भारत में नहीं बिकेगा जीएम फूड, राजस्थान हाईकोर्ट ने दिखाया सख्त रुख, नियम बनाने का निर्देश

राजस्थान हाईकोर्ट ने जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) फूड की बिक्री, निर्माण और आयात पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। 6 महीने में नए रेग्युलेशन लागू होंगे।

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Nitin Kumar Bhal
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Jaipur . राजस्थान हाईकोर्ट ने देश में जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फूड की बिक्री, निर्माण और आयात पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने इसे सीधे तौर पर मानव स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा मानते हुए केन्द्र सरकार और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) को आदेश दिया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 22 के तहत जीएम फूड की बिक्री, निर्माण और आयात के लिए छह महीने के भीतर एक नियामक (Regulation) जारी किया जाए।

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जीएम फूड पर रोक का आदेश

हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक नए रेग्युलेशन लागू नहीं हो जाते, तब तक जीएम फूड की बिक्री, निर्माण, आयात और वितरण पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। इसके तहत जीएम फूड को विदेश से आयात करने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) को भी जीएम फूड को अनुमति देने से रोक दिया गया है। यह फैसला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश दिया, जिसे अधिवक्ता कृतेश ओसवाल ने छह साल पहले दायर किया था।

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स्वास्थ्य और संविधान से जुड़ा मुद्दा

कोर्ट ने अपने आदेश में स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण पहलू को प्रमुखता दी। फैसले में वैदिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा गया कि भोजन सिर्फ पोषण का स्रोत नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षित भोजन का अधिकार जीवन के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि भारतीय बाजार में जीएम खाद्य पदार्थ मौजूद हैं, जबकि खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के तहत इनकी अनुमति के लिए कोई नियामक जारी नहीं किया गया। इसके अलावा, जीईएसी भी बिना उचित अधिकार के जीएम आधारित खाद्य पदार्थों को अनुमति दे रही है।

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जीएम फूड और विदेशों से आयात

कोर्ट ने यह भी माना कि कई देशों में जीएम फूड पर पाबंदी है, लेकिन यूरोप के कुछ देशों से जीएम फूड भारत में आयात हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा केवल कानूनी या बाजार के दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता, क्योंकि यह सीधे तौर पर नागरिकों के स्वास्थ्य और उनके जीवन जीने के अधिकार से जुड़ा है।

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नया रेग्युलेशन लाने तक जीएम फूड पर रोक

कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के तहत जीएम फूड के लिए नियामक तैयार करें और उसे अगले छह महीने में लागू करें। जब तक यह रेग्युलेशन लागू नहीं होते, तब तक जीएम खाद्य पदार्थों का आयात और बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। इस बीच, अदालत ने कस्टम और पोत से जुड़े अधिकारियों को भी सख्त निर्देश दिए कि वे इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें और जीएम फूड को देश में लाने की अनुमति न दें। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि केवल जीएम फ्री टैग वाली खाद्य वस्तुएं ही भारत में आ सकेंगी।

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जीएम फूड क्या है?

जीएम फूड (Genetically Modified Food) का मतलब है ऐसे खाद्य पदार्थ जो आनुवंशिक रूप से संशोधित होते हैं। इसे सरल भाषा में समझें तो ये खाद्य पदार्थ उन फसलों या जीवों से आते हैं जिनके जीन (DNA) को वैज्ञानिक तरीके से बदला जाता है।

जीएम फूड के उद्देश्य:

  1. कीट प्रतिरोधक क्षमता: ताकि फसलों पर कीड़े कम लगें और उत्पादन बढ़ सके।

  2. शाकनाशी सहिष्णुता: ताकि फसल पर खरपतवारनाशक दवाइयों का असर न हो, और फसल सुरक्षित रहे।

  3. सूखा और उच्च तापमान सहनशीलता: ताकि फसल सूखे या अत्यधिक गर्मी में भी उग सके।

  4. बेहतर पोषण मूल्य: जैसे 'गोल्डन राइस' में विटामिन-ए की अधिक मात्रा होती है, जो पोषण के लिहाज से फायदेमंद है।

उदाहरण:

  • बीटी कपास (Bt Cotton): यह भारत में उगाई जाने वाली एकमात्र स्वीकृत जीएम फसल है। इसमें एक बैक्टीरिया का जीन डाला गया है, जिससे यह खास कीड़ों से बचती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।

जीएम फूड को लेकर चिंताएँ:

  • दुनिया भर में जीएम फूड के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर को लेकर बहस जारी है। कई लोग इसे सुरक्षित मानते हैं, जबकि कुछ इसके दुष्प्रभावों को लेकर चिंतित हैं।

जीएम फूड का स्वास्थ्य पर असर क्या है?

राजस्थान हाईकोर्ट का यह आदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक अहम कदम है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि जीएम फूड, खासकर बिना उचित जांच-पड़ताल के, मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि इन फूड्स की गुणवत्ता और प्रभाव का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया जाता है, तो यह कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। यह आदेश इस दिशा में एक ठोस कदम है, जिसमें न केवल केंद्र सरकार और अन्य एजेंसियों को सक्रिय होने के लिए कहा गया है, बल्कि नागरिकों को सुरक्षित और स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है।

FAQ

1. जीएम फूड पर राजस्थान हाईकोर्ट कोर्ट का आदेश क्या है?
राजस्थान हाईकोर्ट ने जीएम फूड की बिक्री, निर्माण और आयात पर छह महीने के लिए प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। इसके बाद जीएम फूड के लिए नए रेग्युलेशन लागू किए जाएंगे।
2. क्या जीएम फूड स्वास्थ्य के लिए खतरा है?
जीएम फूड पर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इनकी गुणवत्ता और प्रभाव का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया जाता, तो यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
3. क्या जीएम फूड के आयात पर राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रतिबंध लगाया है?
जी हां, राजस्थान हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक नए रेग्युलेशन लागू नहीं होते, तब तक जीएम फूड का आयात, निर्माण और बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा।
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