जयपुर के रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश का प्रयोग सफल : ड्रोन से हुआ क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन

राजस्थान के जयपुर के रामगढ़ बांध में पहला कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) का प्रयोग सफल रहा। ड्रोन से 40 मिनट में 0.8 MM बारिश हुई, इसे मेक इन इंडिया ड्रोन और AI प्लेटफॉर्म से किया गया।

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Gyan Chand Patni
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Photograph: (AI)

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राजस्थान के जयपुर में कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) का पहला सफल प्रयोग सोमवार को रामगढ़ बांध क्षेत्र में किया गया। इस ऑपरेशन को एक निजी कंपनी द्वारा हाइड्रोट्रेस (AI-संचालित प्लेटफॉर्म) और मेक इन इंडिया ड्रोन का उपयोग करके संचालित किया गया।

यह ऑपरेशन सुबह 6.30 बजे से 11.30 बजे तक चला और इस दौरान 40 मिनट में 0.8 मिमी बारिश हुई। इस सफलता को जलवायु विज्ञान और स्वदेशी तकनीकी नवाचार के बीच मजबूत तालमेल के रूप में देखा जा रहा है।

राजस्थान में कृत्रिम बारिश का प्रयोग सफल रहा। कृत्रिम बारिश कराने में कामयाबी मिलने से इस प्रयोग से जुड़े वैज्ञानिक ही नहीं, आम जनता भी खुश नजर आई। रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश का प्रयोग नई आशा लेकर आया है।

मेक इन इंडिया ड्रोन का उपयोग

कंपनी ने अपने क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन में हाइड्रोट्रेस प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग किया, जो एआई-आधारित मौसम विज्ञान और सीडिंग मॉड्यूल्स के साथ एकीकृत था। इस पायलट प्रोजेक्ट में दो मेक इन इंडिया ड्रोन तैनात किए गए थे। इन ड्रोन को हाइड्रोट्रेस की उन्नत जलवायु विज्ञान और सीडिंग तकनीकी क्षमता के साथ जोड़ा गया, जिससे बारिश की प्रक्रिया को सटीक और प्रभावी ढंग से संचालित किया गया।

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क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन का विवरण

क्लाउड सीडिंग Cloud Seeding ऑपरेशन सोमवार सुबह शुरू हुआ। दो ड्रोन जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में लाए गए थे। हाइड्रोट्रेस की मौसम विज्ञान भविष्यवाणी के आधार पर य​ह मिशन तैयार किया गया। इस मिशन में स्वचालित ड्रोन पेलोड नियंत्रण का इस्तेमाल किया गया था।  

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कृत्रिम बारिश के परिणाम

 इस प्रयोग की सफलता के बाद  विश्लेषण से पता चला कि बादलों की माइक्रोफिजिक्स में वृद्धि हुई थी। साथ ही बूंदों का आकार और सांद्रता बढ़ने से बारिश शुरू हुई। अनुमानित वर्षा 0.6 मिमी थी, जबकि वास्तविक माप 0.8 मिमी रहा। यह परिणाम सीडिंग प्रभाव की सकारात्मकता को दर्शाता है और यह बताता है कि स्वदेशी ड्रोन और हाइड्रोट्रेस के एआई-सक्षम प्लेटफॉर्म का उपयोग जलवृद्धि के प्रभावी परिणाम दे सकता है।

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भविष्य में जल सुरक्षा में मदद

यह सफलता भारत की दीर्घकालिक जल सुरक्षा रणनीति को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। जब मेक इन इंडिया ड्रोन हाइड्रोट्रेस के एआई प्लेटफॉर्म से सशक्त होते हैं, तो यह तकनीकी विकास जलवृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। इससे भविष्य में जल संकट से निपटने के लिए ठोस उपाय किए जा सकते हैं। इससे रामगढ़ बांध भरने में भी मदद मिलेगी।

क्लाउड सीडिंग के बाद, वास्तविक वर्षा 0.8 मिमी हुई, जबकि अनुमानित वर्षा 0.6 मिमी थी। यह परिणाम सीडिंग के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।

FAQ

1. जयपुर में पहले कृत्रिम बारिश के प्रयोग का उद्देश्य क्या था?
इससे भविष्य में जल संकट से निपटने के लिए ठोस उपाय किए जा सकते हैं।
2. इस ऑपरेशन में कौन सी तकनीक का उपयोग किया गया?
इस ऑपरेशन में हाइड्रोट्रेस (AI-संचालित प्लेटफ़ॉर्म) और मेक इन इंडिया ड्रोन का उपयोग किया गया। इन तकनीकों के माध्यम से स्वचालित तरीके से क्लाउड सीडिंग किया गया।
3. कृत्रिम बारिश के परिणाम क्या रहे?
क्लाउड सीडिंग के बाद, वास्तविक वर्षा 0.8 मिमी हुई, जबकि अनुमानित वर्षा 0.6 मिमी थी। यह परिणाम सीडिंग के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।

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