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Photograph: (the sootr)
मुकेश शर्मा @ जयपुर
Jaipur. कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान के तहत राजस्थान में निर्वाचित जिला अध्यक्षों को बदलने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक 4 अक्टूबर से जिलों में रायशुमारी करेंगे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने प्रदेश के 50 संगठन जिलों के लिए 30 केंद्रीय पर्यवेक्षक लगाए हैं।
राजस्थान कांग्रेस में जिला अध्यक्ष 2022 में हुए संगठन चुनाव में पांच साल के लिए निर्वाचित हुए थे। पर्यवेक्षकों के दौरे से ठीक पहले पार्टी में सक्रियता बढ़ गई है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान के 50 जिलों के लिए 30 केंद्रीय पर्यवेक्षक लगाए हैं।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को बढ़ावा देने के ऐसे विशेष प्रयास करते रहे हैं। यह भी उनकी महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन यह भी सच है कि उनके अब तक के अधिकांश प्रयास विफल रहे हैं। वे पार्टी को स्थापित नेताओं के चंगुल से आजाद करवाने में सफल नहीं हुए हैं। पार्टी के अधिकांश बड़े और स्थापित नेता स्थापित व्यवस्था को बदलने नहीं देना चाहते।
सोच भी नहीं सकते कि...
कांग्रेस में यह सोचना भी नामुमकिन माना जाता है कि कोई केंद्रीय पर्यवेक्षक पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, पूर्व डिप्टी सीएम व एआईसीसी महासचिव सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह, विधायक हरीश चौधरी, पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, प्रमोद जैन भाया और रघु शर्मा जैसे नेताओं की मर्जी के बिना उनके प्रभाव या इच्छा वाले जिलों में जिला अध्यक्ष बना दे या बनाने की सिफारिश भी कर दे!
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि हर हाल में इनके स्वयं के और समर्थकों के जिलों में अध्यक्ष वही बनेंगे, जिसे यह नेता चाहेंगे। यह संभावना उस स्थिति में और भी ज्यादा मजबूत हो जाती है, जब राहुल गांधी विधायक व सांसदों के टिकट वितरण में जिला अध्यक्षों को ज्यादा ताकतवर बनाने की इच्छा जता चुके हैं।
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अपनों को बनाने की दौड़ शुरू
राजस्थान के सभी बड़े नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए जोड़-तोड़ बैठाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसके लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों को साधने की कोशिश तो शुरू हो ही गई हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि सभी बड़े नेताओं ने अपने-अपने पर्यवेक्षकों को लगवाया है। इसलिए उन्हें अपने चहेतों को जिला अध्यक्ष बनवाने में ज्यादा जोर नहीं आएगा।
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दावेदार जुटे संपर्क अभियान में
कांग्रेस पर्यवेक्षकों के दौरे से पहले ही जिलाध्यक्ष के दावेदारों ने बूथ, मंडल, ब्लॉक और जिला लेवल के नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। दावेदार और उनके साथी कार्यकर्ताओं को केंद्रीय पर्यवेक्षकों से अपने लिए बोलने को समझा रहे हैं। जि​ला अध्यक्ष की दावेदारी में मौजूदा अध्यक्षों सहित कई पूर्व विधायक और मंत्री तक शामिल हैं। हालांकि दावेदारों की सही संख्या और नामों का खुलासा पर्यवेक्षकों के दौरे के बाद ही होगा।
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सिफारिश नहीं चलने का दावा
संगठन सृजन अभियान राहुल गांधी का एक और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। उनकी कोशिश है कि बड़े नेताओं की सिफारिश से जिला अध्यक्ष बनाने की प्रवृत्ति पर रोक लगे, क्योंकि कांग्रेस में नेताओं की हां में हां भरने वालों को ही जिला अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक अध्यक्ष बनाया जाता है, लेकिन दावा ​किया जा रहा है कि अब जमीनी कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर मजबूत नेता को जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा।
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फीडबैक का आधार
केंद्रीय पर्यवेक्षक जिलों में बूथ, मंडल और ब्लॉक लेवल के कार्यकर्ताओं की अलग-अलग बैठक में जिलाध्यक्षों के दावेदारों का फीडबैक लेकर तीन नामों का पैनल तैयार करेंगे। पर्यवेक्षक अपनी तथ्यात्मक टिप्पणी के साथ रिपोर्ट नवंबर के दूसरे सप्ताह तक पार्टी हाईकमान को देंगे। इस फीडबैक के आधार पर जिलाध्यक्ष तय होंगे।