कृषि विश्वविद्यालय : अब थार के औषधीय पौधों पर होगा रिसर्च, किसानों की आर्थिक स्थिति बनेगी मजबूत

राजस्थान के जोधपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में अब थार के औषधीय पौधों पर अनुसंधान होगा। केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने 1.20 करोड़ रुपए का अनुदान मंजूर किया। किसानों की आर्थिक स्थिति में भी आएगा बदलाव। पढ़ें पूरी जानकारी।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jodhpur. जोधपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में केवल फसलों के साथ-साथ पश्चिमी राजस्थान के थार क्षेत्र की बहुमूल्य औषधीय पौधों पर भी अनुसंधान किया जाएगा। इसके लिए केंद्र के आयुष मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है। इस परियोजना को आयुष मंत्रालय के नेशनल मेडिसिन प्लांट बोर्ड से 1.20 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ है। इससे न सिर्फ औषधीय पौधों की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि किसानों की आर्थिकी में भी बदलाव आएगा।

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थार के औषधीय पौधों पर होगा रिसर्च

इस परियोजना के तहत जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय में थार के पांच प्रमुख औषधीय पौधों पर शोध किया जाएगा। इनमें शंखपुष्पी, अग्नि मंथ, अपराजिता, अश्वगंधा और गूग्गल शामिल हैं। इन पौधों पर शोध करने के साथ-साथ उनकी कृषि तकनीक भी विकसित की जाएगी। प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक डॉ. प्रदीप पगारिया ने बताया कि इस शोध से न केवल इन पौधों की खेती को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे किसानों को भी सीधे लाभ मिलेगा।

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2000 किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य

विश्वविद्यालय ने इस परियोजना के माध्यम से 2000 किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इससे पहले इस क्षेत्र में असंगठित रूप से कार्य हो रहा था, लेकिन अब इसे संगठित रूप में किया जाएगा। यह किसानों के लिए औषधीय पौधों की खेती का एक नया अवसर खोलेगा। किसानों को अतिरिक्त आय के स्रोत भी मिलेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

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सीड जर्म प्लाज्म सेंटर और नर्सरी

इस परियोजना के तहत औषधीय पौधों के ग्रामीण संग्रहण केंद्र भी बनाए जाएंगे। इसके अलावा, गुणवत्ता युक्त पादप सामग्री के लिए सीड जर्म प्लाज्म सेंटर और नर्सरी भी स्थापित की जाएगी। इस परियोजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू उनके मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण पर कार्य करना है।

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किसानों को क्या होगा फायदा?

इस परियोजना से किसानों को वैश्विक पर्यावरणीय बदलाव के बीच जैव विविधता संरक्षण के साथ अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगी। किसानों को प्रशिक्षण, प्रदर्शन, क्रेता-विक्रेता सम्मेलन, भ्रमण और जर्म प्लाज्म केंद्रों के माध्यम से यह सहायता प्रदान की जाएगी। साथ ही, नई प्रजातियों के विकास और उनकी तकनीकों से किसानों को विशेष लाभ मिलेगा। वे अपनी पारंपरिक खेती के साथ औषधीय पौधों की खेती करके अतिरिक्त आमदनी कमा सकेंगे।

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परियोजना के उद्देश्य

प्रजाति विकास के लिए जर्म प्लाज्म केंद्र की स्थापना
स्थानीय व विलुप्त प्राय औषधीय पौधों का संरक्षण
औषधीय पौधों की जैविक व प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता फैलाना
उत्पादक किसानों व इंडस्ट्रीज के बीच लिंक अप करना
स्वास्थ्य को बढ़ावा और थार संस्कृति व पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना

मुख्य बिंदु

  • किसानों को औषधीय पौधों की खेती करने का नया अवसर मिलेगा, जिससे वे अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे। उन्हें नई प्रजातियों के विकास और खेती की तकनीकों की जानकारी मिलेगी।
  • इस परियोजना के तहत शंखपुष्पी, अग्नि मंथ, अपराजिता, अश्वगंधा और गूग्गल जैसे महत्वपूर्ण औषधीय पौधों पर अनुसंधान किया जाएगा।
  • इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य औषधीय पौधों की नई प्रजातियों का विकास करना, जैव विविधता का संरक्षण और किसानों को अतिरिक्त आय के स्रोत प्रदान करना है।
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