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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के जयपुर की जल महल झील पर नाइट बाजार के चक्कर में एनजीटी की लगाई गई 28 लाख की पेनल्टी माफ करवाने में जयपुर नगर निगम हेरिटेज के साथ नमाज छुड़ाने गए और रोजे गले पड़ने वाली कहावत हो गई है। एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर कोर्ट ने न केवल पेनल्टी के आधे पैसे 14 लाख रुपए जमा करवाने की शर्त लगा दी, बल्कि झील में प्रदूषण पर सुनवाई भी शुरू कर दी।
नीरी को बना लिया पक्षकार
कोर्ट ने झील के प्रदूषण को रोकने व संरक्षित करने के लिए नीरी यानी राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान को जिम्मेदारी दे दी है। नीरी के एक्सपर्ट दो बार झील का इंस्पेक्शन कर गए हैं और एक प्रारंभिक रिपोर्ट भी तैयार कर दी है, लेकिन अब कोर्ट ने नीरी को मामले में पक्षकार बना लिया है।
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ऐसे शुरू हुआ मामला
मामले में पक्षकार पर्यावरणविद राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 9 दिसंबर को जलमहल झील की पाल पर लगने वाले नाइट मार्केट को बंद करने तथा नगर निगम हेरिटेज पर पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन करने पर 26 लाख रुपए जुर्माना लगाया था।
झील में सीवर का पानी
इसके खिलाफ निगम सुप्रीम कोर्ट गया और जुर्माना हटाने की गुहार की थी, लेकिन कोर्ट ने आधी राशि जमा करवाने की शर्त पर सुनवाई के निर्देश दिए थे। इसी मामले में राजेंद्र तिवाड़ी ने अर्जी लगाकर कोर्ट को बताया कि झील में सीवर का पानी डाला जा रहा है। इसकी पुष्टि असिस्टेंट कंजर्वेटर फॉरेस्ट की रिपोर्ट से भी होती है।
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जयपुर स्मार्ट सिटी कैसे बनेगा!
कोर्ट ने हेरिटेज के कमिश्नर से झील में प्रदूषण को रोकने व संरक्षित करने का प्लान मांगा था, लेकिन प्लान पेश नहीं हुआ। कोर्ट ने सवाल उठाया था कि जयपुर अपनी झीलों को बचाए बिना स्मार्ट सिटी कैसे बनेगा! कोर्ट ने सभी व्यावसायिक गतिविधियों पर पाबंदी लगाते हुए नीरी को इंस्पेक्शन के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने निगम को भी चेतावनी दी थी कि यदि उसने झील में जाने वाले गंदे पानी को नहीं रोका, तो इसे जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा।
नीरी को जांच के दिए निर्देश
नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट ने मार्च, 2025 में नीरी को इंस्पेक्शन के निर्देश दिए थे। नीरी की ओर से प्रिसिंपल साइंटिस्ट डॉ. नितिन गोयल ने 18 मार्च और 25 अप्रेल को निगम के अधिकारियों के साथ झील को इंस्पेक्शन किया।
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यह बताया प्रारंभिक रिपोर्ट में
जलमहल झील के सामने वाले हिस्से से झील में सीवरेज का पानी आ रहा है। इससे झील का पानी हरा हो गया है। इसे फौरन रोका जाए। झील में चारों ओर कपड़े, प्लास्टिक और मूर्तियां व लक​ड़ी के फ्रेम पड़े हैं। झील में म​छलियों के लिए आटे की गोलियां डाली जाती हैं। हालांकि इनके प्रभाव का अभी कोई अध्ययन नहीं है।
झील में जा रहा सारा कचरा
झील के दूसरी ओर दिल्ली बाइपास पर भारी मात्रा में प्लास्टिक पड़ा था। झील से सटकर नाग​तलाई नाला बहता है। बारिश में यह ओवरफ्लो होकर झील व नाले का पानी​ मिक्स हो जाता है। झील के सामने वाले हिस्से में पर्यटक घूमने आते हैं। इससे यहां भारी मात्रा में प्लास्टिक और दूसरा कचरा होता है। नो वेडिंग जोन होने के बावजूद सैकड़ों वेंडर सामान बेचते हैं। इससे होने वाला कचरा सीधा झील में जाता है।
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नीरी ने यह दिए हैं सुझाव
नीरी की रिपोर्ट में झील में सीवरेज का पानी व कचरा जाने से तत्काल रोकने, झील के चारों ओर व्यावसायिक गतिविधियों को नियंत्रित करने, पर्याप्त मात्रा में कचरा पात्र रखने और गार्ड लगाने, नौका में सवार होकर कर्मचारियों से झील से कचरा निकलवाने को कहा है। बताया गया कि झील के इस एरिया को 19 मार्च को नो वे​डिंग जोन घोषित कर दिया है। अन्नपूर्णा रसोई को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया है। नाइट बाजार बंद है, लेकिन कुछ वेंडर अभी रहते हैं।
अब यह कहा है कोर्ट ने
जस्टिस मनोज मिश्रा व जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच ने नौ दिसंबर को सुनवाई के दौरान मामले में नीरी को पार्टी बनाकर नए सिरे से इंस्पेक्शन करके अगली सुनवाई की तारीख दो फरवरी को रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट प्लान के लिए भी गंभीर है।
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