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Photograph: (the sootr)
राजस्थान सरकार ने अदालत में स्पष्ट किया था कि राज्य के विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जाएंगे। सरकार का कहना था कि यह कदम नौ विश्वविद्यालयों के वीसी (Vice Chancellors) की कमेटी की सिफारिशों के आधार पर उठाया गया है। इन सिफारिशों के अनुसार, छात्रसंघ चुनाव को टालने के लिए कई कारण दिए गए थे, जिनमें नई शिक्षा नीति के अनुपालन, क्लास प्रोग्राम के निर्धारण और अन्य संगठनात्मक कारण शामिल थे।
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छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं हो सकते?
हालांकि इस फैसले पर राजस्थान हाई कोर्ट ने सवाल उठाया। जस्टिस समीर जैन ने सुनवाई के दौरान तर्क देते हुए पूछा कि यदि एमपी और एमएलए के चुनाव हो सकते हैं, तो छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं हो सकते? यह सवाल अदालत में एक महत्वपूर्ण बिंदु बनकर उभरा। इसके बाद सरकार को अपना पक्ष और मजबूती से पेश करने के लिए कहा गया।
छात्रसंघ चुनाव मौलिक अधिकार नहीं
सरकार ने अपने पक्ष में कहा कि छात्रसंघ चुनाव मौलिक अधिकार (Fundamental Right) का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए इन्हें टालने का अधिकार राज्य सरकार के पास है। सरकार के इस तर्क से असहमति जताते हुए अदालत ने यह सवाल उठाया कि जब चुनावी प्रक्रिया बड़े पदों पर हो सकती है, तो छोटे स्तर पर छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं हो सकते।
राजस्थान सरकार ने इस मामले में एक कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया था, जिसमें छात्रसंघ चुनाव को स्थगित करने के लिए विभिन्न कारण दिए गए थे। कमेटी ने यह भी सुझाव दिया कि शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए जाएं।
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22 अगस्त को होगी मामले की अंतिम सुनवाई
राजस्थान हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने 22 अगस्त को इस मामले की अंतिम सुनवाई तय की है। इस दिन अदालत के सामने सरकार को इस मुद्दे पर और अधिक स्पष्टता से अपना पक्ष रखना होगा। राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र जय राव द्वारा दायर की गई याचिका में छात्रसंघ चुनाव को टालने के फैसले को चुनौती दी गई है।
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गहलोत सरकार की गलती ना दोहराएं : मीणा
वहीं कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने छात्रसंघ चुनाव के मसले पर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही कोर्ट में अपना पक्ष रख चुकी है, लेकिन उनका मानना है कि सरकार को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई गलती को नहीं दोहराना चाहिए। मीणा ने यह भी कहा कि बाकी सरकार जो कहेगी, वो कहना पड़ेगा, लेकिन कहीं न कहीं इसे लेकर सरकार को पुनः विचार करना चाहिए।
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