राजस्थान के परिवहन विभाग में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें लगभग 500 करोड़ रुपए की ठगी की गई। इसमें परिवहन विभाग के 450 से अधिक अधिकारी, बाबू और सूचना सहायकों का नाम सामने आया है।
ये अधिकारी और कर्मचारी थ्री डिजिट के वीआइपी नंबरों को बैकलॉग करके उन्हें महंगे दामों में बेचने का काम कर रहे थे। इस मामले में राज्य के कई आरटीओ (Regional Transport Office) कार्यालयों के कर्मचारियों और अधिकारियों ने मिलकर यह खेल खेला।
थ्री डिजिट के वीआइपी नंबरों का फर्जीवाड़ा
यह फर्जीवाड़ा 1989 से पहले जारी किए गए थ्री डिजिट नंबरों को लेकर है। परिवहन विभाग द्वारा 1989 से पहले जारी किए गए थ्री डिजिट के नंबरों की सीरीज को बंद कर दिया गया था। लेकिन विभाग के कर्मचारियों ने इस बंद सीरीज के नंबरों को फिर से बैकलॉग कर दिया और बिना वाहन मालिक की जानकारी के उन्हें दूसरे नामों पर रजिस्टर कर दिया। इसके बाद इन नंबरों को दलालों के माध्यम से महंगे दामों में बेचा गया।
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फर्जीवाड़ा छुपाने गायब कर दिया रिकॉर्ड
इस पूरे फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए विभाग के कर्मचारियों ने आरटीओ कार्यालयों से रिकॉर्ड भी गायब करवा दिए थे। यह जानकारी जब सामने आई, तो जयपुर आरटीओ कार्यालय से मामले की जांच शुरू की गई। जांच में यह पता चला कि यह फर्जीवाड़ा राजस्थान के कई अन्य जिलों जैसे कोटा, नागौर, जोधपुर, जयपुर, सवाईमाधोपुर, बूंदी, हनुमानगढ़, उदयपुर और बीकानेर सहित अन्य जगहों पर भी किया गया था।
वीआइपी नंबरों की कीमत 10-15 लाख रुपए
1989 से पहले के थ्री डिजिट नंबरों की सीरीज को बंद कर दिया गया था, लेकिन अफसरों ने जानबूझकर इन बंद नंबरों को जारी किया। इनमें से कई नंबरों की रजिस्ट्रेशन अवधि समाप्त हो चुकी थी, लेकिन विभाग के कर्मचारियों ने उन्हें वापस चालू किया और दूसरे वाहनों के नाम कर दिए। थ्री डिजिट के इन वीआइपी नंबरों की कीमत 10-15 लाख रुपए तक वसूली गई।
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जयपुर आरटीओ कार्यालय से उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
इस फर्जीवाड़े की पोल तब खुली जब जयपुर आरटीओ कार्यालय में बाबू और सूचना सहायकों ने कई थ्री डिजिट नंबरों को फर्जी तरीके से दूसरे नामों पर ट्रांसफर किया। इसके बाद, विभाग ने पूरे राज्य में सभी आरटीओ कार्यालयों की जांच शुरू की।
जांच में यह सामने आया कि 8000 से अधिक थ्री डिजिट नंबरों को बैकलॉग किया गया था, और इनमें से 5000 से अधिक नंबरों में फर्जीवाड़ा किया गया था। इसके अलावा, 2000 से अधिक नंबरों का रिकॉर्ड गायब पाया गया और कई रिकॉर्ड के पन्ने भी फाड़े गए थे।
450 अधिकारी और कर्मचारी शामिल
इस मामले में 450 से अधिक विभागीय कर्मचारियों का नाम सामने आया है। इसमें आरटीओ, डीटीओ, बाबू और सूचना सहायकों सहित अन्य अधिकारी शामिल हैं। विभाग ने इस मामले में अंतिम रिपोर्ट तैयार की है और उसके बाद कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है।
फर्जीवाड़े के लिए आदेश का लिया सहारा
यह फर्जीवाड़ा राज्य के कई जिलों में फैला हुआ था, और इसे व्यवस्थित रूप से चलाया जा रहा था। विभाग ने 2018 में एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत वाहनों का रजिस्ट्रेशन किसी भी आरटीओ कार्यालय में किया जा सकता था। इस आदेश का सहारा लेकर विभाग के कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए नंबरों को बैकलॉग कर लिया और उन्हें दूसरे जिलों में रजिस्ट्रेशन करवा दिया।
राजस्थान न्यूज
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