के हवाले से खोला है। बल्लू 30 साल से भरत सिंह के घर जाकर उनकी हजामत बनाता था। पोस्ट के अनुसार, बल्लू के हवाले से बताया कि महीने-सवा महीने में भरत सिंह फोन करके उसे बुला लेते थे। उससे खूब बात करते थे। भरत सिंह के विश्वस्त सहायक रघुवीर भी बल्लू बार्बर से कहता था कि साहब जितनी बातें तुमसे करते हैं, किसी और से नहीं करते।
गहलोत से कम नहीं हुई थी नाराजगी
धीरेंद्र राहुल के मुताबिक, बल्लू उन्हें बताता है कि भरत सिंह ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के खिलाफ कार्रवाई और खान की झो​पड़ियों को बारां से निकालकर कोटा जिले में जोड़ने की मांग को लेकर कोटा में रैली की थी। इसमें उन्होंने घोषणा की कि जब तक मुख्यमंत्री गहलोत उनकी मांगें नहीं मान लेते, तब तक वह सिर मुंडवाते रहेंगे। यह बात तो सब को मालूम थी, लेकिन यह बात कम ही लोग जानते होंगे कि राजस्थान में सत्ता हस्तांतरण के बाद भी भरत सिंह की नाराजगी गहलोत से कम नहीं हुई थी।
लिफाफे में भेजते थे बाल, नहीं उठाया फोन
धीरेंद्र राहुल लिखते हैं कि भरत सिंह हर महीने-सवा महीने में बल्लू को बुलाते। बल्लू पानी लगाकर उनके सिर के सारे बाल काट देता। इसके बाद सहायक रघुवीर बाल एकत्र कर उन्हें एक लिफाफे में भरता। उस लिफाफे पर पहले से ही गहलोत का जयपुर का पता लिखा होता था। रघुवीर उस लिफाफे को स्पीड पोस्ट करके आता। पिछले महीने तक भी वह गहलोत को अपने बाल भेजकर अपनी नाराजगी जताते रहे थे।
जब भरत सिंह बीमार हुए तो उन्हें कोटा मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया। हीमोग्लोबिन कम रह रह गया था तो रक्त चढ़ाया गया। यह बात जब जयपुर में गहलोत को पता चली तो उन्होंने भरत सिंह से बात करने के लिए दो बार फोन किया, लेकिन भरत सिंह तो भरे बैठे थे। उन्होंने गहलोत से बात नहीं की।
जयपुर में हालचाल जानने पहुंचे थे गहलोत
सोशल मीडिया पोस्ट में बताया गया कि कोटा मेडिकल कॉलेज से घर लौटने के बाद जब बल्लू उनका सिर घोंटने पहुंचा तो भरत सिंह ने बल्लू से कहा था कि गहलोत ने मुझे दो बार फोन किया, लेकिन मैंने नहीं उठाया। फिर अपने किए पर खेद जताते हुए कहा कि आखिर गहलोत ने मेरा बिगाड़ा क्या है? जो मैं उनसे इतना नाराज हूं! मुझे उनसे बात करनी चाहिए थी।
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अस्पताल मिलने पहुंचे गहलोत
भले ही भरत सिंह नाराज रहे हों, लेकिन गहलोत को जयपुर में जैसे ही पता चला कि भरत सिंह सवाई मानसिंह हाॅस्पिटल में भर्ती हैं तो वे उनसे मिलने पहुंचे। भरत सिंह की मृत्यु के बाद गहलोत ने अपनी पोस्ट में लिखा भी है कि उनका स्वास्थ्य सुधर रहा था और यह खबर आ गई। इसके बाद उनके अंतिम संस्कार में गहलोत सहित दोनों ही पार्टियों के अधिकांश नेता शामिल हुए।
गहलोत-धारीवाल-भाया से नाराजगी
धीरेंद्र राहुल ने द सूत्र को बताया कि पूर्व मंत्री भरत सिंह किसी न किसी मुद्दे को लेकर गहलोत, शांति धारीवाल और प्रमोद जैन भाया से नाराज थे। पूर्व मंत्री धारीवाल से उनकी नाराजगी कोटा के एक गार्डन में ट्रेन चलाने को लेकर थी। वे उनके खिलाफ खूब सार्वजनिक बयानबाजी करते थे। हालांकि बाद में विरोध में बयान देना बंद कर दिया। पूर्व मंत्री और अब अंता विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया से भी उनकी नाराजगी जगजाहिर थी।
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समझौतावादी नहीं थे भरत सिंह
राहुल कहते हैं कि भरत सिंह समझौतावादी नहीं थे। वे अपनी पार्टी में कोई बात बुरी लगती थी तो खुलकर बोलते थे। उनकी स्पष्टवादिता लोगों को भाती थी। हालांकि भरत सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्हें उनके अच्छे कामों और सिद्धांतों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। गौरतलब है कि भरत सिंह का छह अक्टूबर की रात को निधन हो गया था।