जयपुर बीआरटीएस बनाने और तोड़ने के खेल में करोड़ों रुपए की बर्बादी

जयपुर बीआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण में लाखों खर्च हुए, लेकिन अब इसे तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह परियोजना अपनी उद्देश्य में पूरी तरह से विफल रही और सार्वजनिक धन की भारी बर्बादी का कारण बन गई है। बीआटीएस को तोड़ने पर 30 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

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Gyan Chand Patni
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Photograph: (the sootr)

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जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कॉरिडोर को अब तोड़ा जा रहा है। इससे सरकारी धन की भारी बर्बादी और योजना की विफलता स्पष्ट हो गई है। यह कदम एक बार फिर यह दर्शाता है कि बिना उचित जांच-परख के लागू की गई योजनाएं न केवल वित्तीय नुकसान का कारण बनती हैं, बल्कि नई समस्याएं भी खड़ी कर देती हैं।

अब टूटने लगा बीआरटीएस

सीकर रोड के बाद, अब अजमेर रोड और मानसरोवर में भी बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कॉरिडोर के बीच में बने बस शेल्टरों को ध्वस्त किया जा रहा है। हाल ही में अजमेर रोड पर एक रेस्त्रां के सामने बस शेल्टर  हटाया गया है।  

दुकानदारों ने भी इसकी पुष्टि की है। यह बीआरटीएस कॉरिडोर अब तक रोडवेज और निजी बसों दोनों द्वारा उपयोग में लाया जाता रहा है। कई बार वीवीआईपी मूवमेंट भी इसी मार्ग से होता था।फिलहाल, इस कॉरिडोर को बंद कर दिया गया है। यातायात पुलिस ने दोनों ओर चेतावनी बोर्ड लगा दिए हैं। 

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हादसों की वजह  बीआरटीएस

जयपुर में बीआरटीएस कॉरिडोर ने न केवल यातायात को बाधित किया, बल्कि यह गंभीर दुर्घटनाओं का कारण भी बन गया, जिसमें कई लोगों की जान गई। इसी कारण इसे हटाने के लिए जनदबाव लगातार बढ़ रहा था। यह प्रोजेक्ट, जिसका उद्देश्य शहर में यातायात को सुगम बनाना था, अपने लक्ष्य को पूरा करने में बुरी तरह विफल रहा।

होगा जयपुर मेट्रो का विस्तार

बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाकर जयपुर मेट्रो का विस्तार किया जाएगा। सीकर रोड और न्यू सांगानेर रोड पर बने बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाया जा रहा है और यहां मेट्रो के लिए मीडियन और एलिवेटेड रूट तैयार किया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि इससे शहर में यातायात सुगम होगा और मेट्रो का विस्तार भी हो सकेगा। यह परियोजना शहर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करेगी। 

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खामियां हुई थीं उजागर

बीआरटीएस को वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के 43 पैमानों पर जांचा गया था, जिनमें से यह 39 पैमानों पर फेल हो गया। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की 2015 की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट में भी इस प्रोजेक्ट की खामियां उजागर हुई थीं।

रिपोर्ट में कॉरिडोर पर 11 ऐसे स्थानों का उल्लेख किया गया था, जहां ज्यादा हादसे हो रहे थे। असल में, कॉरिडोर की वजह से मुख्य सड़कें संकरी हो गई थीं, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। बीआरटीएस को हटाने से ट्रैफिक की स्थिति में सुधार होने, जाम की समस्या कम होने और हादसों पर अंकुश लगने की उम्मीद है।

ऐसे शुरू हुई थी बीआरटीएस परियोजना

जयपुर में 4 चरणों में इस प्रोजेक्ट के तहत कॉरिडोर विकसित करना था।  सरकार ने वर्ष 2007 में इसका काम शुरू करवाया, लेकिन 2 ही कॉरिडोर तैयार हुए। इस प्रोजेक्ट पर करीब 170 करोड़ रुपए खर्च हुए, 50 फीसदी राशि केन्द्र सरकार ने खर्च की। 

वर्ष 2006 रखी गई बीआरटीएस प्रणाली की नींव 

भारत में बीआरटीएस प्रणाली की नींव वर्ष 2006 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति के साथ रखी गई थी। इस नीति के तहत कई शहरों ने बीआरटीएस परियोजनाओं के लिए केंद्र से आर्थिक सहायता मांगी थी। गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में यह प्रयोग सफल रहा, जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में यह विफल साबित हुआ। जयपुर बीआटीएस को तोड़ने पर करीब 30 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। 

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