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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में पकड़े गए जासूस प्रकाश सिंह उर्फ बादल ने भारतीय सेना के जवानों को हनी ट्रैप में फंसाने के एक बड़े पाकिस्तानी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। इस जासूसी नेटवर्क के तहत पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भारतीय जवानों से महत्वपूर्ण और संवेदनशील जानकारी हासिल करने के लिए पाकिस्तानी महिलाओं का इस्तेमाल कर रही थी।
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कैसे काम करता है हनी ट्रैप नेटवर्क?
पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि वह सोशल मीडिया के जरिए भारतीय लोगों के मोबाइल नंबर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भेजता था। इन नंबरों के आधार पर ISI ने भारतीय नंबरों से फर्जी वॉट्सऐप अकाउंट्स बनाए। इन अकाउंट्स के माध्यम से पाकिस्तानी महिलाएं भारतीय जवानों से संपर्क करती थीं। धीरे-धीरे इन जवानों से बॉर्डर, सैन्य तैनाती और अन्य सामरिक जानकारियां हासिल की जाती थीं।
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कितने भारतीय जवान इस जाल में फंसे?
सीआईडी इंटेलिजेंस के अनुसार, कई भारतीय जवान इस हनी ट्रैप का शिकार हो चुके हैं। जांच में यह भी पता चला कि प्रकाश सिंह कई अंतरराष्ट्रीय नंबरों के जरिए ISI से लगातार संपर्क करता था, जिसमें यूके और भारत के नंबर शामिल थे। इसके जरिए वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ अपने जासूसी काम में सक्रिय था।
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जासूसी का बड़ा नेटवर्क
प्रकाश को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से सवा लाख रुपए मिले थे। यह राशि एयरटेल यूपीआई के माध्यम से अलग-अलग देशों से भेजी गई थी। सीआईडी अब यह पता लगाने में जुटी हुई है कि प्रकाश के संपर्क में और कितने लोग शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, जासूसी नेटवर्क के दायरे को लेकर जांच का दायरा अब पंजाब और गुजरात तक बढ़ा दिया गया है।
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हनी ट्रैप के माध्यम से संवेदनशील जानकारी
यह हनी ट्रैप सिर्फ एक जासूसी कार्य नहीं था, बल्कि इसके जरिए भारतीय जवानों से संवेदनशील जानकारी हासिल की जा रही थी। इन जवानों ने पाकिस्तानी महिलाओं को भारतीय समझकर बॉर्डर की लोकेशन, सैन्य तैनाती और ऑपरेशनल डिटेल्स जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। यह जानकारी पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों के पास पहुंचने से सुरक्षा पर बड़ा खतरा पैदा हो सकता था।
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जासूसी नेटवर्क का अंतरराष्ट्रीय दायरा
जांच में यह बात सामने आई है कि जासूसी नेटवर्क के सदस्य केवल राजस्थान तक सीमित नहीं थे। सीआईडी इंटेलिजेंस की टीम ने पंजाब और गुजरात में भी जांच शुरू कर दी है और यह शक जताया जा रहा है कि इस नेटवर्क में कई और लोग शामिल हो सकते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भारतीय सुरक्षा तंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
जांच के मुख्य बिंदु
जासूस प्रकाश सिंह : पाकिस्तान के लिए भारतीय सेना के जवानों को हनी ट्रैप में फंसा रहा था।
फर्जी वॉट्सऐप अकाउंट्स : ISI ने भारतीय नंबरों से फर्जी अकाउंट्स बनाए थे।
गोपनीय जानकारी लीक : बॉर्डर की जानकारी, सैन्य तैनाती और ऑपरेशनल डिटेल्स लीक हो सकती हैं।
रकम : प्रकाश सिंह को ISI से सवा लाख रुपए मिले, जो यूपीआई के माध्यम से भेजे गए थे।
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