राजस्थान में पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार, पाकिस्तानी महिला हैंडलर को भेजता था गुप्त सूचनाएं

राजस्थान के अलवर निवासी मंगत सिंह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इस मामले की जांच जारी है।

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Nitin Kumar Bhal
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Jaipur . राजस्थान पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों ने अलवर निवासी मंगत सिंह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई (ISI) के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। मंगत सिंह पर आरोप है कि वह पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान की एक महिला हैंडलर के संपर्क में था, और उसकी मदद से वह भारतीय सैन्य स्थलों की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को भेज रहा था। मंगत सिंह (42) अलवर के गोविंदगढ़ का रहने वाला है।

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मंगत सिंह Photograph: (TheSootr)

पाकिस्तानी महिला हैंडलर से संबंध

इंटेलिजेंस विभाग के अनुसार, मंगत सिंह ने सोशल मीडिया के माध्यम से पाकिस्तानी महिला हैंडलर को भारतीय सैन्य क्षेत्रों, विशेषकर अलवर छावनी और अन्य सामरिक स्थलों के बारे में जानकारी दी। यह सूचना सेना से संबंधित थी, जिसमें कुछ गुप्त और संवेदनशील तथ्य भी शामिल थे। महिला हैंडलर के हनीट्रैप और धनराशि के लालच में आरोपी ने यह सब किया।

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शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923 के तहत गिरफ्तारी

मंगत सिंह को शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 (Official Secrets Act, 1923) के तहत गिरफ्तार किया गया है। इस अधिनियम के तहत जासूसी करने वाले व्यक्तियों पर कड़ी सजा का प्रावधान है, और यह कानून देश की सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है।

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अलवर छावनी की निगरानी के दौरान मंगत सिंह पर संदेह

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित अलवर छावनी की निगरानी के दौरान, मंगत सिंह संदेह के घेरे में आया। इसके बाद इंटेलिजेंस विभाग ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो गया कि ऑपरेशन सिंदूर का प्रभावी रूप से संचालन हो रहा है, और प्रदेश में जासूसी की संभावनाओं को समय रहते नाकाम किया जा रहा है।

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मंगत सिंह की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ जारी

मंगत सिंह की गिरफ्तारी के बाद, उसकी गहन पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों ने कहा है कि जासूसी के मामलों में आरोपी के अन्य संभावित संपर्कों और नेटवर्क को भी खंगाला जा रहा है। इस दौरान यह भी देखा जा रहा है कि मंगत सिंह के द्वारा भेजी गई जानकारी का कितना नुकसान हो सकता था।

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शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923 क्या है?

शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 (Official Secrets Act, 1923)

  1. ब्रिटिश औपनिवेशिक काल का कानून

    • यह कानून ब्रिटिश शासन के दौरान बना था और जासूसी विरोधी कानून के रूप में कार्य करता है।

  2. मुख्य उद्देश्य

    • राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखना और शत्रु राज्य की मदद करने वाले कार्यों को दंडनीय बनाना।

  3. शत्रु की सहायता और जासूसी

    • किसी शत्रु राज्य की मदद करने वाले कार्यों को अपराध मानता है, जैसे योजनाओं या कोड की जानकारी साझा करना।

  4. प्रतिबंधित सरकारी क्षेत्र

    • सरकारी स्थानों तक अनधिकृत पहुँच को रोकता है, जैसे इन स्थानों पर जाना, निरीक्षण करना या अतिक्रमण करना।

  5. गोपनीय जानकारी का प्रसार

    • राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गुप्त सरकारी जानकारी को गलत तरीके से प्राप्त करना, रखना या संचार करना अपराध है।

  6. वर्दी का दुरुपयोग

    • आधिकारिक वर्दी का बिना अनुमति के उपयोग भी अपराध है और दंडनीय है।

  7. दखलंदाजी और हस्तक्षेप

    • प्रतिबंधित स्थानों पर पुलिस या सशस्त्र बलों के कार्यों में हस्तक्षेप करना इस अधिनियम के तहत दंडनीय है।

  8. दंड और सजा

    • इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर तीन साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है।

    • कुछ गंभीर मामलों में, जैसे जासूसी या प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश, 14 साल तक की कैद की सजा हो सकती है।

सैन्य और सामरिक स्थलों की संवेदनशीलता

मंगत सिंह ने जो जानकारी पाकिस्तान की महिला हैंडलर को भेजी, वह भारतीय सेना के सामरिक और संवेदनशील स्थलों से संबंधित थी। यह जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण थी। मंगत सिंह द्वारा दी गई जानकारी के कारण देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता था, और यही वजह है कि उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा।

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जासूसी और राष्ट्रीय सुरक्षा: एक गंभीर मुद्दा

भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं, और जासूसी का मामला हमेशा एक गंभीर मुद्दा रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों और सैन्य स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कई बार ऐसे अभियानों का संचालन कर चुकी है। मंगत सिंह की गिरफ्तारी इस बात का प्रमाण है कि जासूसी की घटनाएँ अभी भी हो रही हैं, और इन पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता है।

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जैसलमेर में अब तक कितने जासूस पकड़े गए हैं? 

राजस्थान की सीआईडी इंटेलिजेंस ने इस साल अब तक जैसलमेर में कई जासूसों को गिरफ्तार किया है। 2025 में अब तक पांच जासूसों को गिरफ्तार किया गया है, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी कर रहे थे।

2025 में जैसलमेर में जासूसी में गिरफ्तार किए गए जासूस

  • 26 मार्च 2025 : चांधन फील्ड फायरिंग रेंज के पास पठान खान को गिरफ्तार किया गया।

  • 28 मई 2025 : शकूर खान, जो कांग्रेस के पूर्व मंत्री सालेह मोहम्मद के निजी सहायक थे, को गिरफ्तार किया गया।

  • 4 अगस्त 2025 : महेंद्र प्रसाद, DRDO गेस्ट हाउस के मैनेजर, को गिरफ्तार किया गया।

  • 20 अगस्त 2025 : जीवन खान को गिरफ्तार किया गया, जो पाकिस्तानी नंबरों पर बात कर रहा था।

  • 25 सितंबर 2025 : हनीफ खान को गिरफ्तार किया गया, जो आईएसआई के लिए जासूसी कर रहा था।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सावधानी की जरूरत

राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से, ऐसी जासूसी गतिविधियाँ देश के लिए खतरे का कारण बन सकती हैं। इंटेलिजेंस विभाग और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सख्त निगरानी और समय पर कार्रवाई, जैसे ऑपरेशन सिंदूर, इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

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भारत में पाकिस्तान की नजर किस पर है?

राजस्थान की सीमाओं से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की नजरें हमेशा रहती हैं, क्योंकि भारत-पाक सीमा की लंबाई 1070 किलोमीटर है। यहां तीन बड़े एयरबेस और कई सैन्य ठिकाने हैं, जो पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इन क्षेत्रों से हर छोटी से छोटी जानकारी हासिल करने की कोशिश करती है, और इनकी गतिविधियां हमेशा सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बनी रहती हैं। आए दिन पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार होते रहते हैं। (राजस्थान जासूसी मामला)

पाकिस्तान जासूसों से क्या जानकारी प्राप्त करना चाहता है? 

सेना का मूवमेंट और सैन्य ठिकाने

पाकिस्तान के खुफिया एजेंट युद्ध के समय सेना की मूवमेंट, सैन्य ठिकानों की जानकारी, तैनाती, फेंसिंग और बीओपी (बॉर्डर आउटपोस्ट) की लोकेशन जैसी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं। यह जानकारी पाकिस्तान को भारतीय सेना के खिलाफ रणनीति तैयार करने में मदद करती है।

सैन्य निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर

पाकिस्तानी एजेंटों के लिए, सैन्य ठिकानों के अलावा, ब्रिजों, सैन्य सड़कों, अंडरब्रिज, ओवरब्रिज और अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े अन्य निर्माण कार्य की जानकारी भी महत्वपूर्ण होती है। इन क्षेत्रों के निर्माण से जुड़े डिटेल्स की तस्वीरें और लोकेशन की जानकारी पाकिस्तान के जासूस इकट्ठा करते हैं और अपने हैंडलरों को भेजते हैं।

स्कूल, हॉस्टल और अन्य प्रशासनिक भवन

आर्मी एरिया में स्थित स्कूलों, हॉस्टलों और अन्य प्रशासनिक भवनों की लोकेशन और उनकी तस्वीरें पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों द्वारा इकट्ठी की जाती हैं। ये एजेंट इस प्रकार के महत्वपूर्ण डेटा को साझा करते हैं, ताकि पाकिस्तान अपनी सैन्य रणनीति में इन जानकारियों का उपयोग कर सके।

मोबाइल टावर और उनकी लोकेशन

सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थापित मोबाइल टावरों की लोकेशन, उनकी तस्वीरें, और उनकी कार्यक्षमता भी जासूस पाकिस्तान के एजेंटों को भेजते हैं। इन टावरों से जुड़े डेटा को भी वे अपने देश की खुफिया एजेंसियों को देते हैं, ताकि पाकिस्तान के लिए इनका रणनीतिक उपयोग किया जा सके।

FAQ

1. मंगत सिंह किसके लिए जासूसी कर रहा था?
मंगत सिंह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के लिए जासूसी कर रहा था। वह भारतीय सैन्य स्थलों की जानकारी पाकिस्तान को दे रहा था।
2. पाकिस्तानी जासूस मंगत सिंह की गिरफ्तारी कब हुई?
पाकिस्तानी जासूस मंगत सिंह को 10 अक्टूबर 2025 को गिरफ्तार किया गया।
3. मंगत सिंह ने कौन सी जानकारी पाकिस्तान को भेजी थी?
मंगत सिंह ने भारतीय सैन्य छावनियों और अन्य सामरिक स्थलों की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान की महिला हैंडलर को भेजी थी।
4. मंगत सिंह को किस अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया?
मंगत सिंह को शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 (Official Secrets Act, 1923) के तहत गिरफ्तार किया गया है।

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