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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के जयपुर में चूड़ी उद्योग के अंदर छिपा कड़वा सच एक बार फिर सामने आया है। भट्टा बस्ती क्षेत्र में अत्यधिक शोषण और बाल श्रम का शिकार बने 7 नाबालिग बच्चे कब्रिस्तान में छिपे मिले। ये बच्चे कथित रूप से कारखाने मालिक की अमानवीय प्रताड़ना से तंग आकर भाग निकले थे। इसके बाद स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने मौके पर पहुंचकर बच्चों को रेस्क्यू किया।
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कैसे हुआ पूरा खुलासा?
स्थानीय लोगों ने कब्रिस्तान में बदहवास हालत में बैठे बच्चों को देखा। संदिग्ध स्थिति को देख तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को इसकी सूचना दी गई। जानकारी मिलते ही भट्टा बस्ती थाना पुलिस और सीडब्ल्यूसी टीम वहां पहुंची। जांच में सामने आया कि बच्चों को कथित रूप से झांसे देकर बाहर के गांवों से जयपुर लाया गया था।
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बाल श्रम और मानव तस्करी की ओर इशारा
पूरी घटना बाल श्रम और चाइल्ड ट्रैफिकिंग की ओर संकेत करती है। बच्चों को बंद कमरे में रखा जाता था और लंबे समय तक काम कराया जाता था, जो बाल अधिकार कानून का गंभीर उल्लंघन है। बच्चे औद्योगिक क्षेत्र में श्रम के तौर पर लगे पाए गए। कथित रूप से 18-20 घंटे काम करवाया जाता था। बेसिक भोजन, आराम और शिक्षा से वंचित। बाहर निकलने की स्वतंत्रता नहीं।
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कानूनी रूप से अपराध
देश में बाल श्रम बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत गंभीर अपराध है। कानून के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी पूर्णत: प्रतिबंधित है। दोषी पाए जाने पर 20 हजार से 1 लाख तक जुर्माना। 2 से 5 साल तक की सजा का भी प्रावधान।
अगर आसपास दिखे बाल श्रम तो क्या करें?
अगर आपको कोई बच्च बाल श्रम करता दिखाई दे, तो सबसे पहले 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन पर संपर्क करें। पास के थाना या SHO को सूचना दें। CWC/DM कार्यालय में शिकायत दर्ज कराएं। बच्चे की सुरक्षा को प्राथमिकता दें। पहचान उजागर न करें।
पुलिस की अब तक की कार्रवाई
पुलिस ने बच्चों के प्राथमिक बयान दर्ज किए हैं और कथित आरोपी समसाद मियां के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अब उस स्थान की तलाश में जुटी है, जहां बच्चों को रखा गया था। जांच में कई और नाबालिगों के फंसे होने की आशंका जताई गई है। पुलिस जांच के बाद ही मामले में और खुलासा होने की उम्मीद है।
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