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Photograph: (TheSootr)
Jaipur. देश की न्यायपालिका में प्रशासनिक फेरबदल के तहत दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण मोंगा का तबादला राजस्थान हाईकोर्ट में कर दिया गया है। न्यायमूर्ति मोंगा ने हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में 21 जुलाई 2025 को शपथ ग्रहण की थी।
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न्यायमूर्ति अरुण मोंगा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
न्यायमूर्ति अरुण मोंगा का जन्म और शिक्षा पंजाब में हुई, जहाँ उनके पिता ज्यूडिशियल ऑफिसर रहे और बाद में सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने डी.ए.वी. कॉलेज, चंडीगढ़ से बी.एससी. (प्रथम श्रेणी) की उपाधि प्राप्त की और कॉलेज कलर से सम्मानित हुए। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से एलएल.बी. (प्रथम श्रेणी) की डिग्री हासिल की।
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पेशेवर जीवन और कानूनी करियर
कानून की पढ़ाई के दौरान न्यायमूर्ति मोंगा चंडीगढ़ के एक विद्यालय में रसायन शास्त्र के शिक्षक भी रहे। उन्होंने साल 1991 में अधिवक्ता के रूप में चंडीगढ़ हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। 1997-98 में दिल्ली स्थानांतरित होने के बाद उन्होंने लगभग 20 वर्षों तक वहां प्रैक्टिस की।
उनका अनुभव कॉरपोरेट ट्रांजैक्शन, नॉन-लिटिगेशन और विवाद समाधान (dispute resolution) तक फैला हुआ है। वे निजी क्षेत्र की संस्थाओं और व्यक्तिगत मामलों दोनों में विशेषज्ञ रहे हैं। उनके कानूनी अनुभव और व्यावहारिक दृष्टिकोण उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बनाते हैं।
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न्यायमूर्ति मोंगा का व्यक्तिगत जीवन
न्यायमूर्ति मोंगा खेलों में रुचि रखते हैं और प्रकृति प्रेमी भी हैं। उन्होंने अपने पेशेवर जीवन के साथ संतुलित और अनुशासित जीवन शैली बनाए रखी है। उनके व्यक्तित्व और अनुशासन ने न्यायपालिका के अंदर उनके काम को और भी प्रभावी बनाया है।
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न्यायमूर्ति अरुण मोंगा का राजस्थान हाईकोर्ट तबादला
न्यायिक हलकों में चर्चा है कि न्यायमूर्ति मोंगा के राजस्थान हाईकोर्ट में तबादले से राज्य की न्यायिक प्रणाली को नई ऊर्जा मिलेगी। उनके कॉरपोरेट मामलों की गहरी समझ और नॉन-लिटिगेशन में विशेषज्ञता अदालत की प्रक्रियाओं को तेज और प्रभावी बनाएगी।
राजस्थान हाईकोर्ट में उनके योगदान से जटिल कॉरपोरेट विवादों का समाधान और मामलों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित की जा सकेगी। उनकी व्यावहारिक दृष्टि न्यायालय के निर्णयों की गुणवत्ता और न्यायिक निष्पक्षता दोनों में सुधार लाएगी।
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