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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के बाड़मेर जिले में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) के फंड वितरण में गड़बड़ी के आरोप में शिव विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी को राजस्थान हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है। हाई कोर्ट ने उनकी याचिका पर नोटिस जारी कर बाड़मेर जिला प्रशासन से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
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हिस्से का पूरा फंड ही नहीं दे रहे
भाटी की याचिका में कहा है कि राजस्थान सरकार ने डीएमएफटी का फंड में से शिव विधानसभा को मिलने वाले हिस्से में से बड़ा हिस्सा काट लिया है और पूरा फंड नहीं दिया है। फंड में कमी करने कोई कारण भी नहीं बता रहे हैं।
सरकार को जवाब देने को कहा
विधायक भाटी की ओर से लगाई गई याचिका में डीएमएफटी का फंड के बंटवारे से संबंधित रिकॉर्ड अदालत में मंगवाने का अनुरोध किया गया है। अदालत ने सरकार को नोटिस जारी कर मामले में जवाब देने को कहा है।
फंड के वितरण का है मामला
DMFT फंड का मतलब डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट फंड है, जो खनन (mining) से प्रभावित लोगों और क्षेत्रों के विकास के लिए बनाया गया एक गैर-लाभकारी फंड है। इसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण जैसी जरूरतों को पूरा करना है। यह फंड खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम 2015 के तहत राज्य सरकारों द्वारा स्थापित किया जाता है।
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बाड़मेर में करोड़ों का फंड
बाड़मेर जिले में खनन के कारण यह फंड करोड़ों रुपए का है, जो स्कूल, अस्पताल, सड़क और जल संरक्षण जैसे कार्यों में खर्च होता है। विधायक भाटी का दावा है कि शिव विधानसभा क्षेत्र के लिए आवंटित फंड का बड़ा हिस्सा काट लिया गया और उसे गैर-खनन क्षेत्र को दे दिया है। यह एक प्रकार की चोरी है, क्योंकि इस फंड पर खनन वाले इलाके के क्षेत्रवासियों का हक है।
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4 विधानसभा में 103 करोड़ स्वीकृत
डीएमएफटी मीटिंग के बाद जिला कलेक्टर ने 103 करोड़ रुपए पानी, सड़क, शिक्षा और अन्य विकास कार्यों के लिए स्वीकृत किए हैं। सबसे अधिक बजट बाड़मेर को 65 करोड़ रुपए और इसके बाद शिव को 18 करोड़, गुड़ामलानी को 15 करोड़ और चौहटन को 5 करोड़ जारी किए हैं।
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