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Photograph: (the sootr)
Kota. राजस्थान के कोटा जिले में एक विशेष रिकॉर्ड स्थापित किया गया है, जहां 233 फीट ऊंचे रावण के पुतले ने एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान बनाया है। कलाकारों ने अपनी कड़ी मेहनत और उत्कृष्ट कला के माध्यम से इस रावण के पुतले को आकार दिया, जिससे इसने न केवल कोटा, बल्कि पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया।
मुख्यमंत्री को सौंपा प्रमाण-पत्र
कोटा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को इस शानदार पुतले के लिए संस्था के प्रतिनिधि भुवनेश मथुरिया ने रिकॉर्ड का प्रमाण-पत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह सिर्फ एक पुतला नहीं, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और कला के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कलाकारों की मेहनत की सराहना की और भविष्य में ऐसे और रिकॉर्ड स्थापित करने की उम्मीद जताई।
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एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम
एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज रावण का यह पुतला चार महीने में बनकर तैयार हुआ, जिसकी लागत करीब 44 लाख रुपए आई। इस रावण के पुतले के रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के बाद कोटा शहर को एक नई पहचान मिली है। यह पुतला न केवल अपनी ऊंचाई के कारण, बल्कि इसके निर्माण में प्रयुक्त अद्वितीय शिल्प कौशल के लिए भी प्रसिद्ध हो गया है। एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है, जो कोटा और राजस्थान के लिए गर्व की बात है।
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— Kishor Joshi (@KishorJoshi02) October 2, 2025
कोटा में दशहरे के मैदान में खड़ा किया गया 222 फीट ऊँचा रावण अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा पुतला बन गया है! चार महीने की मेहनत और 44 लाख रुपये की लागत से तैयार, इस पुतले ने एशिया बुक और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में… pic.twitter.com/nMcU6ESJCa
सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक
कोटा का यह रावण न केवल अपनी ऊंचाई के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं का भी एक बेहतरीन उदाहरण है। इस पुतले के निर्माण में पारंपरिक कला के साथ आधुनिक तकनीकों का मिश्रण देखने को मिलता है। इसके निर्माण में स्थानीय कारीगरों ने अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन किया, जिससे यह पुतला कला का अद्वितीय उदाहरण बन गया।
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कला और संस्कृति की ओर
इस रिकॉर्ड से यह स्पष्ट हो जाता है कि राजस्थान में कला और संस्कृति के क्षेत्र में न केवल उत्साह है, बल्कि इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार और नागरिक दोनों ही मिलकर काम कर रहे हैं। यह भविष्य में और भी बड़े रिकॉर्ड स्थापित करने की प्रेरणा देगा। इस पुतले को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आए। इसके साथ ही उन्होंने कोटा और राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को समझने का प्रयास किया।