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राजस्थान की राजधानी जयपुर में साइबर ठगों ने एक डिप्टी मैनेजर से 81 लाख 75 हजार रुपए की धोखाधड़ी की है। पीड़ित सांगानेर के बालाजी विहार वाटिका रोड पर रहता है और जीनस कंपनी में डिप्टी मैनेजर के पद पर कार्यरत था।
एक दिन उसके वॉट्सऐप पर एक मैसेज आया, जिसमें उसे एक लिंक के जरिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग एप के ग्रुप से जोड़ा गया। इस लिंक पर क्लिक करते ही उसने एप डाउनलोड किया, जहां ठगों ने उसे पैसा डबल होने की गारंटी देकर उसे निवेश करने के लिए प्रेरित किया।
ट्रेडिंग एप के जरिए ठगी
पीड़ित ने बताया कि कुछ समय बाद ठगों ने उसे ज्यादा पैसा कमाने के लिए नई-नई तरकीबें बताई और उसे लालच दिया कि उसका पैसा डबल हो जाएगा। आरोपियों ने यह विश्वास दिलाने के लिए ट्रेडिंग एप के अंदर कुछ लोगों से बातचीत करवाई, जिनके मुताबिक वे पहले ही अच्छा पैसा कमा चुके थे। इस विश्वास के चलते पीड़ित ने ठगों को अपना पैसा दे दिया। कुछ समय बाद जब उसे यह एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो गया है, तो उसने पैसे की वापसी की मांग की, लेकिन तब तक ठगों ने उसका फोन बंद कर दिया और उसे ग्रुप से हटा दिया।
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साइबर क्राइम के जाल में कैसे फंसे लोग
सांगानेर सदर थाना पुलिस के जांच अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि यह एक साइबर ठगी Cyber fraud का मामला है, जिसमें आरोपी वॉट्सऐप के माध्यम से लोगों को जोड़ते हैं और उन्हें पैसा डबल करने का लालच देते हैं। ठगों बेहद चालाकी से काम करते हैं। पहले वे ग्रुप में उन लोगों को जोड़ते हैं जो पहले से इनके साथ होते हैं और ग्रुप में आए नए लोगों को फायदों के बारे में बताते हैं। जैसे ही नए शिकार अपना पैसा डाल देते हैं, ठग उन्हें ग्रुप से हटा देते हैं और दूसरे शिकार की तलाश शुरू कर देते हैं।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
पीड़ित ने अपनी शिकायत के बाद सांगानेर सदर थाना में एफआईआर दर्ज करवाई है। अब पुलिस की साइबर टीम इस मामले पर काम कर रही है और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट की कई धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही आरोपियों का पता चल सकेगा और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
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साइबर अपराध से बचाव के उपाय
जयपुर में साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं। डिप्टी मैनेजर से साइबर ठगी जैसे अपराधों से बचने के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी अनजान लिंक या एप पर क्लिक करने से बचना चाहिए। कभी भी किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पैसा लगाने से पहले उसकी सत्यता की जांच करनी चाहिए। इसके अलावा, यदि कोई लिंक वॉट्सऐप या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भेजा जाता है, तो उस पर क्लिक करने से पहले उसे पूरी तरह से समझ लेना चाहिए और किसी विश्वसनीय व्यक्ति से पुष्टि करनी चाहिए।