राजस्थान में अगले महीने से लगेगा बिजली बिल का झटका, डाला शुल्क और सरचार्ज का बोझ

राजस्थान में बिजली बिलों में वृद्धि होने जा रही है। घरेलू उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन उद्योगों पर भारी शुल्क और सरचार्ज का बोझ डाला जाएगा। TheSootr में जानें पूरा मामला।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (TheSootr)

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Jaipur .  राजस्थान में बिजली के उपभोक्ताओं को अगले माह यानी कि नवंबर 2025  से बड़ी आर्थिक मार का सामना करना पड़ सकता है। घरेलू उपभोक्ताओं और औद्योगिक वर्ग पर भारी शुल्क और सरचार्ज का बोझ डाला गया है। यह बदलाव राज्य के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, खासकर उद्योगों के लिए। आने वाले समय में इस वृद्धि से घरेलू उपभोक्ताओं की मासिक लागत में कुछ बदलाव होगा, लेकिन उद्योगों के लिए यह परिवर्तन गंभीर परिणाम लेकर आ सकता है।

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घरेलू उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत, उद्योगों पर भारी बोझ

राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के मुताबिक, राजस्थान में बिजली बिलों में बदलाव के नए प्रावधानों के तहत, घरेलू उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिलने वाली है, लेकिन उद्योगों को बड़ा झटका लगेगा। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए, जो 300 यूनिट तक बिजली का उपयोग करते हैं, कोई बड़ा असर नहीं होगा। हालांकि, 500 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वालों को कुछ राहत दी गई है। इसके अलावा, 500 यूनिट से ज्यादा बिजली उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं पर भी शुल्क और सरचार्ज बढ़ाए जाएंगे।

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उद्योगों के लिए स्थायी शुल्क में बढ़ोतरी

नए प्रावधानों के तहत, 300 यूनिट से अधिक बिजली उपभोग करने वाले उद्योगों के लिए स्थायी शुल्क 450 रुपए से बढ़ाकर 800 रुपए प्रति किलोवाट कर दिया गया है, जो लगभग 78 प्रतिशत की वृद्धि है। इसके अलावा, प्रति यूनिट 1 रुपए का रेगुलेटरी सरचार्ज भी लागू किया गया है, जो पहले शून्य था। इसके परिणामस्वरूप उद्योगों के लिए कुल विद्युत लागत में लगभग 2.50 रुपए प्रति यूनिट की वृद्धि होने की संभावना है।

छोटे और मंझले उद्योगों के लिए भी बदलाव

बड़ी उद्योगों के अलावा, छोटे और मंझले उद्योगों के लिए भी कुछ बदलाव किए गए हैं। स्मॉल इंडस्ट्री कैटेगरी में, 500 यूनिट से ज्यादा उपभोग करने पर स्थायी शुल्क पहले 120 रुपए प्रति एचपी बढ़ाकर 150 रुपए कर दिया गया है। वहीं, मध्यम उद्योग श्रेणी में प्रति यूनिट दर 7 रुपए से घटाकर 6.50 रुपए की गई है, हालांकि स्थाई शुल्क में 20 रुपए की वृद्धि की गई है।

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राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन क्या है?

  • कब और क्यों हुआ गठन

    • यह एक सरकारी निकाय है जो राजस्थान में बिजली के उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण को नियंत्रित करता है। इसकी स्थापना 2 जनवरी 2000 को हुई थी।

  • मुख्य कार्य

    • टैरिफ निर्धारण: उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें तय करना और समय-समय पर टैरिफ योजनाओं में बदलाव करना।

    • विवाद समाधान: बिजली वितरण कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच होने वाले विवादों का समाधान करना।

    • नीति निर्माण: विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 108 के तहत ऊर्जा क्षेत्र के लिए नीतियां बनाने में राज्य सरकार की मदद करना।

    • लाइसेंस देना: बिजली उत्पादन और वितरण के लिए लाइसेंसधारकों को लाइसेंस जारी करना।

    • नियामक कार्य: बिजली उत्पादन और वितरण से संबंधित अन्य नियामक कार्यों को करना, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी देना।

बड़े उद्योगों पर शुल्क वृद्धि का असर

बड़े उद्योगों के लिए टैरिफ में भी कुछ बदलाव किए गए हैं। पहले 7.30 रुपए और 6.30 रुपए यूनिट का अलग-अलग टैरिफ था, जिसे अब एक समान 6.50 रुपए प्रति यूनिट कर दिया गया है। इसके अलावा, स्थायी शुल्क को 300 रुपए प्रति केवी से बढ़ाकर 380 रुपए प्रति केवी कर दिया गया है। इससे बड़े उद्योगों को और भी ज्यादा आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ेगा।

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घरेलू उपभोक्ताओं को दी थोड़ी राहत

घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिलों में कुछ राहत जरूर दी गई है, लेकिन इसमें भी कुछ क्षेत्रों में बढ़ोतरी की गई है। 300 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वालों को राहत दी जाएगी, लेकिन 500 यूनिट से ज्यादा उपभोग करने वालों पर शुल्क और सरचार्ज बढ़ेगा।

राजस्थान के बिजली टैरिफ में बदलाव

रेगुलेटरी सरचार्ज भी बिजली बिलों में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण बन रहा है। अब घरेलू उपभोक्ताओं से 100 यूनिट प्रतिमाह का उपभोग करने वाले ग्राहकों से 0.70 रुपए प्रति किलोवाट, और अन्य घरेलू उपभोक्ताओं से 1 रुपए प्रति किलोवाट तक सरचार्ज लिया जाएगा। यह सरचार्ज फ्यूल और पावर पर्चेज के मिश्रण के रूप में लागू किया जाएगा। इससे बिजली की लागत में और वृद्धि हो सकती है, खासकर उन उपभोक्ताओं के लिए जिनका मासिक बिजली उपभोग ज्यादा होता है।

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राजस्थान में महंगी होगी बिजली

यह बदलाव घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए दोहरी चुनौती बन सकते हैं। जहां एक ओर घरेलू उपभोक्ताओं को मामूली राहत मिल रही है, वहीं दूसरी ओर उद्योगों पर भारी बोझ डाला जा रहा है। राज्य सरकार और विद्युत निगम की यह नीति ऊर्जा क्षेत्र को स्थिर करने की दिशा में महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा करती है कि इससे आम जनता और उद्योगों पर कितना प्रभाव पड़ेगा। राज्य में बढ़ते बिजली संकट और ऊर्जा लागत के कारण, यह बदलाव एक नए आर्थिक दौर की शुरुआत कर सकते हैं।

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टाइम ऑफ डे (TOD) टैरिफ लागू किया

आरईआरसी (Rajasthan Electricity Regulatory Commission) के आदेश के बाद राजस्थान में टाइम ऑफ डे (TOD) टैरिफ को भी लागू किया गया है, जो उन उपभोक्ताओं पर लागू होगा जिनका लोड 10 किलोवॉट से ज्यादा है। इस नए नियम के तहत, सुबह 6 बजे से 8 बजे तक और शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक बिजली की खपत पर ज्यादा शुल्क लिया जाएगा। खासतौर पर, शाम के समय बिजली खपत पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। हालांकि, दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक की खपत पर 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। हालांकि, कृषि क्षेत्र को इससे बाहर रखा गया है।

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FAQ

1. राजस्थान में बिजली बिलों में क्या बदलाव होने जा रहे हैं?
राजस्थान में अगले माह से बिजली बिलों में बढ़ोतरी हो सकती है, जहां औद्योगिक वर्ग पर भारी शुल्क और सरचार्ज का बोझ डाला जाएगा। घरेलू उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिलेगी।
2. राजस्थान में उद्योगों के लिए बिजली के शुल्क में कितनी बढ़ोतरी होगी?
300 यूनिट से अधिक बिजली उपभोग करने वाले उद्योगों के लिए स्थायी शुल्क 450 रुपए से बढ़ाकर 800 रुपए प्रति किलोवाट कर दिया गया है, जो लगभग 78 प्रतिशत की वृद्धि है।
3. राजस्थान में घरेलू उपभोक्ताओं पर बिजली बिलों का क्या असर पड़ेगा?
घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक कोई बड़ा असर नहीं होगा, लेकिन 500 यूनिट से ज्यादा उपभोग करने वालों पर शुल्क और सरचार्ज बढ़ेंगे।
4. राजस्थान में रेगुलेटरी सरचार्ज का क्या असर होगा?
रेगुलेटरी सरचार्ज के रूप में घरेलू उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा, जिससे उनकी बिजली लागत में वृद्धि होगी।
5. क्या राजस्थान में बिजली दरों में बढ़ोतरी का छोटे और मंझले उद्योगों पर भी असर होगा?
जी हां, छोटे और मंझले उद्योगों पर भी स्थायी शुल्क में वृद्धि की गई है, जिससे उनकी कुल बिजली लागत में वृद्धि होगी।
राजस्थान के बिजली टैरिफ में बदलाव राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन राजस्थान में महंगी होगी बिजली बिजली बिल
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