नई किस्म "मोठ 4" किसानों के लिए लाएगी बेहतर पैदावार, कम बारिश में भी उग सकेगी

काजरी ने राजस्थान के किसानों के लिए "मोठ 4" नामक नई किस्म विकसित की है, जो कम बारिश में भी अच्छी पैदावार देती है। जानिए इस बारे में पूरी जानकारी

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Gyan Chand Patni
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 काजरी ने विकसित की मोठ की नई किस्म: 40 दिन तक बिना बारिश के रह सकती है जिंदा  

राजस्थान के जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) के वैज्ञानिकों ने मोठ (Moth) की एक नई किस्म विकसित की है, जिसे "मोठ 4" (Moth 4) नाम दिया गया है। यह किस्म कम बारिश वाले इलाकों में भी बेहतर पैदावार देने में सक्षम है। काजरी के वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि बुवाई के बाद 40 दिन तक बारिश नहीं होती, तो भी यह किस्म 5 से 6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार दे सकती है।

फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए निरंतर शोध

काजरी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एच.आर. मेहला ने बताया कि काजरी द्वारा समय-समय पर फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए शोध और अनुसंधान किया जाता है। पश्चिमी राजस्थान में मोठ एक महत्वपूर्ण फसल है, लेकिन यहां बारिश का वितरण बहुत असमान रहता है। काजरी के वैज्ञानिकों ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए इस नई किस्म को विकसित किया है।

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कम बारिश में अच्छी पैदावार की विशेषता

डॉ. मेहला ने बताया कि पुरानी किस्मों में पौधे ज्यादा फैलते नहीं थे और केवल 60-65 दिनों में पक जाते थे। राजस्थान के मरुस्थलीय इलाकों में वर्षा का वितरण बहुत असामान्य है। मोठ की नई किस्म `मोठ 4' में यह खासियत है कि अगर 40 दिन तक बारिश नहीं होती, तो भी यह अच्छी पैदावार दे सकती है।

अतिरिक्त नमी का उपयोग करके मूंग की तरह फैलने वाली किस्म

काजरी के वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इस किस्म को और अधिक विकसित किया। यदि इस फसल को उगाने के 50-55 दिन बाद बारिश होती है, तो यह पौधे मूंग की तरह फैलने लगते हैं और उनकी ऊंचाई भी बढ़ जाती है। यह किस्म अतिरिक्त नमी का उपयोग करके मूंग जैसी पैदावार देती है, जिससे किसानों को और भी लाभ मिलता है।

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पानी की जरूरत भी है मोठ और ग्वार को

काजरी के  कृषि वैज्ञानिक डॉ. एच.आर. महला ने यह भी बताया कि राजस्थान में अक्सर यह धारणा बन गई थी कि मोठ और ग्वार को पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। इन फसलों को भी पानी और नमी की जरूरत होती है, खासकर जब मौसम बहुत गर्म हो या बारिश कम हो।

राजस्थान में मोठ की खेती

राजस्थान में मुख्य रूप से चूरू, बीकानेर, नागौर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों में मोठ की खेती की जाती है। यहां लगभग 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर इस फसल की खेती होती है, जिसमें 90 प्रतिशत क्षेत्र इन जिलों में स्थित है। काजरी द्वारा विकसित "मोठ 4" किसानों को अच्छी पैदावार देने में मदद करेगा, जिससे उनका जीवनस्तर बेहतर होगा और कृषि क्षेत्र में समृद्धि आएगी।

काजरी की अन्य किस्मों का इतिहास

राजस्थान में पहले मोठ की खेती कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर की आरएमओ सीरीज से होती थी, जिसमें RMO 257, 40, 435 प्रमुख थीं। ये किस्में 60 से 70 दिनों में पक जाती थीं और 90 के दशक में आई थीं। 2000 के दशक की शुरुआत में काजरी ने मोठ पर अनुसंधान कार्य शुरू किया था और 1999 में किस्म 1, 2002 में किस्म 2 और 2005 में किस्म 3 को तैयार किया था।

इसके बाद, काजरी ने 2017 में एक नई वेरायटी विकसित करने का प्रयास शुरू किया और अब तक काजरी मोठ 4, 5, 6, और 7 जैसी प्रमुख किस्में विकसित की हैं, जिन्हें भारतीय सरकार की कमेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदित किया है। इसके अलावा, काजरी मोठ 8 और 9 को भी हाल ही में दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र में हुए कार्यशाला में अनुमोदन मिला है।

काजरी की नई किस्म का किसानों के लिए महत्व

इस नई किस्म "मोठ 4" से किसानों को कई फायदे हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह किस्म कम बारिश में भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे किसानों को उनके क्षेत्र में पानी की कमी के बावजूद अच्छा मुनाफा मिल सकता है।

FAQ

1. काजरी ने कौन सी नई मोठ किस्म विकसित की है?
काजरी ने "मोठ 4" नामक नई किस्म विकसित की है, जो कम बारिश में भी 5 से 6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देने में सक्षम है।
2. राजस्थान में मोठ की खेती कहां की जाती है?
राजस्थान के चूरू, बीकानेर, नागौर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों में मोठ की प्रमुखता से खेती की जाती है।
3. क्या मोठ और ग्वार को पानी की आवश्यकता होती है?
हां, इन फसलों को भी पानी और नमी की जरूरत होती है।
4. काजरी ने कितनी नई मोठ किस्में विकसित की हैं?
काजरी ने "मोठ 4", "मोठ 5", "मोठ 6" और "मोठ 7" जैसी प्रमुख किस्में विकसित की हैं, जिन्हें सरकार की कमेटी द्वारा अनुमोदित किया गया है।
5. काजरी 4 किस्म में क्या विशेषताएं हैं?
"मोठ 4" किस्म की विशेषता यह है कि यह कम बारिश के बावजूद अच्छी पैदावार देती है और यदि 50-55 दिनों बाद बारिश होती है, तो पौधे मूंग की तरह फैल जाते हैं और ऊंचाई बढ़ जाती है।

कृषि राजस्थान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एच.आर. महला मोठ की नई किस्म `मोठ 4' राजस्थान में मोठ की खेती काजरी
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