पंचायत चुनाव करवाने और प्रशासकों को हटाने के आदेश पर रोक, ​डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच का आदेश पलटा

राजस्थान हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव और प्रशासकों को हटाने के आदेश पर रोक लगाई, सिंगल बेंच का आदेश पलटा, राज्य सरकार की अपील पर फैसला। इधर, आयोग और सरकार आमने-सामने।

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Amit Baijnath Garg
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Rajasthan High Court

Photograph: (the sootr)

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राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य की पंचायतों के जल्द से जल्द चुनाव करवाने और पंचायतों में लगाए गए प्रशासकों को हटाने के सरकारी आदेश को रद्द करने वाले एकल पीठ के 18 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की डिवीजन बेंच ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर दिए। 

महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने अदालत को बताया कि सिंगल बेंच ने 18 अगस्त को पंचायतों के चुनाव जल्दी कराने के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को प्रशासक पद से हटाने पर रोक लगा दी थी। पूर्व में पंचायतों के तीन चरणों में चुनाव होने के कारण सरपंचों का कार्यकाल भी अलग-अलग समय पर पूरा हो रहा है। 

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चुनाव होने पर इनको तो हटना ही था

राजस्थान सरकार सभी पंचायतों के चुनाव एक साथ कराना चाहती है, इसलिए ही कार्यकाल पूरा कर चुके सरपंचों को ही अस्थाई रूप से दैनिक कामकाज जारी रखने के लिए प्रशासक नियुक्त किया था, इसलिए इन पर राजस्थान पंचायती राज नियम-1996 का नियम 38 लागू नहीं होता। दूसरे शब्दों में कार्यकाल पूरा कर चुके सरपंचों पर नियम-38 लागू नहीं होता। कुछ प्रशासकों की शिकायत मिलने पर उसे पद से हटाया गया था और हटाने से इनके कानूनी अधिकार नहीं छिने हैं, क्योंकि चुनाव होने पर इनको तो हटना ही था। 

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पंचायत चुनाव पर फैसला रिजर्व है

महाधिवक्ता ने सिंगल बेंच के पंचायत चुनाव जल्द से जल्द करवाने की राय देने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव करवाने के लिए जनहित याचिका पर हाई कोर्ट फैसला रिजर्व कर चुका है। याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच से चुनाव करवाने को लेकर कोई गुहार भी नहीं लगाई थी। ऐसे में सिंगल बेंच को चुनाव के मुद्दे पर कोई राय या टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी।  

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कोर्ट ने जल्द चुनाव करवाने को कहा था

गौरतलब है कि सिंगल बेंच ने प्रशासक के पद से हटाए गए करीब दो दर्जन पूर्व सरपंचों को प्रशासक पद से हटाने के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था। इस आदेश में कोर्ट ने कहा था कि समय पर पंचायत चुनाव करवाना राज्य निर्वाचन आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है। आयोग को कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही चुनाव करवा लेने चाहिए थे। कोर्ट ने जल्द से जल्द चुनाव करवाने को कहा था। 

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आयोग और सरकार आमने-सामने

इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट तैयार करने के लिए कलेक्टरों को प्रोग्राम जारी कर दिया है। उधर सरकार वन स्टेट वन इलेक्शन की तर्ज पर एक साथ चुनाव करवाने पर अड़ी हुई है, जबकि आयोग का कहना है कि अभी ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, जिससे वन स्टेट वन इलेक्शन हो सके। वहीं पंचायतों व स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए गठित आयोग ने भी तीन महीने में रिपोर्ट देना बताया है। ऐसे में दिसंबर से पहले चुनाव होना संभव नहीं है।

FAQ

Q1: राजस्थान पंचायत चुनाव कब होंगे?
राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच मतभेद के कारण, पंचायत चुनाव की तिथि पर अभी स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। आयोग का कहना है कि दिसंबर तक चुनाव संभव नहीं हो सकते।
Q2: क्या सरकार ने पंचायतों में प्रशासकों को हटाने का आदेश दिया था?
हां, राज्य सरकार ने कार्यकाल पूरा कर चुके सरपंचों के स्थान पर अस्थायी रूप से प्रशासक नियुक्त किए थे, जिनके हटाने के आदेश पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई।
Q3: सिंगल बेंच और डिवीजन बेंच के फैसले में क्या अंतर है?
सिंगल बेंच ने पंचायत चुनाव जल्दी कराने का आदेश दिया था, जबकि डिवीजन बेंच ने इस पर रोक लगाकर राज्य सरकार की अपील पर फैसला दिया।

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