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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के सियासी परिदृश्य में नरेश मीणा एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। उन्होंने हाल ही में झालावाड़ हादसे के विरोध में अपना आंदोलन किया था और अब वह डूंगरी बांध के विरोध में नया मोर्चा खोलने की योजना बना रहे हैं। सवाई माधोपुर के डूंगरी बांध का विरोध करते हुए वे किसानों की जमीन और विस्थापन के मुद्दे पर सरकार से सीधे टकराने की तैयारी में हैं।
नरेश मीणा का कहना है कि इस बार उनका आंदोलन गांधीवादी तरीके से होगा, लेकिन यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाला है। उनका कहना है कि जमीन से जुड़ी आस्था और एकता के कारण कोई भी सरकार किसानों को अपनी भूमि से विस्थापित नहीं कर सकती।
विस्थापितों के सहारे सरकार पर हमला
नरेश मीणा ने डूंगरी बांध के विरोध में अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकार किसानों को मुआवजा देकर उनकी भूमि हड़पना चाहती है। वे सरकार से सवाल करते हैं कि क्या उन्होंने कभी बीसलपुर बांध के विस्थापितों की हालत देखी है? उन्होंने दावा किया कि बीसलपुर के विस्थापित लोग आज भी जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जननी और जन्मभूमि उनके लिए स्वर्ग से भी अधिक महत्वपूर्ण है और वे अपनी जमीन को कभी नहीं छोड़ेंगे। नरेश मीणा ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उन्हें फाइव स्टार होटल भेज दिया जाएगा तो भी वे ज्यादा समय तक वहां नहीं रह सकते।
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भाई से दुश्मनी हो जाती है...
नरेश मीणा ने अपनी बात को और मजबूती से रखते हुए कहा कि अगर वे एक इंच की मेड तोड़ने पर अपने भाई से भी दुश्मनी कर सकते हैं, तो अपनी पैतृक भूमि छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। उनका कहना है कि सरकार यह नहीं समझ सकती कि जब लोग अपने ही भाइयों से लड़ सकते हैं, तो अपनी भूमि छोड़ने का विचार क्यों करेंगे? उन्होंने यह भी कहा कि वे डूंगरी बांध के लिए एक भी ईंट नहीं लगने देंगे और इसके लिए वे अपनी जान भी दे सकते हैं।
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आंदोलन को दबाने की कोशिश
नरेश मीणा ने आरोप लगाया कि राजस्थान सरकार पहले से जानती थी कि वह डूंगरी बांध के विरोध में आंदोलन शुरू कर सकते हैं। इसी कारण उन्हें 40 दिन तक जेल में रखा गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन अहिंसक होगा, लेकिन यह सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा। मीणा ने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में हजारों लोग एक साथ भूख हड़ताल पर बैठकर इस बांध के विरोध में आवाज उठाएंगे। उनका कहना है कि 76 गांवों के लोग एकजुट होकर सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर देंगे।
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किसानों पर नरेश मीणा की दृढ़ता
नरेश मीणा के नेतृत्व में डूंगरी बांध का विरोध अब एक बड़े आंदोलन का रूप लेने जा रहा है। किसानों की भूमि और विस्थापन के सवाल पर उन्होंने सरकार को खुली चुनौती दी है। आने वाले समय में यह आंदोलन केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे राज्य में एक जन जागरण का रूप ले सकता है।
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क्या है डूंगरी बांध परियोजना?
डूंगरी बांध परियोजना राजस्थान के सवाई माधोपुर और करौली जिलों की सीमा पर बनास नदी पर प्रस्तावित एक बड़ी जल परियोजना है, जो पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) का हिस्सा है। इसका उद्देश्य आठ से दस जिलों को पानी पहुंचाना है, लेकिन इस परियोजना का स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरणविदों द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है, क्योंकि इससे लगभग 76 गांवों के विस्थापन, उपजाऊ भूमि, वन्यजीवों के आवास और सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान पहुंचने का खतरा है।