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राजस्थान की राजधानी जयपुर में वायु प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, जो कि नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरे का संकेत है। पिछले पांच वर्षों में 344 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बावजूद हवा की गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं हो पाया।
शहर में धूल-मिट्टी और वाहन प्रदूषण के कारण वायु गुणवत्ता की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इस पर काबू पाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत किए गए प्रयासों के बावजूद, जयपुर को 33वां स्थान प्राप्त हुआ है।
जयपुर में वायु प्रदूषण की स्थिति
जयपुर की हवा में पीएम 2.5 और पीएम-10 (PM 2.5 and PM 10) आकार के धूल के कणों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई है, जो गंभीर श्रेणी में पहुंच चुकी है। इन कणों का स्तर राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा नियमित रूप से मापा जाता है।
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पीएम 2.5 और पीएम 10 के कणों का बढ़ता स्तर
जयपुर में सर्दी और गर्मी के मौसम में पीएम 10 कणों का स्तर 450 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो जाता है, जबकि वैज्ञानिकों के अनुसार, यह स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, पीएम 2.5 कण भी बढ़ते जा रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए और भी हानिकारक साबित हो सकते हैं। जयपुर में वायु प्रदूषण नियंत्रण पर खर्च हुए 344 करोड़ रुपए, इसके बावजूद प्रदूषण में कमी नहीं आई।
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वायु गुणवत्ता की निगरानी में कमी
जयपुर में वायु गुणवत्ता की सतत निगरानी के लिए पर्याप्त संख्या में निगरानी केंद्र नहीं हैं। इसके कारण पूरे शहर की वायु गुणवत्ता की सही जानकारी प्राप्त नहीं हो पा रही है। इस समय केवल कुछ प्रमुख स्थानों पर ही वायु गुणवत्ता की जांच की जा रही है।
क्या सुधार किए जा सकते हैं?सड़कों की एंड-टू-एंड पक्कीकरण और ब्लैक टॉपिंगजयपुर में सड़कों के अधिकतर हिस्से उबड़-खाबड़ और गड्ढों से भरे हुए हैं, जिससे यहां अधिक धूल उड़ती है। यदि इन सड़कों को पक्का किया जाए और ब्लैक टॉपिंग की जाए, तो हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। वर्टिकल गार्डन और मियावाकी प्लांटेशनशहर में अधिक ग्रीनरी की आवश्यकता है। वर्टिकल गार्डन और मियावाकी प्लांटेशन जैसे उपायों से प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इससे न केवल हवा में ताजगी आएगी, बल्कि शहरी पर्यावरण भी बेहतर होगा। मैकेनिकल रोड स्वीपिंग और एंटी-स्मॉग गन का उपयोगरोड स्वीपर मशीनों का उपयोग सड़कों पर किया जाए तो धूल-मिट्टी कम होगी। साथ ही, एंटी-स्मॉग गन (Anti-Smoke Gun) मशीनों के माध्यम से पानी का छिड़काव करने से भी हवा में प्रदूषण को कम किया जा सकता है। कचरे का निस्तारण और ट्रैफिक जाम पर नियंत्रणशहर में कचरे का नियमित संग्रहण और वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाए, तो यह भी वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हो सकता है। साथ ही, ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करने के लिए बेहतर सड़क परियोजनाएं तैयार करनी चाहिए। | |
करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद हवा साफ नहीं
राजस्थान में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत जयपुर को 2019-20 से लेकर 2025 तक 344 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। इस राशि का उपयोग विभिन्न परियोजनाओं के लिए किया गया, जिनमें सड़क सफाई, ट्रैफिक प्रबंधन और हवा को साफ करने के प्रयास किए गए। इसके बावजूद हवा की गुणवत्ता में कोई विशेष सुधार देखने को नहीं मिला।