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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के अलवर में बैंक खाता किराए पर देकर साइबर फ्रॉड कर चार करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन करने के मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इस संबंध में 20 लोगों ने अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थीं। ये सभी खाते सीज कर दिए गए हैं।
अलवर के पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने बताया कि ऑनलाइन ठगी, सेक्सटॉर्शन ओएलएक्स, साइबर फ्रॉड के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत ऑनलाइन ठगी करने के मामले में संदिग्ध खाताधारकों की जांच की गई, तो यह तथ्य सामने आए कि विभिन्न तरीकों से साइबर फ्रॉड करने वाले ठगों को कमीशन पर खाता उपलब्ध कराया जा रहा है। इसे लेकर मुकदमा दर्ज कर टीम गठित की गई।
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कमीशन पर उपलब्ध कराते थे खाते
इस मामले में जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें मालाखेड़ा थाना क्षेत्र में कालसाड़ा का नरेश मीणा, निठारी का जगदेव मीणा, बरखेड़ा का सत्येंद्र सैनी, नीरज कुमार सैनी और हितेश शामिल हैं। इसमें सतेंद्र सैनी और नीरज सैनी दोनों भाई हैं। आरोपियों द्वारा विभिन्न तरीकों से साइबर फ्रॉड करने वाली गैंग को किराए पर खाता, ईमेल अकाउंट उपलब्ध कराए जाते थे। बैंक खाताओं की करीबन 4 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का फ्रॉड संचालन में संलिप्तता पाई गई।
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साइबर फ्रॉड के मामले घटने का दावा
पुलिस अधीक्षक के अनुसार, इस संबंध में 20 लोगों की शिकायतों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। इस मामले की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिवानी कर रही हैं। बैंक खातों में कहां से कितना ट्रांजेक्शन (Transaction) हुआ है, इसकी जांच की जाएगी। इस मामले में बैंक कर्मचारियों की भूमिका और कौन-कौन लोग शामिल हैं, इन सबका पता लगाया जाएगा। जांच में यह पता चला कि पोर्टल पर अलवर में करीब 650 से अधिक जगह से साइबर फ्रॉड की गतिविधियों का अलर्ट आता था। अब 20 दिन में घटकर साइबर फ्रॉड की शिकायतों की संख्या 74 रह गई है।
बैंक अधिकारियों से अपील
पुलिस ने बैंक अधिकारियों से कहा है कि अगर कोई भी वैधानिक तरीके से ट्रांजेक्शन करे, तो उसकी सूचना देनी चाहिए, क्योंकि बैंक को भी इस बात की जानकारी होती है कि ट्रांजेक्शन किस तरीके का है। 15 अगस्त के बाद बैंक अधिकारियों को भी जागरुकता के लिए पुलिस अभियान चलाएगी।
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आईटी एक्ट में होंगे केस दर्ज
आजकल क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से भी साइबर फ्रॉड हो रहा है, जिसमें ब्लैक मनी को व्हाइट में करना होता है। हवाला की राशि ट्रांसफर करनी होती है। साइबर क्राइम के ज्यादातर मामलों में धारा 151 में आरोपी को बंद करने के मामले पर एसपी का कहना है कि पुलिस कार्रवाई कर इस सिस्टम को बंद कर अब उनके खिलाफ आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। अपराध को व्यवसाय के रूप में नहीं बनने दिया जाएगा।
खाते का किराया नहीं दिया तो अपहरण
यहां उल्लेखनीय है कि अपहरणकर्ताओं के कब्जे से मुक्त कराए एक आरोपी के मामले में यही बात सामने आई थी कि जिस आरोपी का अपहरण किया गया, वह दूसरे लोगों के बैंक खाते किराए पर लेता था और साइबर फ्रॉड करता था। किराए के पैसे नहीं देने के कारण उसका अपहरण किया गया था। बाद में पता चला कि वह खुद साइबर फ्रॉड का मास्टरमाइंड है।
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