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Photograph: (the sootr)
राजस्थान सरकार द्वारा 106 दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर 50 पैसे का यूजर चार्ज लगाने के फैसले से अब विरोध तेज हो गया है। यह चार्ज न केवल आटा, बेसन, घी और तेल जैसी जरूरी वस्तुओं पर लागू किया गया है, बल्कि पोहा, मैगी, टोस्ट, बिस्कुट, कुरकुरे, और नमक जैसी रोजमर्रा की चीजें भी महंगी हो गई हैं।
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यूजर चार्ज का असर
व्यापारियों का कहना है कि इस यूजर चार्ज के लागू होने के बाद वस्तुओं की कीमतों में 10 से 20 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है, जो आम जनता की जेब पर सीधा असर डाल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यूजर चार्ज की वजह से पोहा की कीमत 60 से बढ़कर 63-65 रुपए, नारियल 35 से 42 रुपए, मैगी 15 से 18 रुपए, टोस्ट पैकेट 45 से 50-55 रुपए, बिस्किट 55 से 58 रुपए, कुरकुरे 10 से 12 रुपए और नमक 30 से बढ़कर 32 रुपए तक पहुंच जाएगा।
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व्यापारियों की हड़ताल
इस फैसले के विरोध में राज्य की कई कृषि उपज मंडियां अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई हैं। प्रमुख अनाज मंडियों में व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है, जिससे कालाबाजारी की आशंका भी बढ़ गई है। व्यापारियों का कहना है कि यूजर चार्ज के कारण व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह बोझ सीधे जनता पर डाल दिया गया है। उनका कहना है कि सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए अन्यथा व्यापार अन्य स्थानों पर शिफ्ट हो जाएगा और मंडियों की महत्ता समाप्त हो जाएगी।
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राज्य सरकार पर दबाव
यूजर चार्ज का विरोध अब पूरे प्रदेश में फैलने लगा है। जानकारों के मुताबिक, अगर जल्द ही इस मामले का समाधान नहीं किया गया, तो इसका असर पूरे प्रदेश की खाद्य आपूर्ति और महंगाई पर पड़ेगा। व्यापारी और ग्राहक दोनों ही इस नए चार्ज से परेशान हैं और सभी की निगाहें राज्य सरकार पर हैं कि वह इस पर जल्द कोई ठोस कदम उठाए।
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व्यापारियों का तर्क
व्यापारी यह मानते हैं कि यूजर चार्ज के कारण उनके व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और यह बोझ सीधा ग्राहकों पर डाला जा रहा है। उनका कहना है कि अगर यह स्थिति बनी रही तो व्यापार मंदी की ओर बढ़ सकता है और मंडियों की अहमियत भी घट जाएगी।
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राज्य सरकार की जिम्मेदारी
राज्य सरकार के सामने चुनौती है कि वह राजस्थान मंडियों में यूजर चार्ज के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए और इस मुद्दे पर व्यापारी और उपभोक्ताओं के बीच सहमति स्थापित करें। अगर सरकार समय रहते इस पर कार्रवाई करती है, तो खाद्य आपूर्ति और महंगाई की स्थिति पर काबू पाया जा सकता है।
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