भरतपुर के किसान ने कर दिया कमाल, इजरायली कनक गेहूं से की रिकॉर्ड पैदावार, विदेशों तक मांग

राजस्थान के भरतपुर जिले के पीपला गांव के प्रगतिशील किसान दिनेश चंद तैनगुरिया ने इजराइल से मंगाए गए विशेष इजरायली कनक गेहूं से शानदार परिणाम हासिल किए हैं।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Bharatpur. राजस्थान की उपजाऊ धरती ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि नवाचार और किसान की मेहनत मिलकर कैसे नए कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं। भरतपुर जिले के पीपला गांव के प्रगतिशील किसान दिनेश चंद तैनगुरिया ने इजराइल से मंगाए गए विशेष इजरायली कनक गेहूं से शानदार परिणाम हासिल किए हैं। 

34 क्विंटल प्रति एकड़ का रिकॉर्ड उत्पादन कर उन्होंने साबित कर दिया कि मेहनत और विज्ञान के मेल से कृषि में नई राह खोली जा सकती है। अब उनके इस खास किस्म के गेहूं की मांग केवल राजस्थान के विभिन्न राज्यों से ही नहीं, बल्कि नेपाल तक से हो रही है।

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इजरायली कनक की बढ़ती लोकप्रियता

तैनगुरिया ने बताया कि दो साल पहले उन्होंने इजराइल से इस विशेष गेहूं का बीज मंगवाया था। यह बीज उन्होंने लगभग 700 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा था। पहले साल ट्रायल के तौर पर इस बीज का उपयोग किया और परिणाम बेहतर मिलने के बाद उन्होंने इसे इस साल एक एकड़ में बोने का निर्णय लिया। इस एक एकड़ में उन्होंने 34 क्विंटल गेहूं का उत्पादन किया, जो शानदार उपलब्धि है। पारंपरिक गेहूं की वैरायटी से यह लगभग दोगुनी पैदावार है, जिससे दिनेश का यह प्रयास अब अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।

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विशेष गुण और फसल की गुणवत्ता

इजरायली कनक गेहूं के दाने का आकार अन्य गेहूं से काफी अलग है। यह दाना बड़ा, मोटा और लालिमा लिए हुए चमकदार होता है, जिससे इसे पकड़ते ही अलग पहचान मिल जाती है। साधारण गेहूं की बालियां लगभग 3-4 इंच की होती हैं, जबकि इजरायली कनक की बालियां 6 से 12 इंच तक की होती हैं। पौधे की ऊंचाई भी अधिक होती है और इसके तने की मोटाई ऐसी होती है कि यह हवा और बारिश के दौरान गिरता नहीं है। इससे फसल को नुकसान होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

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फसल के बढ़ने की प्रक्रिया

इस विशेष किस्म की फसल को 125 दिनों में पकने के लिए चारे और पानी की आवश्यकता होती है। पहला पानी अंकुरण के बाद, दूसरा बढ़ने के दौरान, तीसरा फूल आने के समय और चौथा दाना बनने के समय दिया जाता है। इस फसल की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक है।

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मांग बढ़ी और अंतरराष्ट्रीय पहचान

तैनगुरिया का बीज झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश (अलीगढ़) और नेपाल तक भेजा जा चुका है। हाल ही में सऊदी अरब से भी बीज की मांग आई है, जहां भारतीय किसान इसे प्राप्त करने के इच्छुक हैं। एक छोटे से गांव का यह बीज अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहा है और देशभर में किसान इसकी फसल लगाने के लिए उत्साहित हैं।

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आत्मनिर्भरता की ओर कदम

तैनगुरिया मानते हैं कि यदि किसान नई तकनीक अपनाने से झिझकेंगे नहीं तो खेती में बदलाव निश्चित है। उनका कहना है कि बीज बहुत हैं, लेकिन सही बीज वही है, जो उत्पादन और वजन दोनों में बढ़ोतरी करे। यह थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन एक बार इस बीज को बोने के बाद किसान अगली बार खुद बीज रख सकता है। यह असली आत्मनिर्भरता है। भरतपुर और आसपास के क्षेत्रों में तैनगुरिया की पहल को अब एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। उनके खेत पर कई किसान आकर इस नई वैरायटी को देख चुके हैं और बीज खरीदने के बारे में जानकारी ले रहे हैं।

FAQ

1. इजरायली कनक गेहूं का क्या खासियत है?
इजरायली कनक गेहूं के दाने बड़े, मोटे और चमकदार होते हैं, और इसकी बालियां 6 से 12 इंच तक लंबी होती हैं, जो सामान्य गेहूं से कहीं ज्यादा होती हैं।
2. इस गेहूं की फसल कब और कैसे उगाई जाती है?
इजरायली कनक की फसल को 125 दिनों में उगाया जाता है और इसकी बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक है। इस फसल को चार पानी की आवश्यकता होती है।
3. इजरायली कनक की मांग कहां से आ रही है?
इस बीज की मांग राजस्थान के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, नेपाल और सऊदी अरब से भी हो रही है। यह बीज अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहा है।

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