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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के घौलपुर थाना पुलिस ने लंबे समय से चल रहे बड़े साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश करते हुए मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। यह आरोपी अपनी पत्नी और एक दोस्त के साथ मिलकर लंबे समय से फर्जी कंपनियों के सहारे ठगी को अंजाम दे रहा था।
अब तक चार सौ करोड़ रुपए के फ्रॉड का पता चला है। आरोपी के साथी की तलाश की जा रही है। इस मामले में आरोपी की पत्नी को भी आरोपी बनाया गया है। इस मामले में कुछ विदेशी लोगों को भी आरोपी बनाया गया है। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने अपने लैपटॉप और फोन को नदी में फेंकने से पहले उसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया था।
एक छोटी सी शिकायत से खुला पूरा मामला
रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि छह मार्च 2025 को साइबर थाना धौलपुर को हरिसिंह नामक व्यक्ति ने हेल्पलाइन नंबर 1930 पर अपने साथ हुई ठगी की शिकायत की थी। इस व्यक्ति ने बताया था कि फिनो पेमेंट बैंक में उसके साथ साइबर फ्रॉड किया गया है।
इस शिकायत जब राजस्थान पुलिस ने जांच प्रांरभ की तो चाैकाने वाली जानकारी सामने आई। इस कंपनी के खिलाफ पहले से तीन हजार शिकायतें दर्ज की जा चुकी थी जो लगातार बढ़ रही थी।
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यूपी के मिर्जापुर से पकड़ाया सरगना
धौलपुर पुलिस ने इस ऑनलाइन ठगी की जांच में यह पाया कि यह पूरा गौरखधंधा कंबोडिया से संचालित किया जा रहा था। जांच में पुलिस ने इस फ्रॉड से जुडे़ कुछ लोगों को गिरफ्तार किया,जिनकी निशानदेही पर उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर से 28 वर्षीय रोहित दुबे पिता शरद दुबे को पकड़ा गया।
पुलिस गिरफ्तारी से पहले ही आरोपी ने अपना लैपटाप और मोबाइल तोडकर नदी में फेंक दिया। जिसे पुलिस अब खोजने की कोशिश कर रही है।
ऐसे समझें चार सौ करोड़ के इस आनलाइन ठगी के मामले कोसाइबर फ्रॉड का पर्दाफाश फर्जी कंपनियों का संचालन आरोपियों के डिजिटल प्रमाण नष्ट कंबोडिया से जुड़े आरोपियों की तलाश साइबर सुरक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका |
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ठगी के लिए बेंगलुरु में खोली कंपनी
आरोपी रोहित और शशिकांत ने ठगी की शुरुआत एंबुडेंस पेमेंट सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलकर की। इस कंपनी का मुख्यालय बेंगलुरू में बनाया गया। इस कंपनी में रोहित डाईरेक्टर है, रोहित ने पूछताछ में बताया कि दोनों ने फरवरी 2024 में इस कंपनी की शुरुआत की थी; ये लोग आनलाइन गेमिंग और निवेश के नाम पर फर्जी कंपनियों की मदद से लोगों को ठगते थे।
आरोपी ने पुलिस को बताया कि वो लोग 16 फर्जी कंपनियों के सहारे लोगों से ठगे गए रुपयों को दूसरी कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते थे। आरोपियों के कुछ पार्टनर कंबोड़िया से भी आपरेट कर रहे थे।
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ठगी के लिए पत्नी के वाईफाई का उपयोग
आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह किसी भी कंपनी की सिम व कोई भी सोशल मीडिया साइट का उपयोग नहीं करता था। फ्रॉड को अंजाम देने के लिए पत्नी के नाम से लिए गए वाईफाई व टेलीग्राफ से पूरा काम अंजाम दिया जाता था। आरोपी का साथी शशिकांत भी 28 लाख रुपए का पैकेज छोड़कर इस ठगी के काम में साझेदार बना था।
किस तरह के अपराधों में शामिल थे आरोपी?
रोहित और शशिकांत ने फर्जी कंपनियां बना कर उन्हें ऑपरेट किया। इस दौरान, उन्होंने लोगों से निवेश के नाम पर पैसे ठगे। यह अपराध कई महीनों से चल रहा था, और जांच के दौरान पता चला कि उन्होंने लगभग 25 कंपनियां खोली थीं, जिनमें से 16 कंपनियां पूरी तरह से फर्जी थीं।
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