राजस्थान में लोगों की जान से हो रहा खिलवाड़! बाजार में हर साल बिक रहीं 600 करोड़ की नकली दवाएं

राजस्थान में अमानक और नकली दवाओं का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। 600 करोड़ रुपये की दवाइयां हर साल नकली या घटिया निकल रही हैं। राजस्थान में इसे लेकर गंभीर कदम उठाने की मांग हो रही है।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (TheSootr)

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Jaipur . राजस्थान में अमानक और नकली दवाओं का कारोबार इतना गहरा हो चुका है कि इसकी जांच रिपोर्ट आने से पहले ही इन दवाओं की हजारों मात्रा बाजार में बिक चुकी होती है। इस समस्या का समाधान बेहद धीमा है, और जांच के बावजूद इन दवाओं को हटाने की कार्रवाई भी काफ़ी देर से होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में हर साल 600 करोड़ रुपए की दवाइयां अमानक या नकली मिल रही हैं। जनस्वास्थ्य अभियान इंडिया, राजस्थान इकाई ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर इस गंभीर मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।

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600 करोड़ की दवाइयां सालाना अमानक

राजस्थान में थोक और खुदरा दवा बाजार का कुल आकार 20,000 करोड़ रुपए के आसपास है, जिसमें 500 से 600 करोड़ रुपए की दवाइयां हर साल अमानक (substandard) या नकली (counterfeit) पाई जा रही हैं। यह आंकड़ा प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। इन दवाइयों का कारोबार बहुत तेज़ी से फैल रहा है और उनके बाजार में पहुंचने से पहले ही लाखों लोगों तक पहुँचने का खतरा होता है। दवाइयों के नमूनों की जांच में यह पाया गया है कि ये दवाइयां घटिया गुणवत्ता की होती हैं, जो मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं।

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पिछले तीन वर्षों में अमानक और नकली दवाओं की संख्या

पिछले तीन वर्षों में राजस्थान में 375 दवाइयां अमानक पाई गईं और 58 दवाइयां नकली पाई गईं। इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों में निःशुल्क दवा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में वितरित की गई 700 दवाइयाँ भी अमानक पाई गईं। यह स्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था में गहरी चिंताएं पैदा करती है, क्योंकि सरकार की योजना के तहत वितरित दवाइयाँ भी मानक के अनुरूप नहीं हैं।

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जनस्वास्थ्य अभियान इंडिया की मांग

जनस्वास्थ्य अभियान इंडिया के प्रमुख अनिल गोस्वामी और बसंत हरियाणा ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव और औषधि नियंत्रक से अमानक दवाओं की जांच के लिए कठोर कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने राज्य सरकार से निःशुल्क दवा योजना के तहत वितरित दवाइयों की गुणवत्ता की जांच कराने, राज्य स्तर पर एक विशेष जांच दल गठित करने, और नकली और अमानक दवाओं के निर्माण व बिक्री की पूरी जांच करवाने की सिफारिश की है। इसके अलावा, उन्होंने सभी सरकारी अस्पतालों और दवा आपूर्ति चैनलों की स्वतंत्र ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने और सार्वजनिक करने की मांग की है, ताकि इस समस्या का समाधान किया जा सके।

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दोषी कंपनियों और वितरकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई

जनस्वास्थ्य अभियान इंडिया ने यह भी मांग की है कि दोषी कंपनियों और वितरकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, उन्होंने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि ऐसी कंपनियों को बाजार से बाहर करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं, ताकि आम जनता को गुणवत्ता वाली दवाइयाँ मिल सकें। यह केवल दवाओं की गुणवत्ता की बात नहीं है, बल्कि लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ एक गंभीर मामला है।

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अमानक और  नकली दवाओं से क्या खतरा है?

राजस्थान में नकली और अमानक दवाइयों का कारोबार जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, वह भविष्य में और भी बड़े स्वास्थ्य संकट को जन्म दे सकता है। राजस्थान में नकली दवाइयां केवल स्वास्थ्य विभाग की समस्या नहीं है, बल्कि पूरी समाज की है, क्योंकि नकली दवाएं मरीजों की जान ले सकती हैं। सरकार और अन्य संबंधित संस्थाओं को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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FAQ

1. राजस्थान में नकली और अमानक दवाइयाँ क्यों बिक रही हैं?
राजस्थान में नकली और अमानक दवाइयाँ बिकने का कारण इन दवाओं का बाजार में जल्दी पहुंचना और जांच रिपोर्ट के आने से पहले ही इनकी बिक्री हो जाना है। इसके कारण दवाइयों की गुणवत्ता की जांच में देरी होती है।
2. राजस्थान में हर साल कितनी नकली दवाइयाँ बिकती हैं?
राजस्थान में हर साल 500 से 600 करोड़ रुपये की दवाइयाँ नकली या अमानक (substandard) होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकती हैं।
3. अमानक दवाइयों से क्या खतरे हो सकते हैं?
अमानक दवाइयाँ मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं, जैसे कि इलाज में असफलता, एलर्जी, और दवाओं के प्रभाव का न होना। इससे मरीजों की जान को भी खतरा हो सकता है।
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