राजस्थान सरकार ने हाल ही में चार प्रमुख शहरों – केकड़ी, सांचौर, नीमकाथाना और शाहपुरा (भीलवाड़ा) – का नगर परिषद (Municipal Corporation) का दर्जा वापस ले लिया है और इन शहरी निकायों को पुनः नगर पालिका (Municipality) बना दिया है।
स्वायत्त शासन विभाग ने इस निर्णय को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार के इस निर्णय को लेकर अब बयानबाजी और विरोध भी प्रारंभ हो गए है।
जिला बनने पर बढ़ा था दर्जा
इन चारों शहरों को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा नया जिला घोषित किया गया था, और उसी आधार पर इन्हें नगर परिषद का दर्जा प्रदान किया गया था। नगर परिषद के दर्जे से इन शहरों को अधिक बजट, प्रशासनिक सुविधाएं और विकास कार्यों के लिए प्राथमिकता मिलनी थी।
हालांकि, भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद इन नए जिलों को मान्यता देने से इनकार कर दिया। इसका मतलब है कि इन चारों शहरों को अब जिला मुख्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है, और इसके चलते उनके नगर परिषद का दर्जा भी समाप्त कर दिया गया है।
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जिला मुख्यालय को मिलता है नगर परिषद का दर्जा
नगर परिषद का दर्जा केवल उन्हीं शहरी निकायों को दिया जाता है, जो जिला मुख्यालय होते हैं या जिनकी जनसंख्या, आय और सामाजिक-आर्थिक संरचना निर्धारित मानदंडों के अनुरूप होती है। ऐसे में जब कोई शहर जिला मुख्यालय नहीं होता और अन्य मापदंड भी पूरे नहीं करता है, तो उसे नगर परिषद का दर्जा नहीं मिल सकता।
घट जाएगा बजट, बाधित होगा विकास
अब, इन चारों शहरों के शहरी निकायों को पुनः नगर पालिका के रूप में काम करना होगा। नगर पालिका का बजट और प्रशासनिक दायरा नगर परिषद के मुकाबले सीमित होता है। नगर पालिकाओं को विकास योजनाओं और संसाधनों में प्राथमिकता नहीं मिलती, जो नगर परिषदों को मिलती थी। इससे इन शहरों में विकास की गति पर प्रभाव पड़ सकता है।
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विपक्ष ने कहा, राजनीति से प्रेरित है निर्णय
सरकार के इस निर्णय को लेकर अब विरोध भी प्रारंभ हो गए है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस शासनकाल में बनाए गए जिलों से दर्जा वापस लेने के निर्णय को राजनीति से प्रेरित बताया। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि यह निर्णय इन शहरों के विकास के लिए लिया गया था। इधर जिन शहरों से नगर परिषद का दर्जा छीना गया है वहां के लोगों ने भी इस निर्णय का विरोध प्रारंभ कर दिया है।
ऐसे समझे पूरे मामले को
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राजस्थान सरकार ने केकड़ी, सांचौर, नीमकाथाना और शाहपुरा का नगर परिषद का दर्जा वापस लिया और इन्हें फिर से नगर पालिका बना दिया।
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ये शहर पहले कांग्रेस सरकार द्वारा नए जिले घोषित किए गए थे, जिससे उन्हें नगर परिषद का दर्जा मिला था।
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भाजपा सरकार ने इन शहरों को जिला मुख्यालय के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया, जिसके कारण नगर परिषद का दर्जा हटा दिया गया।
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नगर परिषद का दर्जा मिलने से शहरों को अधिक बजट और प्रशासनिक सुविधाएं मिलती थीं, लेकिन अब नगर पालिका के रूप में काम करने से ये सुविधाएं कम हो जाएंगी।
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सरकार का कहना है कि यह बदलाव प्रशासनिक नियमों के अनुसार लिया गया है, हालांकि विपक्ष ने इसे राजनीतिक निर्णय बताया है।
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