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Photograph: (the sootr)
Baran. चुनाव आयोग ने राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। अंता में मतदान 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना व नतीजे 14 नवंबर को घोषित होंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित करने के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दोनों राज्यों में मतदाता सूची को एसआईआर के तहत अपडेट किया गया है। जिन मतदाताओं के नाम छूट गए हैं, वे नामांकन से 10 दिन पहले तक सूची में शामिल करवा सकते हैं।
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इसलिए हो रहा है अंता में उपचुनाव
अंता में से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के कारण सीट खाली हुई है। कंवरलाल को 2005 में उपसरपंच चुनाव के दौरान एसडीएम पर पिस्तौल तानकर धमकी देने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में तीन साल की सजा हुई थी।
सजा के आदेश को राजस्थान हाई कोर्ट ने भी बहाल रखा और हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने मनोहरथाना कोर्ट में सरेंडर किया, जहां से उन्हें सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया गया। इसके बाद एक मई, 2025 को उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
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राज्यपाल के पास दया याचिका
कंवरलाल मीणा ने राज्यपाल के पास सजा माफी के लिए दया याचिका दायर की है। ऐसे में सजा माफ हो जाती है, तो उनकी विधायकी बहाल हो सकती थी, लेकिन इसमें कई कानूनी अड़चनें थी। अब चुनाव आयोग ने अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया है।
सभी राजनीतिक दलों ने कसी कमर
अंता उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कंवरलाल मीणा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को 5,000 से अधिक वोटों से हराकर यह सीट जीती थी। कंवरलाल पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं।
बीजेपी के लिए यह सीट सरकार की साख को बनाए रखने तथा और मजबूत करने का अवसर है। वहीं कांग्रेस इस सीट को जीतकर यह दावा कर सकती है कि उनके वर्तमान भाजपा सरकार पर लगाए जा रहे अकर्मण्यता के आरोप सही हैं।
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कांग्रेस के सामने ज्यादा चुनौती
कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए पहले अपनी अंदरूनी गुटबाजी पर काबू पाकर पार्टी को एकजुट करना होगा, क्योंकि इस सीट पर पार्टी के दिग्गज प्रमोद जैन भाया के साथ ही युवा नेता नरेश मीणा भी आंख गड़ाए हुए हैं। नरेश मीणा देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान हुई घटना के बाद से लगातार सरकार की आंख की किरकिरी बने हुए हैं।
वहां बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद से उनके रिश्ते कांग्रेस से भी तल्ख हो चुके हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यदि कांग्रेस नरेश मीणा को टिकट देती है, तो प्रमोद जैन भाया क्या करेंगे। यदि भाया को टिकट मिला, तो नरेश मीणा का रुख क्या रहेगा। यह भी दिलचस्प होगा कि पार्टी आखिर संतुलन कैसे बनाती है।