कमीशनखोरी : विधायकों के बाद अब अफसरों की खुली करतूत, 5 से लेकर 40 फीसदी तक मांग रहे हिस्सा

राजस्थान में विधायकों और अफसरों पर कमीशनखोरी के आरोपों से राजनीति गर्म। कमीशनबाजी के नए मामले में विधायकों के बाद अफसरों पर भी आरोप लग गए हैं। 5 से 10 और 40 प्रतिशत तक कमीशन के आरोप लगे हैं। जांच के बाद कार्रवाई की तैयारी।

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Amit Baijnath Garg
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Jaipur. राजस्थान में अब तक तीन विधायकों पर कमीशनखोरी के आरोपों के बाद अब अफसरों का नाम भी सामने आ रहा है। इस मामले में आरोप है कि अफसरों ने भी अपनी हिस्सेदारी की मांग की और 40 प्रतिशत कमीशन के बाद कार्य स्वीकृति की डील की। इन आरोपों के आधार पर स्टिंग ऑपरेशन के जरिए यह सारे मामले सामने आए। इसके बाद सरकार ने इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है। 

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कमीशन बिना काम नहीं

नागौर जिले के मूंडवा के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (सीबीईओ) कैलाश राम और करौली के जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) पुष्पेंद्र शर्मा पर भी यह आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने 5 से 10 प्रतिशत कमीशन में डील फाइनल की। कई अधिकारी 40 प्रतिशत तक कमीशन लेकर काम कर रहे हैं।

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विधायकों के पत्र पर अफसरों ने मांगा हिस्सा

विधायकों के द्वारा किए गए अनुशंसा पत्र पर अफसरों ने अपना हिस्सा मांगा। खींवसर से विधायक रेवंतराम डांगा के अनुशंसा पत्र पर मूंडवा के सीबीईओ कैलाश राम ने 5 प्रतिशत हिस्से की मांग की। वहीं हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव के अनुशंसा पत्र पर करौली के डीईओ पुष्पेंद्र शर्मा ने 10 प्रतिशत हिस्सा मांगा। 

स्टिंग ऑपरेशन और सरकार की कार्रवाई

स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तीनों विधायकों के विधायक फंड के खाते सीज कर दिए हैं और एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है, जो 15 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सदाचार समिति को जांच के आदेश दिए हैं। अब अफसरों के नाम सामने आने के बाद उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

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विकास कार्यों में कमीशन का खेल

स्टिंग ऑपरेशन करने वाले मीडिया समूह का दावा है कि विकास कार्यों के लिए स्वीकृत राशि का केवल 30 प्रतिशत ही असल काम में खर्च किया जाता है। शेष 70 प्रतिशत राशि विधायक, अफसर और फर्म के बीच कमीशन और मुनाफे के रूप में बांट दी जाती है। इसमें विधायक 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा लेते हैं, अफसरों का हिस्सा 10 से 15 प्रतिशत होता है और कार्य करने वाली फर्म को करीब 20 प्रतिशत मुनाफा जाता है।

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कमीशनखोरी का बड़ा असर

इस पूरी प्रक्रिया में केवल 30 प्रतिशत बची राशि का ही इस्तेमाल असल विकास कार्यों में होता है, जिससे सरकारी योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पाता। यह कमीशनखोरी न केवल विकास कार्यों को प्रभावित करती है, बल्कि आम जनता को भी इसका सीधा नुकसान होता है।

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मुख्य बिंदु

  • राजस्थान में विधायकों और अफसरों पर कमीशनखोरी का आरोप है, जिसमें स्वीकृत राशि का एक बड़ा हिस्सा कमीशन और मुनाफे में बंट जाता है, जिससे असल विकास कार्यों में कमी होती है।
  • इस मामले में मूंडवा के सीबीईओ कैलाश राम और करौली के डीईओ पुष्पेंद्र शर्मा का नाम सामने आया है, जिन्होंने क्रमशः 5 और 10 प्रतिशत कमीशन लिया है।
  • राजस्थान सरकार ने विधायकों के फंड को सीज कर दिया है और अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की गई है, जो रिपोर्ट 15 दिन में पेश करेगी।
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