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राजस्थान की भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस के एक और फैसले को पलट दिया है। सरकार के फैसले के अनुरूप राजधानी जयपुर में अब दो के स्थान पर एक ही नगर निगम होगा। आगामी नगर निगम चुनाव के साथ ही जयपुर नगर निगम ग्रेटर और जयपुर नगर निगम हेरिटेज का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
इस संबंध में स्थानीय निकाय निदेशक ने राजस्थान नगर निगम अधिनियम और राजस्थान नगर निगम (निर्वाचन) नियमों के तहत जयपुर नगर निगम वार्ड पुनर्गठन पर राज्य सरकार की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी कर दी है।
अधिसूचना में जयपुर जिला कलेक्टर की ओर से जारी वार्ड गठन प्रारूप पर प्राप्त आपत्तियों पर निस्तारण के बाद 150 वार्डों की अंतिम प्रारुप भी तय हो गया है।
अभी हैं 250 वार्ड
कांग्रेस सरकार ने जयपुर नगर निगम को तोड़कर बनाए गए नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम के तहत कुल 250 वार्ड बनाए। भाजपा ने कांग्रेस सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध किया था और नगर निगम तोड़कर दो बनाने के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी,लेकिन हाईकोर्ट ने मामले में दखल देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी। भाजपा ने 2023 में सत्ता में आते ही साफ कर दिया था कि वह जयपुर,जोधपुर और कोटा एक के स्थान पर बनाए गए दो—दो निगम का अस्तित्व समाप्त किया जाएगा और सरकार ने इसकी शुरुआत राजधानी जयपुर से कर दी है।
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आपत्तियों की सुनवाई करके किया है फैसला
राजस्थान सरकार के नगर निगम के पुनर्गठन के फैसले के बाद जयपुर शहर को फिर से एकीकृत करते हुए 150 वार्ड में विभाजित किया है। वार्ड गठन का प्रारूप जारी होने के बाद आमजन,राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से वार्ड की सीमा,जनसंख्या और भौगोलिक असमानताओं को लेकर आपत्तियां मिली थीं। जयपुर कलेक्टर ने इन आपत्तियों की सुनवाई करने के बाद रिपोर्ट सरकार को भेज दी थी। सरकार ने इस रिपोर्ट को सही मानते हुए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
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न्यूनतम और अधिकतम जनसंख्या वाले वार्ड
अधिसूचना को सरसरी तौर पर पढ़ने के बाद नए वार्ड गठन में जनसंख्या अंसतुलन दिखाई दे रहा है। क्योंकि कुछ वार्ड बेहद छोटे हैं तो कुछ वार्ड में एरिया भी बड़ा है और जनसंख्या भी ज्यादा है। वार्ड 19 की आबादी 27,913 तो वार्ड 31 की आबादी वार्ड 19 के मुकाबले आधी 13,499 ही है। दो वार्ड में जनसंख्या का यह अंतर जरूरत से ज्यादा है।
यूडीएच मंत्री ने यह कहा
इस संबंध में यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा का कहना है कि कुछ इलाकों की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण तय मानकों को लागू करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने संबंधित क्षेत्र के संदर्भ में फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि वार्ड निर्धारण की अधिसूचना जारी होने के बाद अब वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया की जाएगी और उसके बाद ही मतदाता सूची का पुनरीक्षण होगा। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग कभी भी नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है।