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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने जयपुर शहर में नेहरू नगर कच्ची बस्ती में आवंटियों को जारी किए जमीन के पट्टों को रद्द करने के जयपुर नगर निगम हेरिटेज के आदेश पर रोक लगाते हुए आयुक्त से जवाब मांगा है। जस्टिस संजीत कुमार पुरोहित ने यह अंतरिम आदेश अरुण कुमार शुक्ला व अन्य की याचिकाओं पर दिए।
एडवोकेट राजेश महर्षि ने बताया कि सरकार ने ही करीब 65 साल पहले 1960 में नेहरू नगर कच्ची बस्ती को अवाप्त करके प्लॉट आवंटित किए थे। इनमें से कुछ आवंटियों ने अपने प्लॉट आगे बेच दिए थे। याचिकाकर्ताओं में कुछ मूल आवंटी हैं, तो कुछ ने बाद में प्लॉट खरीदे थे, लेकिन प्लॉट होल्डर को सरकार ने पट्टे नहीं दिए थे। आवं​टन के 65 साल बाद साल 2023 में नगर निगम हेरिटेज ने पट्टे जारी किए थे।
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मांगा था स्पष्टीकरण
इसके बाद अचानक नगर निगम ने याचिकाकर्ताओं को 7 अगस्त, 2025 को नोटिस जारी किए और पट्टे देने में अनियमितता पर स्पष्टीकरण मांगा। याचिकाकर्ताओं ने सभी दस्तावेजों सहित स्पष्टीकरण दे दिए, लेकिन आयुक्त ने सुनवाई का अवसर दिए बिना ही पट्टे रद्द करने के आदेश जारी कर दिए।
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आयुक्त को अधिकार ही नहीं
एडवोकेट महर्षि ने कोर्ट को बताया कि नगर निगम आयुक्त को पट्टे रद्द करने का अधिकार ही नहीं है। सुनवाई का अवसर नहीं देकर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया गया है। इस संबंध में राजस्थान हाई कोर्ट की ​प्रिंसिपल सीट कान सिंह व अन्य के मामले में तय हो चुका है कि आयुक्त को तक तक पट्टे रद्द करने की शक्ति नहीं होती, जब तक सरकार उसे अपनी शक्तियां नहीं सौंप देती।
अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद
कोर्ट ने नगर निगम और राजस्थान सरकार से जवाब मांगते हुए नगर निगम हेरिटेज के 13 सितंबर, 2025 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई करने पर भी रोक लगाई। वहीं अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की है।
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यह है पूरा मामला
आरोप है कि हेरिटेज निगम के सिविल लाइंस जोन में प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत खूब बंदरबांट हुई थी। बस्सी सीतारामपुरा में तीन से चार करोड़ रुपए की जमीन का पट्टा निगम ने 501 रुपए में जारी कर दिया। निगम की जांच में 30 पट्टों पर सवाल खड़े हो गए। इन भूखंडों की बाजार में कीमत 80 से 90 करोड़ रुपए बताई जा रही है। जो पट्टे निरस्त होने की प्रक्रिया में हैं, उनमें से ज्यादातर वर्ष 2023 में जारी हुए थे। इसकी हेरिटेज निगम ने रिपोर्ट बनाकर स्वायत्त शासन विभाग को भेज दी थी।
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गाइडलाइन की भी पालना नहीं
आरोप यह भी है कि मामला उजागर होने के बाद जिन लोगों के पट्टे फर्जी थे, उन्होंने भूखंड बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके बाद निगम ने 30 पट्टों की सूची सार्वजनिक कर दी। साथ ही मौके पर निगम संपत्ति के बोर्ड भी लगा दिए थे और 13 सितंबर को पट्टे निरस्त कर दिए थे। यह भी आरोप लगा कि पिछले कुछ वर्षों में जो पट्टे जारी हुए हैं, उसमें नगर नियोजक शाखा को दूर रखा गया। अभियान के दौरान राज्य सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की, उसकी भी पालना कई प्रकरणों में नहीं हुई है।