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Jaipur. राजस्थान में कांग्रेस के "संगठन सृजन अभियान" के तहत नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर पार्टी में एक नई सियासी हलचल शुरू हो गई है। लगभग सभी जिलों में एआइसीसी (AICC) पर्यवेक्षकों ने जिलों में बैठकों का आयोजन शुरू कर दिया है, जिससे पार्टी की पुरानी गुटबाजी फिर से उजागर हो गई है। इन बैठकों में नेताओं के बीच आपसी खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। खासकर अजमेर और कोटा में रविवार को नेताओं के दो गुटों के बीच जमकर नारेबाजी, बहस और धक्का-मुक्की देखने को मिली।
गहलोत और पायलट खेमों की गुटबाजी
राज्य में चल रही कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर कुछ समय से खामोशी रही थी। लेकिन अब एक बार फिर इसने जोर पकड़ लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक सार्वजनिक रूप से आमने-सामने आ गए हैं। गहलोत खेमे और पायलट खेमे के बीच इस टकराव का सबसे बड़ा कारण जिलाध्यक्ष पद के लिए नामों को लेकर विरोधाभास और शक्ति प्रदर्शन की स्थिति बनना है। राजस्थान कांग्रेस की गुटबाजी सामने आ गई।
गहलोत ने हाल ही में चौमूं में एक टिप्पणी की थी कि पार्टी कार्यकर्ता यह सोचते हैं कि यदि एक नेता से मिलें, तो कहीं दूसरा नाराज न हो जाए। गहलोत की यह टिप्पणी पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी पर गंभीर सवाल उठाती है। उनके इस बयान के बाद, पार्टी में गुटों के बीच टकराव की स्थिति और भी बढ़ गई है।
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पर्यवेक्षकों के सामने नेताओं का शक्ति प्रदर्शन
कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत पर्यवेक्षक अपने-अपने जिलों में बैठक कर रहे हैं। इन बैठकों के दौरान, जिलाध्यक्ष पद के लिए हर नेता अपने-अपने समर्थकों के नामों की पैरवी कर रहा है। पर्यवेक्षकों के पास इन नामों की अंतिम रिपोर्ट भेजने की जिम्मेदारी है, जिससे हर नेता अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश कर रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अन्य जिलों में भी ऐसे टकराव देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि पार्टी की गुटबाजी और अंदरूनी राजनीति खुले तौर पर सामने आ रही है।
राज्य में कुल 50 जिलों के लिए एआइसीसी ने 30 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है, और कुछ पर्यवेक्षकों को दो-दो जिलों का प्रभार सौंपा गया है। वर्तमान में सवाई माधोपुर, डूंगरपुर और चित्तौड़गढ़ जैसे जिलों में पर्यवेक्षक नहीं पहुंचे हैं, लेकिन अगले दो-तीन दिन में वहां भी बैठकें शुरू हो जाएंगी।
अजमेर: गहलोत-पायलट समर्थक भिड़े
अजमेर में केंद्रीय पर्यवेक्षक अशोक तंवर की बैठक के दौरान अशोक गहलोत और सचिन पायलट समर्थकों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बन गई। रायशुमारी के दौरान, पायलट खेमे के पूर्व अध्यक्ष विजय जैन जब कार्यों का ब्योरा दे रहे थे, तभी गहलोत खेमे के धर्मेंद्र राठौड़ ने माइक लेकर बोलना शुरू कर दिया। इस पर दोनों पक्षों के बीच हंगामा हो गया और नारेबाजी व धक्का-मुक्की की स्थिति पैदा हो गई।
बैठक के दौरान गुस्साए नेताओं के बीच बहस तेज हो गई, जिसके बाद पर्यवेक्षक तंवर और विधायक रूपिंदर सिंह कुन्नर ने बीच-बचाव किया और स्थिति को शांत किया। इसके बावजूद इस घटना ने कांग्रेस में चल रही गुटबाजी को एक बार फिर उजागर किया।
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जयपुर में भी खींचतान तेज
राजधानी जयपुर में भी कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी की स्थिति बन गई है। यहां के शहर जिलाध्यक्ष को लेकर अंदरूनी राजनीति तेज हो गई है। कई विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशी खुद दावेदारी कर रहे हैं या अपने समर्थकों के जरिए पार्टी से अंदरूनी समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। अब यह संभावना जताई जा रही है कि जयपुर में भी गुटबाजी की स्थिति बन सकती है और पार्टी नेताओं के बीच घमासान हो सकता है।
कोटा : धारीवाल-गुंजल समर्थकों की नारेबाजी
कोटा में पार्टी कार्यालय में केंद्रीय पर्यवेक्षक की बैठक के दौरान विधायक शांति धारीवाल और पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल के समर्थक एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। लगभग 20 मिनट तक यह नारेबाजी जारी रही। बैठक में दोनों नेता अपने-अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे, जब गुंजल के समर्थकों ने अपने नेता के पक्ष में नारे लगाए, तो धारीवाल के समर्थकों ने भी जवाबी नारेबाजी शुरू कर दी।
यह स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पर्यवेक्षक को बैठक छोड़कर कमरे में जाना पड़ा। बाद में शांति धारीवाल ने कार्यकर्ताओं को शांत किया और कहा कि व्यक्तिगत नारेबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के पक्ष में नारे लगाए जाने चाहिए। इसके बाद धारीवाल भी बैठक छोड़कर चले गए।