आजादी के 75 साल बाद भी पक्की सड़क के लिए तरसता देवगंज, विधायक-सांसद से लेकर पीएम तक गुहार

राजस्थान के टोंक के देवगंज गांव में 75 सालों से पक्की सड़क का इंतजार। ग्रामीणों की उग्र आंदोलन की चेतावनी। कई बार शिकायतें फिर भी कोई समाधान नहीं। सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र में आता हैं गांव। कांग्रेस से हरीशचंद्र मीना हैं सांसद।

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Amit Baijnath Garg
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Tonk. राजस्थान के टोंक जिले का देवगंज गांव आजादी के 75 साल बाद भी एक पक्की सड़क का इंतजार कर रहा है। यह गांव टोंक विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से वर्तमान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट विधायक हैं। गांव तक पहुंचने वाली दो किमी लंबी सड़क न तो डामरीकरण से बनी है और ना ही सीमेंट कंक्रीट से। यह स्थिति ग्रामीणों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। उन्हें कई सालों से इस समस्या का समाधान न मिल सका।

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हर पार्टी के नेता ने की उपेक्षा

देवगंज के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने हमेशा भाजपा को वोट दिया है, फिर भी उनका गांव आज तक पक्की सड़क से वंचित रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि न तो उनके चुने गए विधायक और ना ही सांसद ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। अब जब कांग्रेस के विधायक सचिन पायलट और सांसद हरीश चंद्र मीणा निर्वाचित हुए हैं, तब भी हालात में कोई बदलाव नहीं आया है।

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कई बार की गई शिकायतें

ग्रामीणों ने अपनी परेशानियों को लेकर कई बार विधायक सचिन पायलट और सांसद हरीश चंद्र मीणा से शिकायत की है, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। अब तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बावजूद, गांव में सड़क निर्माण का कोई कार्य नहीं शुरू हुआ है।

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सामाजिक जीवन प्रभावित

देवगंज में सड़क की स्थिति ने न केवल आर्थिक विकास को प्रभावित किया है, बल्कि सामाजिक जीवन भी इससे प्रभावित हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि खराब सड़क के कारण कई युवाओं की शादी नहीं हो पाई, क्योंकि रिश्ते देखने के लिए लोग गांव में आने से कतराते हैं। कच्ची और कीचड़ से भरी सड़क देखकर रिश्तेदार लौट जाते हैं और ताने मारते हैं कि गांव में पक्की सड़क नहीं है।

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बच्चों की पढ़ाई पर संकट

देवगंज के स्कूल जाने वाले बच्चे भी सड़क की स्थिति से परेशान हैं। कच्चे रास्ते और गहरे गड्ढों के कारण बच्चे अक्सर गिरकर घायल हो जाते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई में भी दिक्कतें आती हैं। कई बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़कर निजी स्कूलों में दाखिला लिया है। इस समस्या से न केवल बच्चे, बल्कि उनके माता-पिता भी चिंतित हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय तक गुहार

ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को लेकर सरपंच से लेकर जिला कलेक्टर, जयपुर सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायतें भेजी हैं। पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा से भी शिकायत की गई, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

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उग्र आंदोलन की चेतावनी

देवगंज के निवासी रामस्वरूप जाट ने बताया कि उनका पूरा गांव भाजपा को वोट करता है, लेकिन 75 सालों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब ग्रामीणों ने ठान लिया है कि यदि सड़क का मुद्दा हल नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। यदि फिर भी समाधान नहीं मिलता है, तो आत्मदाह करेंगे।

आत्मदाह की चेतावनी

75 वर्षीय बद्रीलाल जाट ने कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में गांव में कभी पक्की सड़क नहीं देखी। बच्चों और वृद्धों को गिरकर चोटें आती हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। अब तो जीने से मरना ही अच्छा लगता है। सभी नेताओं से कहकर थक चुके हैं। अब आत्मदाह के अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आता है। 

छात्राओं की स्कूल छोड़ने की मजबूरी

देवगंज की छात्राएं अनीता और अपेक्षा चौधरी ने बताया कि गांव की 20 छात्राएं पड़ोस के मंडावरा गांव में सरकारी स्कूल में पढ़ने जाती थीं, लेकिन सड़क की खराब स्थिति के कारण वे अक्सर गिरकर घायल हो जाती थीं। कई छात्राओं ने तो स्कूल छोड़ने का फैसला किया है। एक छात्रा ने तो स्कूल जाना छोड़ भी दिया है।

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खास बातें

  • आजादी के 75 साल बाद भी पक्की सड़क के लिए तरसता देवगंज। ग्रामीणों का कहना है कि अब तक सड़क निर्माण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
  • ग्रामीणों ने कई बार सरपंच, जिला कलेक्टर, जयपुर सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय तक अपनी शिकायतें भेजी हैं। अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
  • सड़क की कमी ने गांव में सामाजिक और आर्थिक जीवन को प्रभावित किया है। अविवाहित युवा, स्कूल जाने में परेशानी और बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ा है।
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