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Photograph: (the sootr)
दो दिन पहले ही राजस्थान विधानसभा में पूर्व विधायक की पेंशन पुन: शुरू करवाने का आवेदन करने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देने के 42 दिन बाद आखिरकार उपराष्ट्रपति के सरकारी आवास को खाली कर दिया। धनखड़ फिलहाल छतरपुर स्थित अभय सिंह चौटाला के फार्म हाउस में रहेंगे। धनखड़ 1993 से 1998 तक किशनगढ़ सीट से कांग्रेस के विधायक रहे थे।
पूर्व विधायक के तौर पर उन्हें जुलाई, 2019 तक पेंशन मिल रही थी। जुलाई, 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद पेंशन बंद हो गई थी। वहीं इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख अभय चौटाला का कहना है कि उन्होंने ही धनखड़ से फार्म हाउस स्थित घर में रहने को कहा था, क्योंकि दोनों परिवारों के पुराने पारिवारिक रिश्ते हैं।
गौरतलब है कि मानसूत्र के पहले ही दिन 21 जुलाई को धनखड़ ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल 10 अगस्त, 2027 तक था। बात-बात पर बयान देने वाले धनखड़ इस्तीफा देने के बाद से ही चुप थे और सार्वजनिक रूप से कहीं दिखाई भी नहीं दिए थे। इसी कारण विपक्ष ने सरकार पर उनको घर में ही नजरबंद करने के आरोप लगाए थे।
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चौटाला परिवार से पारिवारिक रिश्ते
चौटाला परिवार के धनखड़ से दिवंगत चौधरी देवीलाल के समय से ही पारिवारिक रिश्ते हैं और धनखड़ देवीलाल को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। एक बार दिवंगत देवीलाल के जन्मदिन पर बोट क्लब पर हुई रैली के लिए धनखड़ ने राजस्थान से करीब 500 गाड़ियों में लोग जुटाए थे।
देवीलाल ने ही उन्हें 1989 में झुंझुनूं लोकसभा से जनता दल का उम्मीदवार बनाया था। धनखड़ यह चुनाव भी जीते थे और वीपी सिंह सरकार में मंत्री बने थे। देवीलाल को मंत्रिमंडल से बाहर निकालने पर धनखड़ ही उनके पक्ष में इस्तीफा देने वाले अकेले मंत्री थे।
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महाभियोग का सामना करने वाले पहले उपराष्ट्रपति
धनखड़ स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसे पहले उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया। दिसंबर, 2024 में लाया गया यह प्रस्ताव तकनीकी खामियों के आधार पर खारिज हो गया था। राज्यसभा में विपक्ष धनखड़ पर राज्यसभा सभापति के रूप में पक्षपात करने के आरोप लगाता रहा है।
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