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Photograph: (the sootr)
Bhilwara. राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक डॉक्टर को 11 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। यह घूस मुख्यमंत्री आरोग्य योजना के तहत लंबित बिलों के समायोजन के बदले ली जा रही थी। डॉक्टर पंकज छीपा को एसीबी ने सिद्धि विनायक हॉस्पिटल के प्रबंधक से रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा।
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एसीबी का ऑपरेशन और गिरफ्तारी
भीलवाड़ा जिले के निजी अस्पताल में यह मामला सामने आया, जिसमें डॉक्टर पंकज छीपा को मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत लंबित बिलों के लिए रिश्वत लेते पकड़ा गया। एसीबी ने जानकारी प्राप्त करने के बाद इस मामले में तुरंत कार्रवाई की।
मुख्यमंत्री आरोग्य योजना में धोखाधड़ी
मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत बिलों का समायोजन और भुगतान का काम सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगते हुए डॉक्टर पंकज छीपा ने निजी अस्पताल के संचालक से रिश्वत की मांग की थी।
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रिश्वत की राशि और मांग
डॉक्टर पंकज छीपा ने कहा कि अगर अस्पताल का बिल सही नहीं किया गया, तो उनका अस्पताल डीपैनल हो सकता है और भविष्य में मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में उनका अस्पताल अनटाइटल हो जाएगा। इस डर का फायदा उठाते हुए डॉक्टर ने 14 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी।
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11 लाख और फिर गिरफ्तारी
हालांकि एसीबी टीम ने 11 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए डॉक्टर पंकज छीपा को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद एसीबी ने डॉक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और मामले की गहन जांच शुरू कर दी। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश भेजने के रूप में देखी जा रही है।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्रवाई
एसीबी अजमेर के सीआई नरपत सिंह चारण ने बताया कि इस प्रकार के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की जा रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और किसी को भी कानून से ऊपर नहीं माना जाएगा। एसीबी का एक्शन जारी है। मामले में अन्य आरोपियों का भी पता लगाया जा रहा है।
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मुख्य बिंदु
- रिश्वत की मांग करना अपराध है। आयुष्मान योजना के तहत बिलों की वैधता के लिए रिश्वत लेना भ्रष्टाचार है और इस पर कड़ी कार्रवाई की जाती है।
- डॉक्टर पंकज छीपा को 11 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। यह रिश्वत मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के लंबित बिलों के पास करवाने के लिए ली जा रही थी।
- अगर जांच में अस्पताल के खिलाफ कोई गंभीर अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है और उसे भविष्य में योजना से बाहर कर दिया जा सकता है।
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