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Photograph: (TheSootr)
Jaipur . भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी IAS देवेंद्र मीणा की सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट इन दिनों चर्चा में है। अपनी जड़ों और गांव से जुड़ी इस पोस्ट में उन्होंने न सिर्फ अपने निजी अनुभव साझा किए, बल्कि ग्रामीण समाज की बदलती सोच और उसके असर पर भी गहरी बात कही है। देवेंद्र मीणा ने फेसबुक पर लिखा है, “आज बहुत समय बाद लिख रहा हूं और मजबूरी में लिखना पड़ रहा है। बचपन में पढ़ाई के लिए गांव छोड़ने के बाद से आज तक अपने गांव और गांव के लोगों के बारे में एक सकारात्मक सोच रही, किंतु हालिया कुछ घटनाक्रम ने मेरी सोच में बदलाव किया है।” उनकी यह पोस्ट एक आत्ममंथन जैसी लगती है, जहां वे अपने गांव लौटने की चाह, समाज में बदलाव की इच्छा और ग्रामीण मानसिकता से जूझने के दर्द, सब कुछ खुलकर बयान करते हैं।
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गांव जाने से रोक देती है नकरात्मक सोच
गुजरात कैडर के IAS देवेंद्र मीणा ने लिखा है, “सफल व्यक्ति गांव छोड़ता है, पर लौटने पर वही सोच रोकती है” उनके अनुसार अक्सर व्यक्ति अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए गांव छोड़ देता है, ताकि भविष्य बना सके। लेकिन बाद में जब वह सफल होकर लौटता है तो गांव के कुछ लोगों की नकारात्मक सोच उसे रोक देती है। उन्होंने कहा, “गांव में मेहनतकश और नेक सोच वाले लोग भी हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो खुद आगे नहीं बढ़ते और दूसरों को भी आगे बढ़ने नहीं देते। यही लोग गांव में विकास की सबसे बड़ी बाधा बनते हैं।” आईएएस मीणा ने यह भी लिखा कि अगर किसी व्यक्ति को गांव में सहयोग, सम्मान और प्रेरणा नहीं मिलेगी तो वह गांव लौटकर कुछ करने के लिए कैसे उत्साहित होगा?
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मेरी इच्छा रही गांव में स्कूल खोलना
2021 बैच के आईएएस देवेंद्र मीणा ने लिखा, “मेरी चाह है गांव के बच्चों के लिए एक बेहतर स्कूल खोलने की” उन्होंने बताया कि UPSC पास करने के बाद उनका सपना रहा कि वे अपने गांव के बच्चों को भी लाइफ में बड़ा मुकाम दिला सकें। “मेरे गांव का कोई बच्चा IIT-JEE या NEET की तैयारी करे, यह मेरा सपना था। मेरे प्रयासों से कुछ युवाओं ने तैयारी शुरू भी की। पर गांव में जब भी छुट्टी लेकर जाता हूं, वहां कुछ लोगों की सोच देखकर निराश हो जाता हूं।” उन्होंने लिखा कि गांव में भूमि विवाद और रोज़मर्रा की राजनीति ने माहौल को बिगाड़ दिया है। “मेरे माता-पिता चाहते हैं कि गांव का मामला सुलझ जाए, आपसी भाईचारा बना रहे। लेकिन कुछ लोग विकास की राह में अड़चन बन रहे हैं।
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मुझसे गलती हुई तो गांव छोड़ने को तैयार
राजस्थान में बांदीकुई के पास एक गांव के रहने वाले मीणा ने गांव की बदलती सोच पर भावुक होते हुए लिखा- “अगर मुझसे 0.1% भी गलती हुई हो तो मैं गांव छोड़ने को तैयार हूं।” उन्होंने कहा कि वे गांव के पंच, सरपंच और प्रशासन से बातचीत करने को तैयार हैं, लेकिन गांव की नकारात्मकता पर विराम लगना जरूरी है। पोस्ट के अंत में उन्होंने साफ शब्दों में लिखा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि 1-2 नकारात्मक लोगों से डरने वाला नहीं हूं, पर थोड़ा बदलाव जरूर करना चाहता हूं। मुझे रोकने वाले तरीके बहुत हैं, लेकिन आपसी भाईचारा बनाना ही सबसे बड़ा तरीका होगा।”
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लोगों ने ये लिखी प्रतिक्रियाएं
देवेंद्र मीणा की इस पोस्ट पर सैकड़ों यूज़र्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं हैं। एक यूज़र ने लिखा- “सर, आपकी बात गांव-गांव की सच्चाई है, कुछ लोग हमेशा विकास की राह में रुकावट बनते हैं।” दूसरे ने कहा, आप जैसे अफसर अगर गांवों की सोच बदलने में जुट जाएं, तो असली परिवर्तन वहीं से शुरू होगा।” वहीं कुछ लोगों ने उनकी हिम्मत और ईमानदारी की सराहना करते हुए लिखा, आपने जो कहा, वह दिल से निकली बात है। हर पढ़े-लिखे व्यक्ति के मन में यही द्वंद चलता है।
IAS देवेन्द्र मीणा कौन हैं?
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गांव की बदलती सोच पर गहरी बात
IAS देवेंद्र मीणा की सोशल मीडिया पोस्ट पर सामाजिक कार्यकर्ता नरेश जैन का कहना है कि यह पोस्ट सिर्फ उनके गांव की कहानी नहीं, बल्कि उस मानसिक खाई की झलक भी है, जो तेजी से गांवों में बदल रही है। यह उस वर्ग की कहानी है जो किसी कारण से गांव छोड़ तो देता है, लेकिन दिल वहीं रह जाता है- पर जब लौटता है, तो उसे अपनापन कम और अविश्वास ज़्यादा मिलता है।कोटा के मनोज आदिनाथ के अनुसार IAS देवेंद्र मीणा की यह पोस्ट इस बात का इशारा करती है कि गांवों में असली बदलाव केवल सड़क या बिजली से नहीं, बल्कि सोच बदलने से आएगा।
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