पूर्व कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी का नवाचार : खजूर की तीन नई किस्मों को मिला पेटेंट, पांच वर्षों तक चला परीक्षण

राजस्थान के पूर्व कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी को खजूर की तीन नई किस्मों का पेटेंट मिला। यह उनके शोध और मेहनत का परिणाम है। इससे प्रमुख कृषि शोध में ऐतिहासिक सफलता मिलने का दावा किया जा रहा है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Tonk. राजस्थान के टोंक जिले के आंवा निवासी और पूर्व कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कृषि अनुसंधान में एक ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। उन्हें भारत सरकार के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवी एंड एफआरए) द्वारा खजूर की तीन नई किस्मों एसटी-1, एसटी-2 और एसटी-3 का पेटेंट प्रदान किया गया है। 

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पांच वर्षों तक परीक्षण

यह उपलब्धि न केवल जिले और प्रदेश के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरे देश में कृषि शोध के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है। डॉ. सैनी द्वारा विकसित इन तीन खजूर की किस्मों का लगभग पांच वर्षों तक परीक्षण और अनुसंधान किया गया था। डॉ. सैनी का मानना है कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जय अनुसंधान नारे को सार्थक करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

किस्मों की पंजीकरण प्रक्रिया

16 सितंबर, 2021 को आवेदन दाखिल करने के बाद इन किस्मों की शुद्धता और विशेष लक्षणों की जांच की गई। अब इन किस्मों के पंजीकरण के बाद इन्हें 4 दिसंबर, 2025 से अगले 18 वर्षों तक कानूनी संरक्षण प्राप्त होगा। इस प्रक्रिया के दौरान डॉ. डीएस पिलानिया, जो पीपीवी एंड एफआरए के वैज्ञानिक हैं, ने पंजीकरण की सभी औपचारिकताएं पूरी कीं।

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पेटेंट मिलने के बाद का महत्वपूर्ण असर

इस पेटेंट के मिलने से डॉ. सैनी को इन विशेष खजूर किस्मों के उत्पादन, विपणन, बिक्री, वितरण और आयात-निर्यात पर पूरी अधिकारिता मिल गई है। यह पेटेंट न केवल डॉ. सैनी की मेहनत और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि यह अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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खजूर की उत्पादन क्षमता में वृद्धि

डॉ. सैनी ने बताया कि इन खजूर किस्मों की उत्पादन क्षमता प्रति पेड़ 50 से 100 किलो है और अब इसका उत्पादन बढ़ाकर 2 क्विंटल प्रति पेड़ करने के लिए अतिरिक्त शोध किया जा रहा है। इसके साथ ही कीटरोधी परीक्षण पर भी कार्य किया जा रहा है, ताकि इन किस्मों की गुणवत्ता और उत्पादन में और सुधार किया जा सके।

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कृषि शोध के क्षेत्र में उपलब्धि

यह पेटेंट मिलने से न केवल डॉ. सैनी को पहचान मिली है, बल्कि यह समस्त देश और प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ा उदाहरण है। यह प्रमाणित करता है कि कड़ी मेहनत, अनुसंधान और नवीनीकरण से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। डॉ. सैनी के इस कदम ने कृषि क्षेत्र में न केवल स्थानीय किसानों को उत्साहित किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय कृषि की क्षमता को भी उजागर किया है।

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खास बातें

  • खजूर की तीन नई किस्मों को मिला पेटेंट। डॉ. प्रभुलाल सैनी ने खजूर की तीन नई किस्मों, एसटी-1, एसटी-2 और एसटी-3 का पेटेंट प्राप्त किया है।
  • डॉ. सैनी को भारत सरकार के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवी एंड एफआरए) ने पेटेंट प्रदान किया है।
  • इन खजूर किस्मों की उत्पादन क्षमता को प्रति पेड़ 50 से 100 किलो से बढ़ाकर 2 क्विंटल प्रति पेड़ करने की कोशिश की जा रही है।
राजस्थान भारत सरकार टोंक पूर्व कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी खजूर की तीन नई किस्मों को मिला पेटेंट
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