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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में एक अनोखी राजनीतिक घटना घटी, जब दुकानदारों को वेज बिरयानी के बोर्ड को बदलकर वेज पुलाव लगाना पड़ा। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब कुछ लोग स्थानीय दुकानों पर लगे वेज बिरयानी के साइन बोर्ड पर आपत्ति जताने पहुंचे। उनका कहना था कि बिरयानी शब्द से नॉनवेज का संदेह उत्पन्न होता है, इसलिए साइन बोर्ड पर बिरयानी शब्द के स्थान पर पुलाव शब्द लिखा जाए।
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विवाद के पीछे का कारण
भीलवाड़ा शहर के पन्नाधाय सर्किल पर स्थित लॉरियों के साइन बोर्ड पर वेज बिरयानी लिखे हुए थे, जो कुछ स्थानीय समर्थकों को नापसंद आया। उनका कहना था कि चूंकि बिरयानी और पुलाव दोनों ही फारसी शब्द हैं और अर्थ में समान होते हुए भी बिरयानी शब्द में नॉनवेज का संदेह हो सकता है। इस विवाद के बाद स्थानीय विधायक और उनके समर्थकों ने साइन बोर्ड बदलवाने के लिए दुकानदारों पर दबाव डाला और अंत में वेज पुलाव का बोर्ड लगाया गया।
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निर्दलीय विधायक कोठारी का अभियान
इस बिरयानी विवाद का मुख्य कारण निर्दलीय विधायक अशोक कोठारी का नेतृत्व था, जो आरएसएस समर्थित विचार परिवार से आते हैं। उन्होंने इस मुद्दे को उठाया और अपने समर्थकों के साथ पन्नाधाय सर्किल पहुंचे। यहां पर भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के पूर्व महामंत्री सत्यनारायण गूगड़ ने भी इस मुद्दे को उठाया और दुकानदारों से साइन बोर्ड बदलने की मांग की।
विवाद का समाधान और कार्रवाई
इस पूरे घटनाक्रम के बाद विधायक अशोक कोठारी ने फूड इंस्पेक्टर को मौके पर भेजा और सैंपल लेने के आदेश दिए। इसके बाद अगले दिन सभी लॉरियों में वेज पुलाव के साइन बोर्ड लगाए गए। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि स्थानीय राजनीति और सामाजिक मुद्दे किस तरह से खाद्य पदार्थों से भी जुड़ सकते हैं।
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राजनीति और सामाजिक दृष्टिकोण
इस घटना ने राजनीति और सामाजिक मुद्दों को एक साथ जोड़ दिया है। एक ओर जहां राजनीतिक दल अपनी विचारधारा और समर्थन को बढ़ाने के लिए ऐसे मुद्दों को उठाते हैं, वहीं दूसरी ओर यह समाज में विभिन्न मतों और विचारों के बीच असहमति का कारण बन सकता है।
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मुख्य बिंदु
वेज बिरयानी विवाद : भीलवाड़ा में साइन बोर्ड पर विवाद
पुलाव का विकल्प : बिरयानी शब्द को हटाकर पुलाव का साइन लगाया गया
राजनीतिक दबाव : विधायक अशोक कोठारी का हस्तक्षेप
सामाजिक असहमति : बिरयानी और पुलाव शब्द के बीच का अंतर