वायु प्रदूषण का कहर जारी : 12 शहरों में खराब एयर क्वालिटी, भिवाड़ी रेड तो जयपुर ऑरेंज जोन में पहुंचा

राजस्थान में वायु प्रदूषण का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश के 12 शहरों में खराब एयर क्वालिटी, भिवाड़ी रेड जोन में, जयपुर ऑरेंज जोन में। कई बीमारियों के बढ़ने की भी आशंका। प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए जाएं कदम।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार चिंताजनक बना हुआ है। प्रदेश के कुल 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अब ऑरेंज जोन में पहुंच चुका है, जबकि भिवाड़ी शहर रेड जोन में बना हुआ है। सोमवार को सुबह 8 बजे रिपोर्ट्स आईं, तब भिवाड़ी के वसुंधरा नगर यूआईटी सेंटर पर AQI 324 दर्ज किया गया, जो कि रेड जोन को दर्शाता है। वहीं भिवाड़ी का रीको इंडस्ट्रियल एरिया 263 AQI के साथ ऑरेंज जोन में था।

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विभिन्न शहरों की हवा की गुणवत्ता

राज्य के कई अन्य शहरों में भी प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक हो गया है। बीकानेर में AQI 208 था, जबकि बूंदी में यह 255 दर्ज किया गया। भीलवाड़ा में AQI 212, चूरू में 207, कोटा में 282 और सीकर में 238 था। इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि प्रदेश में प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। इसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

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जयपुर में भी प्रदूषण की गंभीर स्थिति

राजधानी जयपुर में भी वायु गुणवत्ता का स्तर बेहद खराब रहा। सोमवार को सुबह आदर्श नगर में AQI 223, मानसरोवर में 280, सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में 240 और शास्त्री नगर में 258 था। जयपुर समेत प्रमुख शहरों में प्रदूषण की स्थिति बहुत गंभीर हो गई है।

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प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव

राजस्थान में प्रदूषण के स्तर में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। खासतौर पर ठंड के मौसम में हवा की गुणवत्ता और भी अधिक खराब हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि सांस की तकलीफ, अस्थमा और हृदय रोग बढ़ रहे हैं।

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प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने कुछ सरल कदम सुझाए हैं, जिनसे बड़े स्तर पर बदलाव लाया जा सकता है। स्वच्छ ईंधन का उपयोग, हरित क्षेत्र को बढ़ावा देना और कचरे का जिम्मेदार प्रबंधन जैसे उपाय प्रदूषण को काफी हद तक घटा सकते हैं।

इसके अलावा, सामान्य नागरिकों के छोटे-छोटे प्रयासों का भी वातावरण पर सकारात्मक असर पड़ता है और अगर इन प्रयासों को सामूहिक रूप से अपनाया जाए, तो प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिल सकती है।

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तत्काल कदम उठाने की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। साथ ही, नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि प्रदूषण कम करने में सभी का योगदान हो सके।

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AQI और उसके प्रभाव को समझें

राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (NAQI) के अनुसार, वायु गुणवत्ता को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है : 
101-200 AQI (येलो मॉडरेट) : इस श्रेणी में फेफड़े, दमा और हृदय रोगों से पीड़ित लोगों को सांस लेने में समस्या हो सकती है।
201-300 AQI (ऑरेंज खराब) : इस श्रेणी में लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
301-400 AQI (रेड वेरी पुअर) : इस श्रेणी में लगातार संपर्क से श्वसन रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
401-500 AQI (डार्क रेड सीवियर) : इस श्रेणी में प्रदूषण बेहद खतरनाक हो जाता है, जो स्वस्थ लोगों को भी प्रभावित कर सकता है और बीमार लोगों की स्थिति को और बिगाड़ सकता है।

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