राजस्थान में माटी का कर्ज चुकाने आगे आए एनआरआई, जल संरक्षण में दे रहे खुलकर सहयोग
राजस्थान के प्रवासी राजस्थानियों ने जल संरक्षण अभियान में उत्साह से हिस्सा लिया है। उनके प्रयासों से हजारों तालाब और जल संरचनाएं प्रदेश में बन रही हैं। अभियान के दौरान चार वर्षों में 45,000 संरचनाओं का निर्माण लक्ष्य रखा गया है।
राजस्थान में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सीएम भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में एक महत्त्वपूर्ण अभियान चलाया गया, जिसका नाम था ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’। इस अभियान में प्रवासी राजस्थानियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अभियान के तहत, प्रवासी राजस्थानियों ने जल संग्रहण के लिए तालाबों और जल संरचनाओं के निर्माण में सहयोग दिया।
इस अभियान में वर्षा जल संग्रहण के लिए 5,000 संरचनाएं, तालाब आदि बनाने का लक्ष्य रखा गया था। प्रवासी राजस्थानियों के योगदान से यह कार्य महज तीन महीनों में पूरा हो गया। इस अभियान ने एक जनांदोलन का रूप लिया, जिसमें एनआरआई लोगों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया।
216 पंचायतों व सूखाग्रस्त क्षेत्रों में हुए काम
इस अभियान के तहत राज्य के सूखाग्रस्त व सालभर पानी की कमी से जूझने वाले क्षेत्रों का चुनाव किया गया। विशेषकर प्रदेश की 216 पंचायतों जो सूखाग्रस्त सूची में है, का चयन इस अभियान के तहत किया गया। यहां जल संग्रहण के लिए तालाब, पोखरों का निर्माण किया गया।
मुख्यमंत्री द्वारा तय किए गए 5,000 संरचनाओं के लक्ष्य के मुकाबले, जून तक लगभग 4,918 संरचनाएं बन चुकी हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग 37,000 रिचार्ज स्थलों का चयन भी कर लिया गया है, जो जल संग्रहण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
प्रवासी (NRI) राजस्थानियों का जल संरक्षण में योगदान
‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान ने प्रवासी राजस्थानियों को एक मंच पर लाकर उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की। इन प्रवासी भारतीयों ने जल संरक्षण के प्रयासों में खुलकर योगदान दिया, जिसके चलते अभियान को समय से पहले ही पूरा हो गया। उनके योगदान से जल संरक्षण की दिशा में जो गति मिली है, वह उल्लेखनीय है।
भूजल संरक्षण के लिए क्या काम हो रहे हैं?
प्रदेश के 41 जिलों की 11,266 ग्राम पंचायतों में रिचार्ज शॉफ्ट बनाए जा रहे हैं। इन संरचनाओं के माध्यम से पानी को पुनः संरक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा, सूख चुके कुओं, बोरिंग और हैंडपंपों के माध्यम से कृत्रिम जल पुनर्भरण की प्रक्रिया भी जारी है।
जल संरक्षण के लिए कई नई तकनीकों का उपयोग भी किया जा रहा है, जिनमें रिचार्ज पिट, टैंक और रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जैसी संरचनाएं शामिल हैं। इन संरचनाओं के निर्माण से प्रदेश के जल संकट में काफी हद तक कमी आएगी।
इस अभियान की सफलता का एक बडा कारण यह भी है कि इस अभियान से जोडे़ गए प्रवासी राजस्थानी लोगों ने अपने प्रदेश के लिए दिल खोलकर आर्थिक सहयोग दिया। इस आर्थिक सहयोग के चलते ग्रामीण क्षेत्राें में जल संरक्षण के लिए तेज गति से काम हुआ। जो लक्ष्य एक साल के लिए तय किया गया था, उसे तीन महीने में ही पूरा कर लिया गया। सरकार प्रवासी नागरिकों का इसी प्रकार अन्य योजनाओं में सहयोग लेने पर भी विचार कर रही है।
4 पॉइंट्स में ऐसे समझें पूरी खबर
प्रवासी राजस्थानियों का योगदान: 'कर्मभूमि से मातृभूमि' अभियान के तहत प्रवासी राजस्थानियों ने जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने प्रदेश में जल संरचनाओं और तालाबों का निर्माण किया।
जल संरक्षण का उद्देश्य: राजस्थान सरकार ने जल संरक्षण के लिए 5,000 संरचनाओं, तालाबों के निर्माण करने का लक्ष्य तय किया था। जो महज तीन महीनों में पूरा हो गया।
जल पुनर्भरण की योजनाएं: राज्य के 41 जिलों की 11,266 ग्राम पंचायतों में रिचार्ज शॉफ्ट बनाए जा रहे हैं, साथ ही सूख चुके कुओं और बोरिंग के माध्यम से जल पुनर्भरण किया जा रहा है।
भविष्य का लक्ष्य: आगामी चार वर्षों में राज्य में लगभग 45,000 जल संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा, जिसमें एनआरआई का सहयोग लिया जाएगा।