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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के पश्चिमी इलाके में स्थित बाड़मेर जिले के लोग अब ऊंटनी के दूध को एक वरदान के रूप में देख रहे हैं। इस दूध का सेवन ना केवल स्वास्थ्य में सुधार कर रहा है, बल्कि यह लोगों के लिए आमदनी का भी एक अच्छा जरिया बन रहा है।
आयुर्वेद चिकित्सक (Ayurvedic Doctor) पंकज विश्नोई के अनुसार, ऊंटनी के दूध में प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की प्रचुर मात्रा होती है, जो इसे एक शक्तिशाली औषधि बनाती है। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने, पाचन तंत्र को मजबूत करने और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। आयुर्वेद में इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है और आधुनिक शोध भी इसके फायदों को साबित कर रहे हैं।
बाड़मेर में बदल रही जिंदगियां
बाड़मेर के जेठाराम देवासी ने ऊंटनी का दूध उपलब्ध कराकर न केवल अपनी जिंदगी बदल ली है, बल्कि उन्होंने सैकड़ों लोगों को भी स्वास्थ्य लाभ दिया है। उनके 150 ऊंटनियों से दूध निकलता है और लोग रोजाना इसका सेवन कर अपनी बीमारियों में राहत पा रहे हैं। रावताराम प्रजापत जैसे लोग जो लंबे समय से मधुमेह से जूझ रहे थे, अब ऊंटनी का दूध पीकर अपनी शुगर को नियंत्रित कर चुके हैं। वहीं पीराराम ने अपने घुटनों के दर्द में 90 फीसदी राहत पा ली है।
मोहनलाल और जगदीश की चमत्कारी कहानियां
मोहनलाल गर्ग बताते हैं कि ढाई साल पहले ऊंटनी का दूध पीने से उनकी नजर में सुधार हुआ है। वहीं जगदीश देवासी, जो पहले महंगी दवाइयां लेते थे, अब ऊंटनी के दूध से अपनी डायबिटीज को नियंत्रित कर पाए हैं।
जेठाराम का प्रयास: एक नई शुरुआत
जेठाराम देवासी बताते हैं कि शुरुआत में उनके पास सिर्फ 2-3 लोग ही आते थे, लेकिन अब रोजाना 30-35 लोग उनके पास ऊंटनी का दूध लेने आते हैं। उनके इस प्रयास से न केवल स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य लाभ हुआ है, बल्कि ऊंट पालन को भी बढ़ावा मिला है।
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ऊंटनी के दूध में क्या खास है?
क्या ऊंटनी का दूध सेहत के लिए लाभकारी है? इस पर आयुर्वेदिक चिकित्सक पंकज विश्नोई सलाह देते हैं कि इस दूध का सेवन व्यक्ति की पाचन शक्ति के अनुसार करना चाहिए। ऊंटनी के दूध में लैक्टोफेरिन, इम्यूनोग्लोबुलिन जैसे तत्व होते हैं, जो इसे सूजनरोधी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला बनाते हैं। यह दूध कैल्शियम और विटामिन डी का अच्छा स्रोत है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
चुनौतियां और भविष्य की राहत
ऊंटनी का दूध भले ही एक प्राकृतिक औषधि बन चुका हो, लेकिन इसके उत्पादन और वितरण में कई चुनौतियां हैं। ऊंट पालन एक पारंपरिक व्यवसाय है, जो अब आधुनिकता की चपेट में आकर कम हो रहा है। इसके उत्पादन को बढ़ाने और इसे बड़े पैमाने पर बाजार में उपलब्ध कराने के लिए और प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें।
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