मेवाड़ में गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस, कई खेमों में बंटी पार्टी पर भाजपा की सियासत भारी, अब आगे क्या?

राजस्थान के मेवाड़ में कांग्रेस ने नया नेतृत्व बनाने की कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन गुटबाजी की सूरत में पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्या नए बदलाव कांग्रेस को मजबूती देंगे या पुरानी समस्याएं कायम रहेंगी?

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Udaipur. राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के नए सिपहसालारों की तलाश शुरू हो गई है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने महाराष्ट्र कांग्रेस की नेता यशोमती ठाकुर को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है, जबकि पीसीसी महासचिव चेतन डूडी, सचिव गोविंद डागा और एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष अभिषेक चौधरी भी पार्टी के सहयोगी के रूप में काम करेंगे। इन सबका मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों में पार्टी की जड़े मजबूत करना है।

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अब होगी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति

पार्टी के नए नेतृत्व की जिम्मेदारी अब जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए तय की गई है, और अगले कुछ दिनों में जिलाध्यक्षों के नाम घोषित किए जाएंगे। लेकिन कांग्रेस पार्टी के भीतर बंटे हुए गुटों और गहरी गुटबाजी के कारण, यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस मेवाड़ में अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएगी या फिर गुटबाजी के चलते एक बार फिर चुनावी नुकसान उठाएगी?

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कांग्रेस कमजोर, भाजपा मजबूत

पिछले एक दशक से मेवाड़ में कांग्रेस की स्थिति कमजोर रही है। खासकर सात सीटों वाले उदयपुर जिले में पार्टी के पास महज दो विधायक हैं। 2008 के विधानसभा चुनावों के अलावा, कांग्रेस को कभी भी चुनावी सफलता नहीं मिली। पिछले कुछ चुनावों में पार्टी को महज दो सीटों से संतोष करना पड़ा।

भाजपा का मेवाड़ पर प्रभाव कायम

इसके विपरीत, भाजपा ने मेवाड़ में अपना प्रभाव कायम रखा है। जिले की पांच सीटों पर भाजपा के विधायक हैं और उदयपुर शहर भाजपा का अजेय गढ़ बना हुआ है। उदयपुर ग्रामीण सीट पर भी भाजपा लगातार जीत रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा ने अपनी जड़ें मेवाड़ में मजबूत कर दी हैं, जबकि कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है।

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कांग्रेस में गुटबाजी, नेतृत्व की समस्या

मेवाड़ में कांग्रेस में गुटबाजी एक पुरानी समस्या बन चुकी है। पार्टी के तीन प्रमुख नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास और पूर्व सांसद रघुवीर मीणा हमेशा से पार्टी के फैसलों में दखल देते रहे हैं। चाहे संगठनात्मक नियुक्तियां हों या विधानसभा और लोकसभा के उम्मीदवारों का चयन, इन तीनों नेताओं ने हमेशा अपने करीबी नेताओं को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। 

गुटबाजी को और गहरा किया

इन तीनों नेताओं के अधिक दखल ने पार्टी के भीतर गुटबाजी को और गहरा किया है। बताया जाता है कि मौजूदा शहर अध्यक्ष फतह सिंह राठौड़ की ताजपोशी में रघुवीर मीणा की बड़ी भूमिका रही थी, जबकि देहात अध्यक्ष कचरूलाल चौधरी को सीपी जोशी गुट का माना जाता है। अब, जब गिरिजा व्यास का निधन हो चुका है, तो जोशी और मीणा गुटों के बीच सक्रियता बढ़ गई है, जिससे पार्टी के भीतर की स्थिति और भी जटिल हो गई है।

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कांग्रेस का आंतरिक संकट

कांग्रेस की स्थिति को लेकर पार्टी के प्रदेश महासचिव पंकज शर्मा का कहना है कि मेवाड़ में कांग्रेस एकजुट है और सभी पार्टी के नेता मिलकर इसे मजबूत करेंगे। एआईसीसी की नियुक्ति के बाद यशोमती ठाकुर जल्द ही उदयपुर में बैठक कर पार्टी के कार्यकर्ताओं से संगठनात्मक चुनाव पर चर्चा करेंगी। यह भी स्पष्ट है कि जब तक पार्टी के भीतर गुटबाजी का मुद्दा हल नहीं होगा, तब तक चुनावी सफलता प्राप्त करना एक चुनौती बना रहेगा।

FAQ

1. मेवाड़ में कांग्रेस की वर्तमान स्थिति क्या है?
मेवाड़ में कांग्रेस की स्थिति पिछले एक दशक से कमजोर रही है। पार्टी को चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा है, जबकि भाजपा ने अपने प्रभाव को मजबूत किया है।
2. कांग्रेस पार्टी ने मेवाड़ में बदलाव के लिए कौन से कदम उठाए हैं?
कांग्रेस ने मेवाड़ में नेतृत्व परिवर्तन के लिए यशोमती ठाकुर को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है और जिलाध्यक्षों के नामों का चयन करने के लिए जिम्मेदारी दी है।
3. मेवाड़ में कांग्रेस के गुटबाजी का क्या असर होगा?
कांग्रेस के भीतर गुटबाजी और नेतृत्व की समस्या चुनावी सफलता में रुकावट डाल सकती है। पार्टी को एकजुट होकर कार्यकर्ताओं को मजबूत करने की जरूरत है।

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